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Sawan Sharma
एक -दो नहीं कई सारे फूल ला दूंगा तुमको तुम स्वीकर तो करो । रख दूंगा बिखेर कर पूरी बगिया कदमों में तुम्हारे तुम स्वीकर तो करो । खुशियां मिली है मुझको तुमसे भरना है दामन खुशियो से तुम्हारा तुम स्वीकर तो करो । । प्रिये,देना है अपना सब कुछ तुमको प्रियतमा तुमको कहना है तुम स्वीकर तो करो । सावन शर्मा बड़वानी ©pen_of_sawan एक -दो नहीं कई सारे फूल ला दूंगा तुमको तुम स्वीकर तो करो । रख दूंगा बिखेर कर पूरी बगिया कदमों में तुम्हारे तुम स्वीकर तो करो ।
Sawan Sharma
महज़ इत्तेफ़ाक है, या है दोनों का राबता लगता है जैसे दोनों का, कोई तो है वास्ता जीना है सारी ज़िन्दगी एक ऐसी ज़िन्दगी जिसमें मंज़िल तू रहे ,तू ही रहे रास्ता कुछ मुलाकाते हो,और बाते हो इस कदर बन जाए तेरे मेरे इश्क़ की एक दास्तां उम्मीद तो नहीं लेकिन ख्वाहिश है मेरी बन जाए हम दोनों का,एक बेनाम सा रिश्ता महज़ इत्तेफ़ाक है, या है दोनों का राबता लगता है जैसे दोनों का, कोई तो है वास्ता जीना है सारी ज़िन्दगी एक ऐसी ज़िन्दगी जिसमें मंज़िल तू रहे
Sawan Sharma
Sawan Sharma
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चाहिए एक कमरा मुझको बंद सा, और शांत सा, जहा कोई और ना हो,बाहर किसी का शोर न हो । न हो बाहर की खिटपिट, न हो कोई भी झीकझीक, करे हम एक दूजे से बातें, मैं रहूं और मेरी किताबें । पढ़ने लगता हूँ जब भी, कई आवाज़ें आती है, कई सारी आवाज़ें जो, काफ़ी शोर मचाती है । हो जाऊ बंद कमरे में, शोर ना कोई सुनाई दे, किताब के पन्ने दिखे, शब्द उसके सुनाई दे। कमरा हो एक ऐसा कि, कोई मुझे न बुला सके, करे हम एक दूजे से बातें, मैं रहूं और मेरी किताबें । सावन शर्मा ©pen_of_sawan चाहिए एक कमरा मुझको बंद सा, और शांत सा, जहा कोई और ना हो,बाहर किसी का शोर न हो । न हो बाहर की खिटपिट, न हो कोई भी झीकझीक, करे हम एक दूजे
Sawan Sharma
Facebook पर उन्हें search किया करते थे Friend request send कर cancel किया करते थे dp को उनकी zoom करके देखा करते थे एक वक़्त था जब हम भी, आशिक हुआ करते थे उनके घर के फेरे,अक्सर ही किया करते थे मरते थे बात करने को, पर बात करने में डरा करते थे इन्तज़ार सिर्फ उन्हीं का, हर पल किया करते थे एक वक़्त था जब हम भी, आशिक हुआ करते थे सड़कों पर और गलियों में, उनको ही ढूँढा करते थे दीदार के लिए उनके,तरकीबे लगाया करते थे इश्क़ नाम की वो ला-इलाज, बीमारी पाला करते थे एक वक़्त था जब हम भी, आशिक हुआ करते थे Facebook पर उन्हें search किया करते थे Friend request send कर cancel किया करते थे dp को उनकी zoom करके देखा करते थे एक वक़्त था जब हम भी, आ
Sawan Sharma
प्रेम में पड़ा इंसान होता है काफ़ी जलनखोर मुझे भी जलन होती है हर उस चीज़ से, हर इंसान से जो तुम्हें सामने देख सकते हैं उस लैपटॉप से भी जलन होती है जिस पर तुम्हारी उंगलियां चलती है उस फोन से जलन होती है जो सदा तुम्हारे हाथ में होता है तुम्हारी आँखों को छूने वाले चश्मे से आँखों में लगने वाला काजल से पैरों को छूने वाली पायल से बालो को छूने वाली क्लिप से हाथों को छूने वाली चूडिया से माथे को छू लेने वाली बिंदी से वो आईना जिसमें देखकर तुम खुद को संवारती हो वो आईना सबसे ज्यादा भाग्यशाली मुझे लगता है और इन सबसे ज्यादा जलन होती है उन झुमको से मुझको जो झुमको तुमको सबसे ज्यादा प्यारे है । सावन शर्मा बड़वानी ©pen_of_sawan प्रेम में पड़ा इंसान होता है काफ़ी जलनखोर मुझे भी जलन होती है हर उस चीज़ से, हर इंसान से जो तुम्हें सामने देख सकते हैं उस लैपटॉप से भी जलन
Sawan Sharma