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Arunima dubey
बडा़ ही मुश्किल है ये जिंदगी का सफर साथ यहाँ सब छोड़ देते है अपनी जरूरतों का होता है सबको ख्याल यहाँ अपने ख्यालों के चलते कसमें वादे सब तोड़ देते है कसमें वादे तो फिर भी ठीक है लोग यहाँ इन्सानों तक को तोड़ के छोड़ देते है आदत लगाते अपना बनाते फिर किसी और को खुद से जोड़ लेते है बड़ा ही मुश्किल है ये जिंदगी का सफर एक हरे भरे पेड़ से सूख जाने तक का सफर....... ©Arunima dubey जिंदगी का पेड़.......
Rita Giri
मेरे घर के पास खडा़ वो "नीम " पिता सा लगता था, एक सदी की पीडा़ सहते , कुछ कड़वा सा लगता था । ---- रीता # नीम का पेड़
Reena Tanwar
Grandparents say वो आंगन का पेड़ पहले की तरह झूला नहीं झूलाता.. वो पहले की तरह अब उठ खड़ा नहीं होता.. आज़ कल मीठे फलों का वो स्वाद बी नहीं चखाता.. गुजरते वक्त के साथ वो बदलने का हुनर बी नहीं रखता बस वो वक्त से अब क़दम नहीं मिला पाता..। ©Reena Tanwar वो आंगन का पेड़..
Pradip Jaysab
यू तो पेड़ काटने का किस्सा न होता, अगर कुल्हाड़ी के पिछे लकड़ी का हिस्सा न होता। मां-बाप हैं तो सबका साथ हैं, वरना अपने को बिखेरने में किसी अपने का ही हाथ हैं। पेड़ काटने का किस्सा
Ehssas Speaker
यह पीपल का पेड़ अगर माँ होता आंगन तीरे। मैं भी उस पर बैठकर राधा बनती धीरे-धीरे॥ ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली। किसी तरह नीची हो जाती यह पीपल की डाली॥ तुम्हें नहीं कुछ कहती पर मैं चुपके-चुपके आती। उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाती॥ वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाती। अम्मा-अम्मा कह वंशी के स्वर में तुम्हे बुलाती॥ सुन मेरी बंसी को माँ तुम इतनी खुश हो जाती। मुझे देखने काम छोड़ कर तुम बाहर तक आती॥ तुमको आती देख बांसुरी रख मैं चुप हो जाती। पत्तों में छिपकर धीरे से फिर बांसुरी बजाती॥ गुस्सा होकर मुझे डांटती, कहती "नीचे आजा"। पर जब मैं ना उतरती , हंसकर कहती "रानी बेटी"॥ "नीचे उतरो मेरी बेटी तुम्हें मिठाई दूंगी। नए खिलौने, माखन-मिसरी, दूध मलाई दूंगी"॥ बहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आती। माँ, तब माँ का हृदय तुम्हारा बहुत विकल हो जाता॥ तुम आँचल फैला कर अम्मां वहीं पेड़ के नीचे। ईश्वर से कुछ विनती करतीं बैठी आँखें मीचे॥ तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं धीरे-धीरे आती। और तुम्हारे फैले आँचल के नीचे छिप जाती॥ तुम घबरा कर आँख खोलतीं, पर माँ खुश हो जाती। जब अपनी रानी बेटी को गोदी में ही पातीं॥ इसी तरह कुछ खेला करते हम-तुम धीरे-धीरे। यह पीपल का पेड़ अगर माँ होता आंगन तीरे॥ ©Ehssas Speaker #यह पीपल का पेड़