Find the Best ग़ज़ल_غزل Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutतरही ग़ज़ल क्या है, रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ ग़ज़ल, नज़्म और ग़ज़ल में अंतर, अरविंदर सिंह की ग़ज़ल, इनाम सिंह मस्ताना की ग़ज़ल,
Lukesh Sahu
शक्ल से यूं तो सभी लगते यहां इंसान हैं। पर टटोलो तो सभी के खोखले ईमान हैं। सोचता था राज़ मेरा है उसे कैसे पता, याद आया तब कि दीवारों के भी तो कान हैं। ज़िन्दगी पर चल सका है बस भला किसका यहां, मौत का आता वहां से जब कभी फ़रमान है। बात कुछ भी तो नहीं बस दिल ज़रा सा टूटा है, मैं जियूंगा हंँस के अब भी मुझमें जब तक जान है। तोहमत मुझ पर लगाना, तो लगाना ढंग का, चार लोगों में मेरी भी थोड़ी अब पहचान है। हैं नमन शत उन सपूतों को जिहोंने देश हित, अपने खूँ का कतरा कतरा कर दिया कुर्बान है। साथ रहते हैं यहां हिंदू मुसलमां भाई जैसे, देख लो सबसे अनोखा मेरा हिंदुस्तान है। ©Lukesh Sahu #Nojoto #nojotoshayari #nojotohindi #nojotohindishayari #gajal #ग़ज़ल #ग़ज़ल_غزل #हिंदीशायरी #हिन्दी #MereKhayaal
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read moreJitendra Rathor
राहें मुहब्बत की ग़ज़ल_غزل #nojotonews #nojotoshayari #lovebeat 𝙆𝙪𝙡𝙙𝙚𝙚𝙥 𝙘𝙝𝙖𝙩𝙪𝙧𝙫𝙚𝙙𝙞 (गुमनाम आशिक 😡♔) Pradipta Das Priya Pandey Creative Writer Vasudha Uttam Sharda Rajput OFFICIAL_GULJAAR 💎 RJ 05 KajalSharawat Satyendra baghel kasganj Priyanka Sharma कवि राहुल पाल Praval Yadav 🇮🇳 Garima Grover Bhawna Mishra Tanu Anshu writer D.SHARAWAT Kaju Gautam Roshani Thakur kanchan Yadav indu singh pooja yadav The Untold RC निज़ाम खान ✍️ jyoti gurjar
read moreRaz Nawadwi
Love #ग़ज़ल_غزل: २५५ (१२२२-१२२२-१२२२-१२२२) ----------------------------------------- तेरे सादा सिफ़त चेहरे में यूँ ज़ेबाई रहती है कि जैसे दूध के अंदर छिपी चिकनाई रहती है //१ तुम्हें जो देख लेता हूँ मैं अपने मन की आँखों से तो पूरी रात मेरी ख़ुद ब ख़ुद गरमाई रहती है //२ अमीरों की इमारत से निकाली जा चुकी है वो सुना है झोपड़ी में आजकल सच्चाई रहती है //३ बँटा है मुल्क पर अब भी ये सच है पार सरहद के किसी की दूर की मौसी, किसी की ताई रहती है //४ न जाने किसने तोड़ा है ग़ज़ल का दिल कि क्या बोलूँ वो मेरे पास आकर भी बहुत उकताई रहती है //५ बहुत हस्सास होकर पेश आना 'राज़' तुम उससे मिलन की रात हर लड़की बहुत घबराई रहती है //६ #राज़_नवादवी©
Raz Nawadwi
#ग़ज़ल_غزل: २५५ ------------------------- 1222-1222-1222-1222 तेरे सादा सिफ़त चेहरे में यूँ ज़ेबाई रहती है कि जैसे दूध के अंदर छिपी चिकनाई रहती है //१ तुझे जो देख लेता हूँ मैं अपने मन की आँखों से तो पूरी रात मेरी ख़ुद ब ख़ुद गरमाई रहती है //२ अमीरों की इमारत से निकाली जा चुकी है वो सुना है झोपड़ी में आजकल सच्चाई रहती है //३ बँटा है मुल्क पर अब भी ये सच है पार सरहद के किसी की दूर की मौसी, किसी की ताई रहती है //४ न जाने किसने तोड़ा है ग़ज़ल का दिल कि क्या बोलूँ वो मेरे पास भी आकर बहुत उकताई रहती है //५ बहुत हस्सास होकर पेश आना 'राज़' तुम उससे मिलन की रात हर लड़की बहुत घबराई रहती है //६ #राज़_नवादवी© #Love
Raz Nawadwi
