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꧁Ahmad hussain꧂
मुझे हालात की तन्हाई से डर लगता है, बिखरी-बिखरी हुयी तन्हाई से डर लगता है, सोचता हूँ तेरे नाम की तस्बीह कर लूँ, फिर तेरे नाम की रुस्वाई से डर लगता है। ....Ahmad.hussain...✍️ #NojotoQuote 😞दो पल आपके साथ😞 मुझे हालात की तन्हाई से डर लगता है, बिखरी-बिखरी हुयी तन्हाई से डर लगता है, सोचता हूँ तेरे नाम की तस्बीह कर लूँ, फिर तेरे
Meenakshi Sethi
यादों में कहीं कोई सुराख न कर दे, इस बात से डर लगता है, छन-छन के बह न जाएँ एक-एक कर, इस बात से डर लगता है! फ़क़त ये चंद मोती हैं, जो सँभाले हैं जीने के लिए, लेकिन यूँ न समझ लेना कि मुझे मौत से डर लगता है! परछाईं की माफिक धीरे-धीरे सिमट रही है जिंदगी, सच तो ये है कि अब मुझे जीने से ही डर लगता है! दूध में शक्कर सा घोल, पिला दिया तुझे ऐ जिंदगी, अब जो बाकी बचा उस वजूद की कड़वाहट से डर लगता है! अपनाए जाने की चाह नहीं, ठुकराए जाने का गम नहीं, इस शुष्क दिल के और शुष्क हो जाने से डर लगता है! बंद होते किवाड़ों की चौखट पर उम्मीदें दम तोड़ती गईं, कहीं कोई जिंदा न हो उठे फिर से इस बात से डर लगता है! सरपरस्त तो हैं बहुत, अहल-ए-दिल कोई तो हो, मुझे महफिल में महफिल की तन्हाई से डर लगता है! यादों में कहीं कोई सुराख न कर दे इस बात से डर लगता है, सोचती हूँ तो लगता है,आजकल क्यों हर बात से डर लगता है! Meenakshi Sethi, Wings Of Poetry यादों में कहीं यादों में कहीं कोई सुराख न कर दे, इस बात से डर लगता है, छन-छन के बह न जाएँ एक-एक कर, इस बात से डर लगता है! फ़क़त ये चंद मो
Mairi AawaZ Suno
शरीफों की शराफत से डर नहीं लगता साहब अब तो पोलिस से डर लगता है अब जब भी खिड़की दरवाजों पर दस्तक होती है चोर उचक्के गुंडों से नहीं साहब पोलिस से डर लगता है अब आलम यह है जब भी गुजरता हो रास्तों से कोई पत्थर आ जाए पैरों में तो दंगाइयों से नहीं साहब पुलिस से डर लगता है जिन्हें मुल्क की हिफाज़त के लिए रखा है उन्हीं ने हमारे घरों को लूटा है साहब खाई है रिश्वत बे हिसाब और गरीब मासूम मजलूमों को पीटा है साहब यही वक्त था तुम्हारे पास अपने किरदार को बदल देते साहब इंसानियत जिंदा है अभ्भि दिलों में तुम्हारे ये मुल्क को बता देते साहब पर किया ना तुम ने अब भी ऐसा ना बुढ़े ना बच्चे देखें ना मां बहनों को देखा साहब हाथों को तोड़ा पैरों को तोड़ा किसी का तुमने सर है फोड़ा हद कर दी तुमने तो देखो किसी को जान से ही धोडाला साहब ना कहेना था ये सब मुझको पर हद कर डाली तुमने तो साहब पर अब कहना पड़ता है मुझको शर्म बड़ी आती है साहब अब बड़ी शर्म आती है बड़ी शर्म आती है मैं अपनी हिफाज़त के लिए किसके पास जाऊं साहब अब तो पुलिस ही जुल्म ढाती है जो बिक चुकी चंद सिक्कों में साहब ऐसी पुलिस पे शर्म आती है जो संविधान की बात ना करती जो संविधान से कामना करती उस पुलिस पे शर्म आती है उस पुलिस पे शर्म आती है ( खान रिज़वान ) #पोलिस से डर लगता है
Mairi AawaZ Suno
शरीफों की शराफत से डर नहीं लगता साहब अब तो पोलिस से डर लगता है अब जब भी खिड़की दरवाजों पर दस्तक होती है चोर उचक्के गुंडों से नहीं साहब पोलिस से डर लगता है अब आलम यह है जब भी गुजरता हो रास्तों से कोई पत्थर आ जाए पैरों में तो दंगाइयों से नहीं साहब पुलिस से डर लगता है जिन्हें मुल्क की हिफाज़त के लिए रखा है उन्हीं ने हमारे घरों को लूटा है साहब खाई है रिश्वत बे हिसाब और गरीब मासूम मजलूमों को पीटा है साहब यही वक्त था तुम्हारे पास अपने किरदार को बदल देते साहब इंसानियत जिंदा है अभ्भि दिलों में तुम्हारे ये मुल्क को बता देते साहब पर किया ना तुम ने अब भी ऐसा ना बुढ़े ना बच्चे देखें ना मां बहनों को देखा साहब हाथों को तोड़ा पैरों को तोड़ा किसी का तुमने सर है फोड़ा किसी की जान की परवाह ना की किसी को जान से ही मारडाला साहब ना कहेना था ये सब मुझको पर हद कर डाली तुमने तो साहब पर अब कहना पड़ता है मुझको शर्म बड़ी आती है साहब अब बड़ी शर्म आती है बड़ी शर्म आती है मैं अपनी हिफाज़त के लिए किसके पास जाऊं साहब अब तो पुलिस ही जुल्म ढाती है जो बिक चुकी चंद सिक्कों में साहब ऐसी पुलिस पे शर्म आती है जो संविधान की बात ना करती जो संविधान से कामना करती उस पुलिस पे शर्म आती है उस पुलिस पे शर्म आती है। ( खान रिज़वान ) #पुलिस से डर लगता है
