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Sonu Goyal
सारा दिन भटकने के बाद भी बाबा खाने का इंतेजाम नहीं कर पाए और इसी डर के साथ वो घर आने के लिए सोचते रहे वो जानते थे कि घर में सभी उम्मीद लगाये की बाबा खाना लेकर आएँगे पर खाने के लिए उन्हें एक दाना भी न मिला माँ भी गर्म तवे पर पानी के छीटे मार आस्वासन देती रही कि खाना बन रहा हैं परंतु भूख से परेशान कब तक कितना झूठ बोल पाती धीरे धीरे माँ ने अपने दोनों बच्चों को लोरी सुनाकर सुला दिया और ख़ुद भी इधर उधर भटकने के बाद बिस्तर पे गिरते ही सो गयी जब बाबा देर रात घर पहुँचे तो उन्होंने देखा कि माँ और दोनों बच्चे सो गये हैं बिना कोई आवाज़ किये पानी की एक घूँट पीकर ख़ुद भी सो गए सुबह सूरज निकलने से पहले जागकर बाबा घर से जाने लगे उन्होंने एक नज़र पलटकर अपने परिवार को देखा देखते उनके क़रीब जाकर फिर से वही आस्वासन देने की कोशिश की कि आज खाने का इंतेजाम हो जाएगा परन्तुबाबा जैसे ही उन्हें नींद से जग रहे रहे थे उनकी साँसे ज़वाब दे चुकी थी और आत्मा कह रही थी कि अब हमें खाने की ज़रूरत नहीं हैं अब हमें सुकून से सोने दो बाबा की उन्हें जगाने की कोशिश व्यर्थ गयी और बाबा इन सबके मौत का जिम्मेदार ख़ुद को समझने लगे देखते ही देखते बाबा इस घुटन भरी ज़िंदगी से आज़ाद होना चाहते थे कुछ देर उनके क़रीब बैठने के बाद जाने कब बाबा ने अपने प्राण त्याग दिए SONU GOYAL . ©Blackmailer_Girl read caption:-कई बार एक आम इंसान दिन भर मेहनत करने के बाद भी भूखा पेट रात गुजार लेता हैं क्योंकि उसे अपने आप से ज्यादा अपने परिवार की चिंता
Divya Joshi
वो रेत, और सूखे पत्ते रेत पर बनते बिगड़ते , कदमो के निशान , गवाह हैं गुजरते हैं रोज़ वहां से कुछ "इंसान" सभी साफ़ स्वच्छ वस्त्रों में लिपटे मलिन नहीं। "मलिन" तो बस "वो"एक ही घूमता है, हर रोज उन्ही वस्त्रों में वो "छोटू"… आगे की कविता कैप्शन में पढ़ें ©Divya Joshi वो रेत, और सूखे पत्ते रेत पर बनते बिगड़ते , कदमो के निशान , गवाह हैं गुजरते हैं रोज़ वहां से कुछ
Gopal Lal Bunker
रोटी ~~~~ भूख पेट की है आग बड़ी। बैठी है तन ज्यों सोन चड़ी।। जीव जगत को जो लगती है। पेट भरे से जो मिटती है।। ⚡✨⚡✨⚡ भूख लगी तो सब संसारी। करने लगे मेहनत भारी।। काम-धाम कर अर्थ कमाएं। लेकर दानें खाना खाएं।। ⚡✨⚡✨⚡ ( कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें ) @ गोपाल 'सौम्य सरल' दाल-भात या रोटी प्यारी। खाते हैं सब जन घरबारी।। रोटी सब्जी बहुत सुहाये। मय चटनी जी भर जाये।। ⚡✨⚡✨⚡ माँ रोटी में रस भरती है। स्वाद भोज में करती है।। दादी अपने हाथ खिलाती। सब बच्चों को बहुत सुहाती।। ⚡✨⚡✨⚡ रोटी घर की बहुत सुहाये। सभी पेट भर खाना खाये।। तोंद डकारें ले इठलाती। नींद बहुत फिर सबको आती।। ⚡✨⚡✨⚡ रोटी की आती है रंगत। जैसी हो तन मन की संगत।। मन होता है सबका वैसा। खाते हैं जो दाना जैसा।। ⚡✨⚡✨⚡ रोजी जैसी रोटी मिलती। रोटी जैसी काया फलती।। नीयत जैसी रोजी-रोटी। होती सद् या होती खोटी।। ⚡✨⚡✨⚡ प्राण जीव का है ये रोटी। इस खातिर है लूट खसोटी।। गिरा आदमी रोटी खातिर। लूटे सबको बनकर शातिर।। ⚡✨⚡✨⚡ नेक हृदय सब जन काम करो। नेक कमाई से नाम करो।। भूखे को तुम भोजन देना। छीन निवाला दोष न लेना।। ⚡✨⚡✨⚡ #रोटी #रोटीकीकीमत #रोटियाँ #चौपाई #कोराकाग़ज़ #glal #yqdidi [ चौपाई: 13/06/2022 ]~ ~~~~~~~~~~~~~~ रोटी ~~~~ भूख प
Juhi Grover
कुछ झूठी और भूखी स्त्रियाँ, खाना खत्म होते ही पेट दर्द का बहाना बना लेती हैं। #झूठी #भूखी #पेट #खाना #बहाना #स्त्रियाँ #yqhindi #bestyqhindiquotes
अनूप'बसर'
ऐ री चाकी जब मैं तेरे पेट में दाने डालती हूँ तब तू मेरे पेट भरने के लिए देती है, तेरा मुझपर सबसे ज्यादा अहसान है। मैं तेरी खातिर पेट भर पाती हूँ
महीला जनजागृती अभियान महाराष्ट्र.
कुछ लोग ये काम पेट भरने के लिये करते है हम उनसे सामान खरीदकर उनकी मदत कर सकते है! एक मदत किसीका पेट भर सकती है!
Shravan Goud
कल बेटी ( बहु को बेटी समान) के यहां गया कैसी है देखने को। बडी खुश नजर आ रही थी, देखकर ही पेट भर गया। फिर भी जबरदस्ती उसने मुझे गोंद का लड्डु और नमकीन दिया। बहु को खुश देखकर ही पेट भर गया।
Poet Maddy
जो स्वयं भूखी रहकर भी हमें भर-पेट खाना खिलाती है, वो माँ होती है...... जो जीवन की कठोर परिस्थितियों में भी मुस्कुराती है, वो माँ होती है...... जो हमारी हर छोटी-बड़ी गलतियों को पल-भर में माफ़ कर जाती है, वो माँ होती है....... जो अपनो आँसुओं को छुपाकर भी हमेशा मुस्कुराती है, वो माँ होती है..... जो धरती पर भी भगवान की भूमिका निभाती है, वो माँ होती है......... जो स्वयं भूखी रहकर हमें भर-पेट खाना खिलाती है, वो माँ होती है...... #Hungry#Mother#Tough#Mistakes#Tears#Smile#Earth#God......