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"Kumar शायर"
गरीब के घर जब बेटी जन्म लेती है, तब तब बेटी के संग, गरीबी भी जवान होती है, सोच के सागर में दिन रात कटती है, माँ बाप की चिंता, और धरती भी जैसे आसमान लगती है. ✍️.✍️.✍️ "Written:- by @ Umesh kumar" ©Umesh kumar #गरीब की बेटी
"Kumar शायर"
When the daughter is born in the poor's house, then poverty is also young, with the daughter, day and night in the ocean of thinking, parents worry, and the earth looks like the sky. ✍️.✍️.✍️. "Written: - by @ Umesh kumar" ©Umesh kumar #गरीब की बेटी
Waheed shayri guru
Aakash Sahu
ये कहानी उस गरीब बाप कि है। जो दिन भर काम करता है और शाम को जब घर आता है।तो देखता है। कि उसका छोटा बेटा चारपाई लेटा हुआ था। यह देख कर वह बाप अपने बेटे के पास आ गया। और क्या देखता कि उसके बेटे का बदन बुखार से तप रहा था ©Aakash Sahu #गरीब बाप
Raone
बाप-बेटी किसी घर लक्ष्मी तो किसी घर पनौती बेटियाँ । जनम से लेकर मरने तक सवालों के घेरे में बेटियाँ ।। संसार की जितनी मुह उतनी बातें । दुनियाँ के लिए लड़की पर बाप की धन, संस्कार, इज्ज़त बेटियाँ।। घर बेटी जब पैदा हुयी, जब पहली गोंदी बाप के आयी । उसके नरम उस स्पर्श से, छलक बाप की आँखें आयीं ।। ये लम्हाँ बस वहीं जाने गा, जो गोंदी में अपने बेटी पायेगा । जग की खातिर लड़की थी, पर बाप की वो बस बेटी थी ।। मुख उसके जब पापा उसने अपने कान सुना । सातों सुर के गूंज को, कानों ने उसके यह राग चुना ।। उँगली पकड़ पापा के , जब वो नन्हे पैरों से चलती । मानों तीनों लोकों में परियाँ, पैजनिया पहन नर्तन करतीं ।। बैठ पापा की छाती पर, जब नन्हे पैर चलाती है । मानों साक्षात् लक्ष्मी सा वो, पैर से सर पे आशीष दे जाती है ।। @उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी (भाग-1) बाप-बेटी
Raone
बाप-बेटी घर से बाहर पापा को जाते, मीठी किलकारी वो दे जाती । शाम को घर वापस आते हीं गुड़िया मेरी, नन्हे कदमों संग छलकते लोटे का पानी, संग अपने है ले आती । बेटी नहीं वो पापा की, बहार बन धरती पर आयी ।। बड़े होने की भी जाने क्या जल्दी थी, बेटी को शिक्षा भी तो देनी थी । पापा ने अपने चाँद के टुकड़े को, खूब पढ़ाया ।। उसे बेटा नहीं अपनी बेटी हीं बनाया । जैसे तैसे ये सोलह सावन बीत गये, जाने कैसे इतने दिन कट गये ।। पापा को अब बेटी की चिंता हर पल सताने लगी । ब्याह से ज्यादा बेटी से दूरी का भय याद ये आने लगी ।। बेटी का पहला इश्क़, जिसे बचपन से पापा कहती । अब पल में सब दूर होगा, अब बेटी यह कैसे सहती ।। बेटी का वह मज़बूत कंधा, बेटी का वो हौसला । अपने पापा से बड़ा, कोई हो सकता है क्या भला ।। @उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी (भाग-2) बाप-बेटी
khushboo naroliya
बेटी क्या चांद क्या सितारे, क्या परी क्या अप्सराएँ। बाप-बेटी के स्नेह के आगे, खड़े रहते सब शीश नवाएँ।। ©khushboo naroliya #बाप-बेटी
Raone
बाप-बेटी अन्ततः दिन इक वह आता है, जो गुड़िया से रानी उसे बनाता है। घर की लक्ष्मी, घर की तुलसी, अंगना पापा का छोड़ चली।। बचपन में जिस अंगना में पहला कदम चलायी थी । अंगना और चौखट को अब लाँघने की बारी आयी थी ।। सोलह सावन जिस बगिया को उसने, अपने अन्तः मन में समेटा था । एक पल में सब दूर हुआ, इसीलिए बेटी बना इस संसार में उसने भेजा था ।। संग जिसके रहने को, बचपन से मैंने सोचा था । अब ना तेरा साथ रहा, पापा क्या यह विधि-विधान का लेखा था ।। बेटी , पापा के आँखो से, अश्कों को दूर हटाती है । देखते हीं देखते पापा के आँखो से, झट ओझल वो हो जाती है ।। @उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी (भाग-3) बाप-बेटी
Sujeet Mishra
बड़ी बेरहमी से कत्ल कर दिया था तुम लोगों ने दहेज न दिया तो बेघर कर दिया था उन लोगों ने गरीब बाप की बेटी थी साहब लोगों की दरिन्दगी तो देखो उस बेटी को जला कर राख कर दिया था उन लोगों ने गरीब बाप की बेटी थी साहब लोगों की दरिन्दगी तो देखो उस बेटी को जला कर राख कर दिया था उन लोगों ने #Nojotohindi