Find the Latest Status about नश्वरता के पर्यायवाची शब्द from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, नश्वरता के पर्यायवाची शब्द.
Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
Parasram Arora
जीवन कुछ नहीं हैँ बस उसे तो रण चुकाना हैँ इस देह का समय और काल शाश्वत हैँ नश्वर फूल अकेला हैँ इस उपवन का विस्तीर्ण हैँ सागर की सतह तो क्या हुआ आदमी का जीवन तो बस जैसे तिनके का राग रंग और उत्स्व की महिमा हैँ कितनी जब उतरा आँगन मे झोंका उस. महा मृत्यु का हैँ भविष्य कितना बादल पर बैठी उस बूँद का तपी चट्टान पर गिर जब वो बन जाती भाफ क्या कह सकेंगे हम ये पाप था उस नश्वरता का ? नश्वरता........
Arora PR
कहाँ टिक पाता है. सांझ का इंद्रधनुष क्षितिजो पर देर रात होने तक नशवरता का ये सिद्धांत हमें अस्तितव सिखाता है. लेकिन शांशश्वतता की आसक्ति से सममोहित हमारा मन इस नश्वरता को नहीं समझ पाता ©Arora PR नश्वरता
ज्योति ਠਾਕੁਰ
अगर अब भी घमंड है झूठी काया पर, तो एक रोज वहाँ भी जाओ ,जहाँ आज लाइन लगी है । #नश्वरता
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Parasram Arora
अमरता भी आज नश्वरता की गलियों मे भटक रही हैँ शाश्वत की अमरबेल जो घर घर उगी थी आज वो भी सड़ने लगी हैँ मरघट मे पुरषार्थ की अर्थी जल रही हैँ बासंती चमन मे क्यों फिर से आज मरुस्थलीय पतझर की घुसपेठ हो रही हैँ जिस दिन से जन्मा हैँ आदमी उसी दिन से मरने की तैयारी चल रही हैँ ये सजी संवरी सी शृंगारित कब्रे बाहे पसारे आलिंगन का आवाहन कर रही हैँ नश्वरता की गलिया........
Parasram Arora
टुकड़ो में बिखरा सपना मेरी जिंदगी की कभी भी सच्चाई क़ो व्यक्त नही कर सकता धरती पर बिखरी एक झरी हुई वृक्ष की पत्ती भी जानती है कि ये उसका अंत है पर मेरा स्वप्न अपनी नश्वरता पर कभी ऊँगली नही उठा पाता ©Parasram Arora स्वपन और नश्वरता....
manoj kumar jha"Manu"
धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम। धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।। सुधा दे रही है वसुधा हमें तो, भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।। "भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"* वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।। (स्वरचित) * माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: (अथर्ववेद १२/१/१२) धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।
Surbhi Sneha
प्रभुता की दौड़ में, तू हार को प्रारस्थ कर उपभोक्ता की चाह में, तू जीत को सुनिश्चित कर.... विडम्बनाओं की ढेर में, तू खोल चच्छु बिम्ब को अवधारणाओ की फेर में, तू सत्य को प्रतिबिम्ब कर.... नश्वरता की उलझनो में, तू कर्म पथ निर्माण कर अमरता की सुलझनो में, तू स्वपन को साकार कर.... #अमरता vs नश्वरता....
लेखक ओझा
Autumn अगर व्यक्ति को नश्वरता की चेतना आ जाए तो विकारों की उत्पत्ति पर लगाम और महाभूत का ज्ञान हो जाता है। ©लेखक ओझा #autumn नश्वरता की चेतना