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chahat
मुस्कराहटो में देखो तुम खो न जाना। पैसों की चमक में मे देखो सो न जाना।। जीवन है,अनमोल सदा अपना। टूटे न मन,न कोई सपना।। प्रभु भक्ति में इसे लगाना।। गुरु दर्श पाकर चरणों में रम जाना। कठिन है रास्ते माना। पर तुम ना घबराना।। मुश्किल घड़ी में भी तुम प्रभु को ध्याना। सच्चे मन से तुम शीश झुकाना।। मिल जायेगा भक्तो सुखरूपी खजाना। कढ़ कढ़ में बसे प्रभु देखा सारा जहाना। त्याग भाव अपनाकर करो स्व कल्याना।। माना मुश्किल रास्ते होंगे पर,चलना। कपट फरेब से न किसी को छलना।। दान देकर असहायो के रक्षक बनना।। प्रभु खुद तुम्हारे साथ होंगे भरोसा रखना।। ठोकर खाने से पहले संभल जाना। लाठी हाथ लेने से पहले प्रभु भक्ति में राम जाना।। ©chahat प्रभु भक्ति
P.k.kushawah
शिव की भक्ति, शिव की अपार शक्ति मिले, ज़िंदगी भर खुशी की बहार आपके पूरे परिवार को मिले, महादेव की कृपा आपकी ज़िंदगी मे हमेशा बनी रहे, आपको ज़िंदगी के हर प्रयास मे सफलता मिले. ©Pankaj Kumar kushawah भक्ति शायरी #शायरी #भक्ति
Brij Bihari Shukla
शतं विहाय भोक्तव्यं सहस्रं स्नानमाचरेत् । *लक्षं विहाय दातव्यं कोटिं त्यक्त्वा हरिं भजेत् ।।* भावार्थ सौ कार्यों को छोड़कर भोजन करना चाहिए, हजारों कामों को छोड़कर स्नान करना चाहिए, लाखों कार्यों को छोड़कर दान देना चाहिए और करोड़ों कार्यों को छोड़कर प्रभु-भक्ति करनी चाहिए ©Brij Bihari Shukla #प्रभु_मूरत_देखी_तिन_तैसी #प्रभु #Krishna #भक्ति
Arjun Verma
महफिल उसी की है जो मुस्कुराना जानता हो, शमा उसी की है जो रोशनी जलाना जानता हो। इस दुनिया में मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे चर्च तो बहुत है लेकिन ईश्वर उसी का है जो सर झुकाना जानता हो। ©Arjun Verma भक्ति शायरी
DEVENDRA KUMAR
प्रभु की भक्ति में है सम्पूर्ण शक्ति हे सर्वव्यापक प्रभु, आप सम्पूर्ण सृष्टि का आधार हैं, क्योंकि आपकी महिमा, तो सारे जग में अपरमपार है । तीनों लोकों के स्वामी, हे परम परमेश्वर, कविराज 'देवेंद्र' का आपको सादर नमस्कार है । साधना में आपकी एकत्र है, ये सम्पूर्ण संसार, क्योंकि आप ही तो, हम सबके पालनहार हैं । सृष्टि का केंद्र बिन्दु भी आप हैं, और आपका ही भजन हृदयोद्गार है । हे प्रभु हम सब तो, आपकी ही अद्भुत कृति हैं, आपकी ही आत्मा तो सदा, हम सब में बसी है । आपके चरण कमलों में तो मैं, और सारा संसार नतमस्तक है, क्योंकि आपका अपार प्रेम ही तो, हमारे जन्मो- जन्म का उद्धार है । सत्य, सदकर्म और परिश्रम ही, एक अच्छे मनुष्य के गुण हैं, और इनका पालन करना ही, हमारा परम कर्तव्य है । विद्या ग्रहण करना, हम सबका मानव अधिकार है, और स्वयं को जान लेना भी, अत्याधिक आवश्यक है । मोह माया से दूर रहना, मनुष्य का अपना कर्तव्य है, और सही गलत की पहचान रखना, बहुत ही जरूरी है । जो आत्मनिर्भर हैं और जीवन जी रहे हैं खुशी से, वही तो आज सक्षम हैं और उन्हीं का नामोनिशान है । मुझपर कृपा रहे सदा, हे परम परमेश्वर आपकी, सभी देवों के देव से, बस यही मेरी पुकार है । - Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # प्रभु की भक्ति में है सम्पूर्ण शक्ति