#ग़ज़ल_غزل: २५५ ------------------------- 1222-1222-1222-1222 तेरे सादा सिफ़त चेहरे में यूँ ज़ेबाई रहती है कि जैसे दूध के अंदर छिपी चिकनाई रहती है //१ तुझे जो देख लेता हूँ मैं अपने मन की आँखों से तो पूरी रात मेरी ख़ुद ब ख़ुद गरमाई रहती है //२ अमीरों की इमारत से निकाली जा चुकी है वो सुना है झोपड़ी में आजकल सच्चाई रहती है //३ बँटा है मुल्क पर अब भी ये सच है पार सरहद के किसी की दूर की मौसी, किसी की ताई रहती है //४ न जाने किसने तोड़ा है ग़ज़ल का दिल कि क्या बोलूँ वो मेरे पास भी आकर बहुत उकताई रहती है //५ बहुत हस्सास होकर पेश आना 'राज़' तुम उससे मिलन की रात हर लड़की बहुत घबराई रहती है //६ #राज़_नवादवी© #disturbed
Raz Nawadwi
#ग़ज़ल_غزل: २५५ ------------------------- 1222-1222-1222-1222 तेरे सादा सिफ़त चेहरे में यूँ ज़ेबाई रहती है कि जैसे दूध के अंदर छिपी चिकनाई रहती है //१ तुझे जो देख लेता हूँ मैं अपने मन की आँखों से तो पूरी रात मेरी ख़ुद ब ख़ुद गरमाई रहती है //२ अमीरों की इमारत से निकाली जा चुकी है वो सुना है झोपड़ी में आजकल सच्चाई रहती है //३ बँटा है मुल्क पर अब भी ये सच है पार सरहद के किसी की दूर की मौसी, किसी की ताई रहती है //४ न जाने किसने तोड़ा है ग़ज़ल का दिल कि क्या बोलूँ वो मेरे पास भी आकर बहुत उकताई रहती है //५ बहुत हस्सास होकर पेश आना 'राज़' तुम उससे मिलन की रात हर लड़की बहुत घबराई रहती है //६ #राज़_नवादवी© #Waterfall&Stars
#waterfall&Stars
read moreRaz Nawadwi
#ग़ज़ल_غزل: २५५ ------------------------- 1222-1222-1222-1222 तेरे सादा सिफ़त चेहरे में यूँ ज़ेबाई रहती है कि जैसे दूध के अंदर छिपी चिकनाई रहती है //१ तुझे जो देख लेता हूँ मैं अपने मन की आँखों से तो पूरी रात मेरी ख़ुद ब ख़ुद गरमाई रहती है //२ अमीरों की इमारत से निकाली जा चुकी है वो सुना है झोपड़ी में आजकल सच्चाई रहती है //३ बँटा है मुल्क पर अब भी ये सच है पार सरहद के किसी की दूर की मौसी, किसी की ताई रहती है //४ न जाने किसने तोड़ा है ग़ज़ल का दिल कि क्या बोलूँ वो मेरे पास भी आकर बहुत उकताई रहती है //५ बहुत हस्सास होकर पेश आना 'राज़' तुम उससे मिलन की रात हर लड़की बहुत घबराई रहती है //६ #राज़_नवादवी© #hugday
Raz Nawadwi
#ग़ज़ल_غزل: २२३ -------------------------- 2122-2122-2122-212 वक़्त रोज़ोशब की उल्टी गिनतियाँ गिनता रहा मैं मुसाफ़िर की तरह बस सीढियाँ गिनता रहा //१ खोज लूँगा चार पैसे पाव अद्धे के लिए इस ग़रज़ से मैं पुरानी रद्दियाँ गिनता रहा //२ ले गया सब माल कोई घर का ताला तोड़कर मैं बिना ताले की अपनी चाभियाँ गिनता रहा //३ बाद मुद्दत के किसी ने दी थीं फिर से हाथ में देर तक बच्चा मिलीं सब टॉफ़ियाँ गिनता रहा //४ लुट रही थीं अस्मतें, पिक्चर बनाता था कोई और कोई पैरहन की धज्जियाँ गिनता रहा //५ ले गया तुमको कोई शादी करा के और मैं नौकरी के वास्ते बस डिग्रियाँ गिनता रहा //६ सामने रुख़सत हुई वो लाल जोड़े में ऐ 'राज़' और मैं उसकी पुरानी चूड़ियाँ गिनता रहा //७ ~राज़ नवादवी© #Bechain_man
Raz Nawadwi
#ग़ज़ल_غزل: २०४ -------------------------- 1222-1222-122 है खाना तो रखा, थाली नहीं है वो क्या है, घर पे घरवाली नहीं है //१ बुरा है हाल तेरे बिन किचन का पियूँ मैं चाय क्या, प्याली नहीं है //२ बियाबां क्यों न हो जाए मेरा घर बगीचा है मगर माली नहीं है //३ लगूँ सरकार को गाली मैं देने अभी इतनी भी कंगाली नहीं है //४ अबे आ जा कमीने भाई मेरे कि ऐसा बोलना गाली नहीं है //५ बहाया ख़ून मज़हब ने यहाँ भी नबातों में भी हरियाली नहीं है //६ कहाँ जाओगे मरकर तुम अदम में कोई कमरा वहाँ ख़ाली नहीं है-//७ न आना हम अदीबों के महल्ले कि इस बस्ती में ख़ुशहाली नहीं है //८ दुआ भी क्या करें हम बर्गे नौ की किसी भी पेड़ में डाली नहीं है //९ बिगड़ जाती हैं फ़सलें 'राज़' वाँ तो जहाँ खेतों की रखवाली नहीं है //१० #राज़_नवादवी© #worldnotobaccoday