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YQ Virat Tiwary
Aditya Dixit
निशब्द और नेत्रहीन पर जिम्मेदार और जानकार #निशब्द #नेत्रहीन #जिम्मेदारी #जानकर #यकहिन्दी #yqbaba
Deeksha Kushwaha
Suraj kumar
यश के ऊचे अधियारें में, चमक रहे नव युग तारे, वो रुके नहीं जो थके नहीं, साहिल से चढ़कर खींचे तारे (pranjal patil)। सदियों से अज्ञान अंधेरा, धर्म जाति मतभेद रहे। इन सबको अब दूर करे, और खुशियों से हम भरपूर्ण रहे। सतयुग त्रेता द्वापर बीते, कलयुग भी अब बीत रहे। बेटी बोझ नहीं होगी, मिलकर हम सब वचन करे। जहां दे रहे पुण्य सभी को, वीरो के बलिदान अमर रहे। अग्रदूत बन जाए देश, जो अनुपम स्वर्ण विधान रहे। भारत मां के वीर सपूतों की, इच्छाशक्ति महान रहे। दुश्मन भी थर्रा जाए, जब दिल में हिंदुस्तान रहे। नई चेतना नई सोच से, जीवन सबके बदल रहे। नव युग है अब नए दौर में, मिल कर के हम साथ रहे। जले ज्योति जो जीवन के मन में, जीवन भर यूं ही जली रहे। तन्मय तिमिर ना आने पाए, ज्योतिर्मय जीवन बना रहे। तन्मय तिमिर ना आने पाए ज्योतिर्मय जीवन बना रहे। - सूरज कुमार देश की पहली महिला नेत्रहीन आईएएस ऑफिसर को समर्पित (प्रांजल पाटिल) "यश के ऊंचे अंधियारे में चमक रहे नवयुग तारे............
Vandna Sood Topa
माता सरस्वती शारदा तिमर मिटा दो,ज्योति जग दो नेत्रहीन को दे दो आँखें खिल उठे मुरझाई पाँखें
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
शैलपुत्री कत्यायनी , माता सुनो पुकार । द्वार तुम्हारे मैं खड़ा , बेबस औ लाचार ।। नेत्रहीन हम सब यहाँ , राह गये हैं भूल । एक सहारा आप हो , करो दूर अब शूल ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *शैलपुत्री कत्यायनी , माता सुनो पुकार ।* *द्वार तुम्हारे मैं खड़ा , बेबस औ लाचार ।।* *नेत्रहीन हम सब यहाँ , राह गये हैं भूल ।* *एक सहारा आप
Atul Sharma
*सुविचार* *Date-17/5/19* *Day-Friday* *आइए आज आपको एक कहानी सुनाता हूं*.... * *एक बार एक "नेत्रहीन व्यक्ति" गया मंदिर में... "*ईश्वर" के "दर्शन" प्राप्त करने... अब जब वहां उपस्थित लोगों को यह "ज्ञात" हुआ कि यह व्यक्ति "नेत्रहीन" है... तो कुछ लोगों ने उसका "उपहास" (मजाक) उड़ाना प्रारंभ कर दिया, वो जिसकी "स्वयं" की "दृष्टि" ही नहीं है... क्या करने आया होगा यहां...? "कदाचित" "ईश्वर" से" शिकायत" करने आया होगा कि... क्यों आपने मुझसे मेरी "दृष्टि" छीन ली किंतु इन सभी बातों से उस" नेत्रहीन व्यक्ति" ने स्वयं को "पीड़ित" नहीं होने दिया.... वह "मुस्कुराया" 🙂और उसने केवल एक ही बात कही... माना कि मेरे "भाग्य" ने मुझसे मेरी "दृष्टि"👁 छीन ली किंतु मैं" अभागा" नहीं हूं... क्योंकि मेरा "ईश्वर" वो मुझे" देख" सकता हैं. स्मरण रखिएगा... "दृष्टि"👁 नहीं" दृष्टिकोण" आवश्यक है यदि आपका" दृष्टिकोण" "शुभ" है... तो "अशुभ" में भी "शुभ" स्वयं दिखने लगता है और "मन" सदैव "प्रसन्न" रहता है..... Bý-Åťüľ Şhãřmå 🖊️🖋️✨✨🙏🏻 *सुविचार* *Date-17/5/19* *Day-Friday* *आइए आज आपको एक कहानी सुनाता हूं*.... * *एक बार एक "नेत्रहीन व्यक्ति" गया मंदिर में... "*ईश्वर" के
M.k.kanaujiya
मेरी हर अदा हर आरजू में तुम हो, जो देखा है कभी तन्हाईयों में, ओ संजोता ख्वाब तुम हो, मिल जाते हैं जैसे नेत्रहीन को चक्षू त्यों ही एक इन्तखाब हो तुम। ©M.K.kanaujiya 💐मेरी हर अदा हर आरजू में तुम हो, जो देखा है कभी तन्हाईयों में, ओ संजोता ख्वाब तुम हो, मिल जाते हैं जैसे नेत्रहीन को चक्षू त्यों ही एक इन्तखा
mysterious girl
मन की आखों से देखों क्योंकि मन की आंखें रूह तक में झाँक लेती हैं, हर छिपे हुए सच को कुछ यूँ ताक लेती हैं, दिखता नहीं जो भी खुली इन आंखों से, हर उस मंज़र का सच भी नाप लेती हैं, लाख पर्दों और पहरों से भी छुपा हो सच, मन की आंखें हर पर्दा कुछ यूँ गिराती हैं, समुद्र सी गहराई से भी सच बाहर लाती हैं। मन की आंखें असाधारण सा भी काम कराती हैं, बिन नेत्र-ज्योति भी 'सूरदास' सा नाम कराती हैं। ©mysterious girl 'मन की आंखें' वाकई कमाल होती हैं, जो हमारी बाहरी आंखों को दिखाई नहीं देता ये हमें वो सब भी दिखाती हैं, कभी कुछ 'अलौकिक' अनुभव भी कराती हैं।
officialrk
Must read story in caption👇👇👇👇👇👇👇👇👇 एक बार जरूर पढे.2 min ka समय देकर... Thanku.. 💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎 *👇👇 आज का प्रेरक प्रसंग 👇👇* *!! नेत्रहीन संत !!* ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ एक बार एक राजा अपने सहचरों के साथ शिका