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Lalit Kumar
आज का ज्ञान जहा हमारे बोलने की कदर नही कि जीती है वहा हमे चुप ही रहना चाहिए। #NojotoQuote ।।आज का ज्ञान।। ।।आज का ज्ञान।।
krishna sharma
#5LinePoetry कविता का शीर्षक: आज का मानव लेखक: कृष्ण गोपाल शर्मा स्वरचित क्या हुआ आज के इंसा को जो सत्य ना बोला करते हैं है तिमिर अंधेरा जीवन पर इत उत डोला करते हैं हाथों पर बनी लकीरों में तकदीरे ढूंढा करते हैं लालच ही लालच भरा हुआ ना कर्म कोई वह करते हैं ना मानवता है इनमें अब ना कोई भाईचारा है छल कपट झूठ है भरा हुआ इनका बस यही सहारा है ऐसे तो जीवन ना चलता कोई तो इनको समझाए इस अंधकारमय जीवन में कोई तो दीप जला जाए तिनके का मात्र सहारा ही इनमें आशा भर सकता है कोई एक दीप ही इन सब का अंधकार हर सकता है मैं कब कहता हूं इंशां को कि तुम कोई भगवान बनो कुछ ना बन सकते हो गर तो एक अच्छे इंसान बनो कृष्णा हर इंसान को नजरों से तोला करते हैं क्या हुआ आज के इंसान को जो सत्य ना बोला करते हैं है तिमिर अंधेरा जीवन पर इत उत डोला करते हैं ©Krishan Gopal sharma आज का मानव #आज का मानव
Mayank Pandit
आज कल लोग सच्चे प्यार की नही, बस कुछ दिन साथ दे ऐसे यार की खोज करते है, आज कल तो सकल भी नही देखते लोग, 10 मिनट की चॅटिंग मे डिरेक् पुरपोज करते है, और कहते है की बेबी हम भी मशूर हो लैला मजनू की तरह इस जमाने मे, मगर उनको क्या पता जिंदगी से अल्बिदा कहना पड़ता है इश्क़ का इतिहास बनाने मे. . poet - mayank pandit आज का का इश्क़
कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद
आज का काम आज कुल पल ही सही ; पर जमाने पर , राज कर लेगें हम चोरी , चुपके आज ; शुरुआत , कर लेगें देगें हर सम्भव , माकूल जवाब ; जीत से ,हार को क्यों छोड़े कल पर कोई काम सारे आज कर लेगें कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद आज का काम आज......कीर्तिप्रद
कवि दिनेश अगरिया
*रामायण के आज के एपिसोड का वर्णन* बालिकुमार सभा में जाकर प्रभु संदेश सुनाता है। अभिमानी रावण गरजा और जोर जोर चिल्लाता है।। बोला सबक सिखा वानर को, और हंसा देकर ताली। पाँव जमा कर अंगद बोला, वानर पुत्र हूँ मैं बाली।। बालि नाम को सुनकर के, रावण को याद है आया। बालि ने छह माह तलक तक, उसको बगल दबाया।। बोला अंगद है अभिमानी, क्यों विनाश को बढ़ता है। क्षमा मांग ले मूर्ख प्रभु से, छोड़ कठिन ये दृढ़ता है।। बहुत उदार प्रभु का ह्रदय, कृपा तू उनकी पायेगा। लौटा दे माता को नही तो, बिना काल मर जाएगा।। सुनकर अंगद वाणी को, लंकेश लगा है तपने। तम में बोला वानर तू क्यों, आया है मरने।। जय श्री राम का घोष किया, अंगद ने पांव जमाया। असुर सभा का योद्धा कोई, पाँव डिगा ना पाया।। एक एक कर आये योद्धा, पड़ी गई मुँह की खानी। अंत में अंगद पांव उठाने, उठता खुद अभिमानी।। रावण झुका है चरणों में, अंगद ने पाँव हटाया। प्रभु शरण में जाने का, फिर से पाठ पढ़ाया।। अहंकार में चूर था रावण या परम ब्रह्म का ज्ञानी। प्रभुकमलों से तरने की क्या, खुद ही रची कहानी।। द्वारा रामभक्त दिनेश अगरिया #रामायण का आज का एपिसोड