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नेहा
हम कुछ बता न सके, मन के भावों को जता न सके, पर तुम 'नेह', को समझ लोगे, जो कहा नहीं वो जान लोगे, ये नेह का दस्तूर है, समझने वाला समझता है, चाहे कितनी दूर है। #नेह का दस्तूर #yqdidi #नेह_के_धागे #यकहिन्दी
Hari Mohan
ऊपर लिखी हुई पंक्तियां काल्पनिक है, इनका वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं है।।। 😜😜😜😜😜 #यकहिन्दी Krishna Mandal #YourQuoteAndMine Collaborating with SARMITA SETHI
रिंकी✍️
बेटी आंखो में जो चुभे तब वो कांच हो गई जब बेटी एक के बाद एक बेटे की ख्वाहिश में बेटी पांच हो गई बड़ी तो पढ़ न सकी उससे छोटी ठीक से बढ़ न सकी बाकी के अभी बहुत छोटे है बाप की कमाई से ठीक से उनका पेट भर न सकी अब औरत और आदमी दोनो कमाते है सबसे छोटी छह महीने की छोटी है मां की गर्माहट के लिए दिन रात वो रोती है। बड़ी छोटी को सीने से लगाती है। कभी अपनी उंगलियां सकी मुंह में चटाती है। बड़ी तो बड़ी नहीं उम्र से लेकिन जिम्मेदारियों से बड़ी हो गई मां तो नहीं रहती घर में लेकिन बड़ी ..... बहनों के लिए मां बनकर खड़ी हो गई ✍️रिंकी बेटी आंखो में जो चुभे तब वो कांच हो गई जब बेटी एक के बाद एक बेटे की ख्वाहिश में बेटी पांच हो गई बड़ी तो पढ़ न सकी उससे छोटी ठीक से बढ़ न सकी बाकी के अभी बहुत छोटे है
रिंकी✍️
कोई खड़ा है जोर देकर देखो नींद के दरबाजे पर बड़ा ही सन्नाटा है सब खाली खाली है गौर से सुनो शोर के दरबाजे पर तुम अकेले हो तुमने कहा था पहले भी तुम अकेले थे लेकिन देखा था साथ सबने तुम्हे कल रात, रात के दरबाजे पर डरना मना है डर किस बात का है तुम्हे चुप क्यो हो , चुप सब है खड़े होकर देखो कभी तुम भी अल्फ़ाजो के दरबाजे पर रिंकी✍️ #गुंजाइश #यकहिन्दी #यकबाबा #यकबेस्टहिंदीकोट्स #यकफ़ीलिंग्स #यकदीदी
रिंकी✍️
मुझे विश्वास था तुम फिर दिखोगी 👇 नीचे कैप्शन में पढ़े तुम्हे याद है वो गली की लुक्कड़ हाँ उसी चाय की टपरी पर जिसके सामने एक राशन की दुकान हुआ करती थी हाँ वही जहाँ तुम अक्सर आया करती थी तुम्हे पता है या नही लेकिन मैं अक्सर तुम्हे वहाँ से
रिंकी✍️
मैं क्यो लिखता हूँ 👇 कविता अनुशीर्षक में पढ़े मैं क्यो लिखता हूं ये न पूछो बस यही समझ लो की जब अथाह दुखो से मिलकर पीड़ा में होता हूं और ह्रदय से रोता हूँ वेदना उमड़ जाती आँसू कागज़ से भरता हूँ
रिंकी✍️
किन्नर नही सिर्फ मैं इंसान हूँ तुम जैसी माँ इस बेरहम दुनिया मे यू न अकेला छोड़ मुझे , गलती नही मेरी , यू अंदर से न तोड़ मुझे। बाबा गलती नही मेरी, कि मैं ऐसी हूँ । माँ गलती नही मेरी , मेरा भी रक्त लाल है । मैं भी तुम जैसी हूँ। सम्मान दे सको तो देदो मुझे माँ मुझे दया नही चाहिए बाबा यू न देखो मुझे त्रिस्कार भरे नजरो से मुझे तो बस प्यार तुम्हारा चाहिए माँ गलती नही मेरी कि मैं ऐसी हूँ क्या करूँ मैं तुम्ही बताओ लडक़ी जैसे भाव मेरे जो दिखती लड़को जैसी हूँ छल कपट मैं क्या जानूं? माँ ..! छल कपट मैं क्या जानूं? माँ मैं भी तो सबकी तरह कोख़ से जन्मी क्या करूँ जो मैं बस दिखती नही तुम जैसी हूँ। यू न बचपन छीन मुझसे , मुझे अपने आँचल की छांव में रहने दे। तुझे माँ कह कर बुलाऊ, बाबा को बाबा कहने दे। किन्नर नही सिर्फ मैं , इंसान हूँ तुम जैसी। माँ इस बेरहम दुनिया मे, यू न अकेला छोड़ मुझे। गलती नही मेरी , यू अंदर से न तोड़ मुझे। बाबा गलती नही मेरी, कि मैं ऐसी हूँ ।
