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Mihir Choudhary
तुमने तो हँस के पूछा था बोलो न कितना प्रेम है बोलो कैसे मैं बतलाता बोलो ना कैसे समझता जब अहसास समंदर होता है तो शब्द नही फिर मिलते हैं उन बेहिसाब से चाहत को कैसे कैसे मैं बतलाता बोलो न कैसे दिखलाता बोलो न कैसे समझता तब भी हिसाब का कच्चा था अब भी हिसाब का कच्चा हूँ जो था वो ना मेरे बस का था अब तो जो हालात हुए उनसे तो मैं अब बेबस हूं अब अंदर -अंदर सब जलता है लावा जैसा सा कुछ पलता है धीमे धीमे कुछ रिसता है कुछ टूट-टूट के पीसता है नस-नस मैं जैसे कुछ खौलता है धड़कन बिजली सा दौड़ता है अब बेहिसाब ये यादे है बस बेहिसाब ये चाहत है बोलो क्या वो प्रेम ही था बोलो न क्या ये प्रेम ही है मिहिर... बिरहा
Anuj Ray
" बिरहा की रातें" न धुंआ न कहीं ,आग जला करती है, बिरहा की रातें यूं ही ,खामोश जला करती हैं जलता है बदन आग की लपटों में,दो बूंद की उम्मीद लिये, बेबसी हाथ मला करती है। फागुन का महीना हो, या घनी सावनी रातें, पिया मिलन की आस में, यूं ही ख़ला करती हैं। ©Anuj Ray #बिरहा की रातें
Diwan G
रिश्ते भावनाओं से जुड़े होते हैं, डर लगता है कि भावनाऐं खत्म न हों। Diwan G भावना #रिश्ते #भावना #संबन्ध
GUDDU PANDIT
लोग टूट जाते है एक छोटा सा घर बनाने मे. तुम तरस तक नही खाते घरों को जलाने में! Vicky❤️ # भावना
Ramkishor Saini India
।।।बहाना।।। आजकल जो दूर होते हैं उनसे किसी बहाने से बातें हो जाती है लेकिन जो पास होते हैं उनसे बात करने के लिए कोई बहाना भी नहीं चाहिए लेकिन फिर भी कोई बात नहीं होती।। Ramकिshor ###भावना##
Vijaay Tribhuvan
मी आज ही कविता लिहिली नक्की सर्वानी वाचा 💐💐भावना💐💐 Whatsapp Facebook च्या जमान्यात भावनाही झाल्या सोशल.. वाटते याचे खुप नवल. भावना नावापुरत्या सुध्दा नाही उरल्या . हसु येत नाही ,हसावे लागते.. रडु येत नाही ,रडावे लागते.. कोणाचीही दया येत नाही , दया करावी लागते... आठवण येत नाही, आठवण काढावी लागते... स्वप्न पडत नाही,स्वप्न पहावे लागते... जीवनाचा ORIGINAL आनंद ,भावना,सुख ,दुःख हे काही मनापासुन प्रकट होत नाही . करावी लागती फक्त भावनेची FORMALITY विजय नामदेव त्रिभुवन मो.नं ८६०५८९५२४४ रा.संघर्षनगर मुकूंदवाडी औरंगाबाद भावना
Sumedha Deshpande
अनावर झालेल्या अश्रूनां, नकळत लपवावे लागते, आणि अव्यक्त भावनांना, नबोलता सावरावे लागते. ++सुमेधा.. भावना