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Parasram Arora

पर्यायवाची...... #शायरी

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खून को पानी का पर्यायवाची  मत मान. लेना
अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै 

उस बसती मे  सच  बोलने का रिवाज  नही है
यहां कोई भी  आदमी  सच.को  झूठ बना कर पेश कर सकता है

ताउम्र अपना  वक़्त   दुसरो की भलाई मे  खर्च करता रहा वो
ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही   सकता है

©Parasram Arora पर्यायवाची......

Parasram Arora

तथाकथित धार्मिक.......

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मंदिर मस्जिद  उखड़ गये 
पर मधुशालाये     जमी   हैँ  जड़े  जमा कर 
मंदिर मस्जिद मे  कौन जाता हैँ अब 
जो जाते हैँ वे भी  कहा  जाते हैँ 
जाना पड़ता हैँ  इसलिए जाते हैँ 
'धार्मिक ' हैँ  ये सिद्ध करने  के लिए  जाते हैँ 
वो वहा बैठ कर भी  मंदिर या मस्जिद मे  कहा होते हैँ तथाकथित   धार्मिक.......

Ramesht Dhar

तथाकथित बुद्धिजीवी.... #विचार

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कमसिन उम्र का एक नादां नौजवान कलम लेकर निकला था.... 
उसकी मासूमियत पर दुनिया का फरेबी असर तो देखो ज़ख्मी होकर लौटा है.... तथाकथित बुद्धिजीवी....

P Rai Rathi

तथाकथित अभिलाषाओं में
मन अभिलाषाओं का नम्बर पहला है
अपनी अपनी व्याख्या मन की,
मन तो नितांत अकेला है #तथाकथित#अभिलाषाओं में

Jogendra Singh writer

nojoto ka पर्यायवाची #Light

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आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची  क्या है
Answer in comment section

©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची

#Light

ShAshi

पर तथाकथित समाज के कुछ लोग इसे नहीं समझते ।।

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जैसे , हर ताले की अलग चाबी  होती है 

परिस्थिति मुताबिक कामयाबी होती है 👍

©shAshi💎 पर तथाकथित समाज के कुछ लोग इसे नहीं समझते ।।

Author Harsh Ranjan

तथाकथित कलियुगी सीतायें

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तथाकथित कलियुगी सीताओं ने माना है,
हर युग के राम का व्यक्तित्व व अस्तित्व
सिर्फ चूड़ियों की खनक से निभाना है,
उन सबको सदैव किसी सीता के
स्पर्श के आगे/के लिए/के बाद
बेमोल बेजुबान गिरवी हो जाना है।
बहुत सबला व आकर्षक थी वो
समाज की नजरों में पहली बार,
वर्ष, स्पर्श और घर्ष से पहले,
वो स्वामिनी थी सड़क से स्वम्बर तक
योनि मथे व ग्रसे जाने से पहले।
उन्हें कुंठा मिश्रित अचरज है त्याग से,
वो खुद स्वछंदता चाहती हैं आवेगहीन,
दूध के उबाल के बीच ध्यान धरे
पूछती हैं उसका अस्तित्व विराग से।
तथाकथित कलियुगी सीतायें मानती है कि
उनकी काया में सारी सृष्टि है
और रोग देने वाले सकल स्त्री-भोग,
योग व लोक-कल्याण की वृष्टि है।
वो खुद को स्वर्ग के समकक्ष रखती हैं,
पर क्या वो सरल समावेशी हृदय भी, 
या सिर्फ आकर्षक स्थूल वक्ष रखती हैं।
उन्होंने यत्नपूर्वक सिर्फ महल देखे,
जग ने सिर्फ उनके स्वार्थ, प्रतिशोध,
कामना व संतानों हेतु पहल देखे।
ये वो कलियुग की तथा-कथित सीतायें हैं,
जो मानती हैं कि उनकी एक इच्छा से सस्ती
पूरे शहर की जलती चिताएं हैं। तथाकथित कलियुगी सीतायें

Author Harsh Ranjan

तथाकथित कलियुगी सीतायें

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तथाकथित कलियुगी सीताओं ने माना है,
हर युग के राम का व्यक्तित्व व अस्तित्व
सिर्फ चूड़ियों की खनक से निभाना है,
उन सबको सदैव किसी सीता के
स्पर्श के आगे/के लिए/के बाद
बेमोल बेजुबान गिरवी हो जाना है।
बहुत सबला व आकर्षक थी वो
समाज की नजरों में पहली बार,
वर्ष, स्पर्श और घर्ष से पहले,
वो स्वामिनी थी सड़क से स्वम्बर तक
योनि मथे व ग्रसे जाने से पहले।
उन्हें कुंठा मिश्रित अचरज है त्याग से,
वो खुद स्वछंदता चाहती हैं आवेगहीन,
दूध के उबाल के बीच ध्यान धरे
पूछती हैं उसका अस्तित्व विराग से।
तथाकथित कलियुगी सीतायें मानती है कि
उनकी काया में सारी सृष्टि है
और रोग देने वाले सकल स्त्री-भोग,
योग व लोक-कल्याण की वृष्टि है।
वो खुद को स्वर्ग के समकक्ष रखती हैं,
पर क्या वो सरल समावेशी हृदय भी, 
या सिर्फ आकर्षक स्थूल वक्ष रखती हैं।
उन्होंने यत्नपूर्वक सिर्फ महल देखे,
जग ने सिर्फ उनके स्वार्थ, प्रतिशोध,
कामना व संतानों हेतु पहल देखे।
ये वो कलियुग की तथा-कथित सीतायें हैं,
जो मानती हैं कि उनकी एक इच्छा से सस्ती
पूरे शहर की जलती चिताएं हैं। तथाकथित कलियुगी सीतायें

Parasram Arora

धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ

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कोई  पुरखो को   पानी  पहुंचा  रहा हैँ  कोइ गंगाओ मे  पाप  धो रहा हैँ   कोई  पथर की प्रतिमाओं  के सामने  बिना भाव  सर  झुकाये बैठा हैँ 
धर्म  के  नाम पर  हज़ार  तरह  की मूढ़ताएं  प्रचलन मे हैँ धर्म से  संबंध तो   तब होता हैँ जब  आदमी  जागरण की  गुणवत्ता  हासिल कर लेता हैँ  
जहाँ  जागरण  होगा  वहा अशांति  कभी  हो ही नहीं सकती  
क्यों कि  जाग्रत  आदमी  विवेकी  होता हैँ      इर्षा  क्रोध  की  वृतियो  से  ऊपर  उठ  चुका होता हैँ औदेखा  जाय तो  धर्म औऱ  शांति पर्यायवाची  शब्द  हैँ धर्म  औऱ  शांति...... पर्यायवाची  शब्द हैँ
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