Mairi AawaZ Suno
शरीफों की शराफत से डर नहीं लगता साहब अब तो पोलिस से डर लगता है अब जब भी खिड़की दरवाजों पर दस्तक होती है चोर उचक्के गुंडों से नहीं साहब पोलिस से डर लगता है अब आलम यह है जब भी गुजरता हो रास्तों से कोई पत्थर आ जाए पैरों में तो दंगाइयों से नहीं साहब पुलिस से डर लगता है जिन्हें मुल्क की हिफाज़त के लिए रखा है उन्हीं ने हमारे घरों को लूटा है साहब खाई है रिश्वत बे हिसाब और गरीब मासूम मजलूमों को पीटा है साहब यही वक्त था तुम्हारे पास अपने किरदार को बदल देते साहब इंसानियत जिंदा है अभ्भि दिलों में तुम्हारे ये मुल्क को बता देते साहब पर किया ना तुम ने अब भी ऐसा ना बुढ़े ना बच्चे देखें ना मां बहनों को देखा साहब हाथों को तोड़ा पैरों को तोड़ा किसी का तुमने सर है फोड़ा हद कर दी तुमने तो देखो किसी को जान से ही धोडाला साहब ना कहेना था ये सब मुझको पर हद कर डाली तुमने तो साहब पर अब कहना पड़ता है मुझको शर्म बड़ी आती है साहब अब बड़ी शर्म आती है बड़ी शर्म आती है मैं अपनी हिफाज़त के लिए किसके पास जाऊं साहब अब तो पुलिस ही जुल्म ढाती है जो बिक चुकी चंद सिक्कों में साहब ऐसी पुलिस पे शर्म आती है जो संविधान की बात ना करती जो संविधान से कामना करती उस पुलिस पे शर्म आती है उस पुलिस पे शर्म आती है ( खान रिज़वान ) #पोलिस से डर लगता है
Ravin Justine
गम मत कर मुझे उदासी से डर लगता है डरा नहीं तूफानों से अब खासी से डर लगता है #कोरोना खासी से डर लगता है ...
Mairi AawaZ Suno
शरीफों की शराफत से डर नहीं लगता साहब अब तो पोलिस से डर लगता है अब जब भी खिड़की दरवाजों पर दस्तक होती है चोर उचक्के गुंडों से नहीं साहब पोलिस से डर लगता है अब आलम यह है जब भी गुजरता हो रास्तों से कोई पत्थर आ जाए पैरों में तो दंगाइयों से नहीं साहब पुलिस से डर लगता है जिन्हें मुल्क की हिफाज़त के लिए रखा है उन्हीं ने हमारे घरों को लूटा है साहब खाई है रिश्वत तुमने बे हिसाब और गरीब मासूम मजलूमों को पीटा है साहब यही एक वक्त था तुम्हारे पास के अपने किरदार को बदल देते साहब इंसानियत जिंदा है अभ्भि दिलों में तुम्हारे ये मुल्क को बता देते साहब पर किया ना तुम ने अब भी ऐसा ना बुढ़े ना बच्चे देखें ना मां बहनों को देखा साहब हाथों को तोड़ा पैरों को तोड़ा किसी का तुमने सर है फोड़ा हद कर दी तुमने तो देखो किसी की जान ही लडाली साहब ना कहेना था ये सब मुझको पर हद कर डाली तुमने तो साहब पर अब कहना पड़ता है मुझको शर्म बड़ी आती है साहब अब बड़ी शर्म आती है बड़ी शर्म आती है मैं अपनी हिफाज़त के लिए किसके पास जाऊं साहब अब तो पुलिस ही जुल्म ढाती है जो बिक चुकी चंद सिक्कों में साहब ऐसी पुलिस पे शर्म आती है जो संविधान की बात ना करती जो संविधान से कामना करती उस पुलिस पे शर्म आती है साहब उस पुलिस पे शर्म आती है साहब ( खान रिज़वान ) #पुलिस से डर लगता है
सुसि ग़ाफ़िल
करीब आने से भी डर लगता है दूर जाने से भी डर लगता है | कैसी असमंजस की घड़ी है प्रेम जताने से भी डर लगता है || करीब आने से भी डर लगता है दूर जाने से भी डर लगता है | कैसी असमंजस की घड़ी है प्रेम जताने से भी डर लगता है ||
Rakesh Mishra
अंधेरे से डर लगता ज़रूर है। मगर नए सवेरे की उम्मीद भी है साथ मेरे अंधेरे से डर लगता ज़रूर है।
its_sukh3337
हमें धोखे से डर लगने लगा है जनाब इसलिए तो अकेलेपन से प्यार हो गया रोशनी को दिल से निकाल दिया मैने और अंधेरा मेरा यार हो गया मुझे धोखे से डर लगता है