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Anjali Singhal
꧁ARSHU꧂ارشد
अधूरा महसूस करते हैं ख़ुद को आज कल , जैसे छोड़ गया हो कोई तामीर करते करते .. ©꧁ARSHU꧂ارشد अधूरा महसूस करते हैं ख़ुद को आज कल , जैसे छोड़ गया हो कोई तामीर करते करते ... Manisha Keshav Ritu Tyagi Bandita Ishika NIKHAT (अलफ़ाज़ मेरे अप
Vikas sharma
White कैसे कह दूं कि अब वो मेरे लिये है तेरे हिस्से का वक़्त तो अब भी सिर्फ... तेरे लिये है ©Vikas sharma #mountain तेरा वक़्त
Das Sumit Malhotra Sheetal
꧁ARSHU꧂ارشد
White न समझो ,मेरा दिल ही अकेला ख़तावार है , मेरी बर्बादी के अफ़साने में तेरा भी नाम शुमार है .... ©꧁ARSHU꧂ارشد न समझो ,मेरा दिल ही अकेला ख़तावार है , मेरी बर्बादी के अफ़साने में तेरा भी नाम शुमार है ... Sneh Prem Chand Disha jhanvi Singh Shayra Maaahi
꧁ARSHU꧂ارشد
न समझो ,मेरा दिल ही अकेला ख़तावार है , मेरी बर्बादी के अफ़साने में तेरा भी नाम शुमार है ... ©꧁ARSHU꧂ارشد न समझो ,मेरा दिल ही अकेला ख़तावार है , मेरी बर्बादी के अफ़साने में तेरा भी नाम शुमार है .... Manisha Keshav NIKHAT (अलफ़ाज़ मेरे अपने ) Beena
Rabindra Kumar Ram
यूं हासिल होने को हम भी हो जाये , हमें मुहब्बत से भी चाहे कभी कोई . " ये इल्म तेरा यकीनन इल्म तेरा ही हो , तुम हमारे ख़सारे पे ग़ैर तो फ़रमाओ . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram यूं हासिल होने को हम भी हो जाये , हमें मुहब्बत से भी चाहे कभी कोई . " ये इल्म तेरा यकीनन इल्म तेरा ही हो , तुम हमारे ख़सारे पे ग़ैर तो फ़रम
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच
Manju kushwaha
White वो बच्चे जो निकले थे कभी कमाने के लिए फिर लौटे ही नहीं वापिस घर आने के लिए ll मन में इक ख़लिश दबाये लौटे जो कभी उस गली.. वो आए तो बस अपनी शानो-शौकत दिखाने के लिए ll वो जाले से लिपटा मकान जो सुन्दर घर हुआ करता अब वो ही करते हैं बातें उसे बेच जाने के लिए ll विरान पड़े हैं बाग बगीचे और गुलिस्तान सारे.... कि कोई आता ही नहीं उन्हें फिर से बसाने के लिए ll अब शौकीन हुए हैं सभी ऊँची ऊँची अट्टालिकाओं के जर्जर है गाँव का वो घर कौन आए उसे सजाने के लिए ll मंजू कुशवाहा ✍️🌹💞 ©Manju kushwaha #शहर
Sarfaraj idrishi
मोला अली फरमाते हैं किसी के दिल में मोहब्बत पेदा करके उसे छोड़ देना उसका क़त्ल करने के बरावर है..!! ©Sarfaraj idrishi #alone मोला अली फरमाते हैं किसी के दिल में मोहब्बत पेदा करके उसे छोड़ देना उसका क़त्ल करने के बरावर है..!!Internet Jockey gaTTubaba Aariya w