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Bittu jha shandilya

#First_Meeting वो दिल ही क्या...... - @क़तील शिफ़ाई #शायरी

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वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे ,
मैं तुझे भूल के ज़िंदा रहूं ख़ुदा न करे ! #First_Meeting 
वो दिल ही क्या......
 - @क़तील शिफ़ाई

Sandeep Tyagi

क़तील की इल्तज़ा..... #lovebeat #शायरी

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Raushni Tripathi

क्या जाने किस अदा से लिया तू ने मेरा नाम दुनिया समझ रही है कि सच-मुच तिरा हूँ मैं #क़तील शिफ़ाई

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क्या जाने किस अदा से लिया तू ने मेरा नाम 

दुनिया समझ रही है कि सच-मुच तिरा हूँ मैं 

#क़तील शिफ़ाई क्या जाने किस अदा से लिया तू ने मेरा नाम 

दुनिया समझ रही है कि सच-मुच तिरा हूँ मैं 

#क़तील शिफ़ाई

DABANG AASHIK UP 96 KING

क़तील आशियाना 💪💪 #5LinePoetry

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#5LinePoetry बैठूंगा जरूर महफिल में
लेकिन पिऊंगा नहीं
क्योंकी मेरा गम मिटा दे 
इतनी सराब की औकात नहीं

©DABANG AASHIK क़तील आशियाना 💪💪

Anamika Gupta

शायरी की ग़ज़ल

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ग़ज़ल 

मुहब्बत का' होगा असर धीरे धीरे। 
ज़माने को' होगी  ख़बर  धीरे धीरे॥ 
 
जो' करके गए थे मुहब्बत का' वादा, 
वो'  होते   गये   बेख़बर   धीरे धीरे। 

सनम जब  से तुम बेवफा हुए हो , 
मुहब्बत के' सूखे शजर धीरे धीरे।

तरन्नुम मे'  मैंने ग़ज़ल जब पढ़ी तो , 
हुई  मस्त महफ़िल, नगर धीरे धीरे।

जिधर देखिए अब दरिंदे खड़े हैं , 
बशर हो रहा जानवर धीरे धीरे ।

सभी  के लिए अनु दुआ  माँगती है, 
मिले सबको शुहरत मगर धीरे धीरे।
--अनामिका "अनु"
      गया , बिहार शायरी की ग़ज़ल

Sudha Tripathi

ग़ज़ल की शाम #शायरी

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आप सभी को आज रात 9:00 बजे आमंत्रित करती हूं
 पहली बार औपचारिक रूप से nojoto पे live show में आ रही हूँ

©Sudha Tripathi ग़ज़ल की शाम

Anamika Gupta

शायरी की ग़ज़ल

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किसी को किसी की ज़रूरत नहीं है। 
बशर  को  बशर से  मुहब्बत नहीं है।

तुम्हीं पे सभी कुछ ऐ जानम है वारा
कहूँ  कैसे तुमसे कि उल्फ़त  नहीं है।

हुई  है  मुहब्बत तुम्हीं  से  सजन रे 
कहूँ तुझसे कैसे कि हिम्मत नहीं है। 

बहुत ज्ञान बांचा रहम भी करो अब
मुझे ज्ञान की अब ज़रूरत नहीं है।

दरिंदे  हुए 'अनु'  बशर आज  देखो 
नजर में किसी की शराफ़त नहीं है।
-- अनामिका 'अनु'
      गयाजी शायरी की ग़ज़ल

Insan Ji

शब्दों की तलवार..... #ग़ज़ल

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 शब्दों की तलवार.....
#ग़ज़ल

amar

संजीव प्रभाकर की ग़ज़ल

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LAKSHMI KANT MUKUL

लक्ष्मीकांत मुकुल की ग़ज़ल #शायरी

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कोहरे से झांकता हुआ आया
मांगी थी रोशनी ये क्या आया

सूर्य - रथ पर सवार था कोई
उसके आते ही जलजला आया

घोंसले पंछियों के फिर उजड़े
फिर कहीं से बहेलिया आया

दूर अब भी बहार आँखों से
दरमियाँ बस ये फ़ासला आया

काकी की रेत में भूली बटुली
मेघ गरजा तो जल बहा आया

जो गया था उधर उम्मीदों से
उसका चेहरा बुझा बुझा आया

बागों में शोख तितलियां भी थीं
पर नहीं  फूल का पता आया

_लक्ष्मीकांत मुकुल लक्ष्मीकांत मुकुल की ग़ज़ल
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