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Nitesh Jawa
कोरोना महामारी के चलते धारा 144 और लॉक डाउन जैसी सख्त पाबंदियों के बाद भी जमात जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करना व इनमें शामिल होना स्पष्ट करता हैं कि ऐसे लोगो के लिए देश व मानवता से बढ़कर धर्म हैं ! जो किसी भी देश के लिए अत्यंत दुखदायी हैं ! जमात
Sopiya_Uday
#_जमात_# आज ये देखो वक्त कैसा आ गया दुनिया में हर तरफ "कोरोना" छा गया। भारत में लाए इसे विदेश घूमने वाले सियासत तो देखो "जमात" के माथे आ गया।। #@जमात
Vikas Kumar Chourasia
सोच रहा था देश सारी रात आखिर क्या है, ये तब्लीगी जमात...? बस यही समझाने के खातिर कुछ ने थूक दिया कुछ नंगे हो गये अश्लील गाने, दारू-बीड़ी साले पल भर में भिखमंगे हो गये क्या गली में बैठे लुच्चे थे तुम जो जाहिल हरकत कर बैठे अगर ज्ञान सही था "उस मरकज का" तो औकात क्यों दिखा बैठे अब देखना है इस क़ुसूर का पश्चाताप कौन करेगा...? अल्लाह को जो बदनाम किया है भला वो भी कैसे माफ करेगा।। तब्लीगी जमात....
Kavi KamleshSoni
जमात का जमावड़ा चाइनीज चाचा जी के बड़े पापा जी के पापा जिन चमगादड़ो को समझा खिलौना था ।। ला इलाज वायरस लोग लापता हुए तो बड़े वैज्ञानिको को बड़ा आया रोना था ।। मौत की सुनामी देख सृष्टि भी कराह उठी जाने अनजाने छौना जा रहा था पिरौना था ।। भारत में होता न जमात का जमावड़ा तो अलविदा जनाजे की नमाज में कोरौना था ।। @kavikamleshsoni... #Corona_Lockdown_Rush #nojoto #जमात
Parasram Arora
आज बीच बाजार देखा गया दार्शनिकों का झुण्ड जो अपनी खोपडिया अपने सर पर रख कर गुहार लगाते दिखे "बुद्धि लेलो प्रज्ञा खरीद लो वो भी कौड़ियों क़े भाव मे " कितनी निरीह है दार्शनिकों की ये प्रजाति जो अपने पेट पालने क़े लिए बीच बाजार मे अपनी खोपडिया ( बुद्धि सहित ) बेचने क़े लिए विवश हो रही है क्या उनके प्रति हमें सहानुभूति नहीं प्रकट करनी चाहिए? ©Parasram Arora #दार्शनिकों की जमात
Ek villain
क्या आप स्वयं को साधु सिद्ध करने के लिए समाज से अलग चलते हैं नहीं कोई ऐसी जमात नहीं है जो मुझे साथ लेकर चल सके यह मैंने उनके साथ चल सकूं आप अकेला चल रहे हैं सिद्धांत पर विश्वास करते हैं यदि मार्ग सकते का है सरकार ने का है सद्भाव का है तो शक्तियां मुझे जुड़े बनाती है यह विचार आपको सिंह सिद्ध करते हैं किंतु ऐसा करके आप स्वयं को असुरक्षित नहीं कर रहे सुरक्षित या असुरक्षित होना अदरक भाव है जिसका अतीत स्थल पवित्र है उसे किसका वह उस दिन जब समर सामने था आप लोग क्यों आए जब सिंह को सामने जला फैला दिखलाया तब तो उसे चाहिए कि वह अपना मार्ग बदल ले मूर्ख के आगे शक्ति प्रदर्शन करना भी मूर्खता है पहले जाल को चूहे से को दबाने की कलम जब वह जानता है स्वयं को तर कर अपनी गरिमा क्यों गवाएं अपनी साधना के मार्ग पर बढ़ रही चुनौतियों का सामना कर कर कैसे पाएं चुनौतियों के सामने तो आना ही होगा और वह सामने आएंगी क्योंकि दुस्साहस के लिए भी साहस चाहिए और मैं उन्हें नहीं है साधु की जाती नहीं पूछी जानी चाहिए किंतु यह सब जातिगत है प्रसन्न आप पर भी उठते हैं मैं प्रसन्न की परवाह नहीं करता मैं मिट्टी का ऐतिहासिक वैभव लौटाना चाहता हूं मृत्य भूमि को जगतगुरु की गरिमा उठाना चाहता हूं जो मिट्टी गया मिटा दिया गया उस सत्य को सामने लाना चाहता हूं ©Ek villain # साधु ना चले जमात #RepublicDay
Kumar Shiv
मुझे बिजली भी तुमसी लगती है वो बस कड़कना जानती है, मैं बादल बन तो जाऊं पर मगर वो बादलों की भी कहां मानती है। ~कुमार शिव ©Kumar Shiv बिजली