रिंकी✍️
हँस रहे है जनाब क्या हुआ ? हँस रहे है क्या कोई जोक सुना? नही नही जनाब वो कहते है मैं सच बोलती हूँ। मैं तो हर कदम पर झूठ टटोलती हूँ। इसलिए बस जोर जोर से हँस रही हूँ। आज कौन सा झूठ बोलू यही सोच रही हूं। लेकिन जनाब ये झूठ बोलने की आदत , सिर्फ मेरी नही । नेता भी भी भाषण में यही गाते है। हम तो जनता है विचारे फंस जाते है। डॉक्टरों की तो बस न पूछे जनाब । झूठ बोलकर पैसे बहुत कमाते है। आखिर नकली बीमारी की , दवा जो हम खाते है। झूठ तो बहुत बलवान है जनाब। यहाँ इसके दम पर साधारण मनुष्य भी, ढोंगी साधु और पंडित बन जाते है। ✍️रिंकी हँस रहे है जनाब क्या हुआ ? हँस रहे है क्या कोई जोक सुना? नही नही जनाब वो कहते है मैं सच बोलती हूँ। मैं तो हर कदम पर झूठ टटोलती हूँ। इसलिए बस जोर जोर से हँस रही हूँ। आज कौन सा झूठ बोलू यही सोच रही हूं। लेकिन जनाब ये झूठ बोलने की आदत ,
रिंकी✍️
मेरे बीते हुए पल। थोड़े आज और कल। हल्के से ,सरकते हुए धीरे धीरे सिमट जाते है , मेरे तकिये के नीचे। थकी हारी मैं! मेरे लेटते ही , मुझमे समाने लगते है । और मैं मुस्कुराने लगती हूँ। मैं जीने लगती हूँ ख्वाबो की दुनिया में कुछ सोचती हूं , और फिर, अपने आप मे बड़बड़ाने लगती हूँ अलग ही दुनिया बनाने लगती हूँ अचानक कोई स्पर्श की छुअन! स्वपनों का भंग। माँ का मुझे जगाना । फिर माँ से छुपाने लगती हूँ चेहरे पर हाथ रख मुस्कुराने लगती हूँ। ✍️रिंकी मेरे बीते हुए पल। थोड़े आज और कल। हल्के से ,सरकते हुए धीरे धीरे सिमट जाते है , मेरे तकिये के नीचे। थकी हारी मैं! मेरे लेटते ही , मुझमे समाने लगते है ।
रिंकी✍️
मैन देखा है पापा माथे की लकीरों पर जो शिकन थी, उस शिकन में छुपी परेशानियों को देखा है। काम से थके हारे आते अपनी थकान को मुसकुराहट में छुपाते मैंने देखा है पापा। मैन देखा है पापा आपके चहरे से टपकती पसीने की मोती, थोड़ी तन पर थोड़ी मस्तक पर होती। मैंने महीने की कमाई माँ की हथेलियों पर रखते खून पसीना एक कर हमारी ख्वाहिशों को पूरा करते बिन बोले ही हमारी जरूरतों को समझते मैंने देखा है पापा । मैने देखा है पापा, तनख्वाह वाले दिन भी आपकी खाली जेबों को। हाथो में पड़े छालो को मैने देखा है । कौन कहता है पापा कठोर होते है , पापा वह है जो अपने आँसुओ से हमारे आंसू धोते है । सायद इसलिए उनके पास पानी , पसीनो में ज्यादा आँसुओ में कम होते है । I love u appa मैन देखा है पापा माथे की लकीरों पर जो शिकन थी, उस शिकन में छुपी परेशानियों को देखा है। काम से थके हारे आते अपनी थकान को मुसकुराहट में छुपाते मैंने देखा है पापा। मैन देखा है पापा