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कसमें-वादे करके भी हम साथ कभी ना चल पाये खोये थे दोनों पर आखिर हम दोनों ही ना मिल पाये ! एक नई उम्मीद मिली थी, हमको जैसे ईद मिली थी विजय अर्थ था नाम का उसके,हमको जैसे जीत मिली थी जाग-जाग हर रात उसी में, हमको अपनी नींद मिली थी लिखते सारे गीत उसी पर, हमको अपनी पीर मिली थी जिद्दी होकर भी दोनों रूकने की जिद ना कर पाये प्यार बहोत सा करके आखिर हम दोनों ही ना मिल पाये ।। कान्हा थे आराध्य हमारे , महादेव को माना फिर भी राधे-राधे छोड़ के हमने ,"जय भोले" तो गाया फिर भी ताजमहल शीशे में कैद कर,उस तक भिजवाया भी था एक झरोखा हवा का उसकी,खैर ना ले पाया फिर भी बहोत सरल होकर भी दोनों कभी सरल ना हो पाये एक-दूजे के होकर आखिर हम दोनों ही ना मिल पाये।। तस्वीरों से रोज कहा जो वो तुमसे ही ना कह पाये, प्यार तुम्हीं से करके देखो प्यार तुम्हें ही ना कर पाये।। @"निर्मेय" ©purab nirmey विजय अर्थ था नाम का उसके #together
DEVENDRA KUMAR
"अनामिका" अ - अब तुम्हारे लिए सारा जीवन समर्पित है । मैंने बहुत से सपने देखे हैं तुम्हारे लिए, तुम्हें सदा अपने साथ खुश रखने के लिए । ना - नाम तुम्हारा रहता है हरदम लबों पर हमारे, जीना सिर्फ सीख रहे हैं हम तुम्हारे सहारे । हम तुम्हें पूरे संसार में सबसे ज्यादा चाहते हैं, तुम ही मेरी सच्ची जीवनसाथी हो, मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता । मि - मिलन की घड़ी का हमें इंतज़ार है और अपना ख्याल भी तुम रखा करो। हम सिर्फ तुम्हारे हैं और तुम सिर्फ हमारी हो । का - कामना बस यही करते हैं प्रभु से की वो हमें इतना सक्षम बनाए की हम दोनों एक खुशहाल जिन्दगी जी सकें, हम तुम्हें हमेशा बहुत प्यार करें और सदा खुश रख सकें, तुम्हारी हर इच्छा को पूरा कर सकें, हम दोनों का प्यार सच्चा है और हमेशा रहेगा ये हम दोनों वादा कर चुके हैं एक - दूसरे से । - Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # मेरी पत्नी "अनामिका" के नाम का अर्थ मेरे हिसाब से
Sakshi Tomar
धूप सी पिघलती शाम हूं कलियों सी खिलती रागिनी हूं जिसमिल सी आंखों का काजल हूं दोपहर में बीते समय सा सुकून हूं कानों में सबके मैं हल्की सी आवाज हूं मैं हर जगह न होकर भी हर पल में मौजूद हूं चेहरे से मेरी रूह तक कैसे पहुचोगे मैं कोई तितली कहां जिसे तुम आसानी से पकड़ सकोगे यूंही कहां मेरे अस्तित्व को छू पाओगे मैं साक्षी हूं मेरे नाम में ही कहीं रम जाओगे।। ©Sakshi Tomar आज समझाऊं अपने नाम का अर्थ #Sakshi #Kuchbatein✍️✍️
hardev Singh
सूरज का स्वभाव है जग को रौशन करना मगर मनुष्य का स्वभाव उसकी सोच पर निर्भर करता है क्योंकि उसे दो रास्ते मिलते हैं एक सुधरना दूजा बिगड़ना यह उसके चुनाव पर निर्भर करता है ©hardev Singh जीवन का स्वरूप
Ek villain
तभी विवश होकर वह अपने लव के ज्ञान को प्रदर्शित करने के लिए आज संख्यक अज्ञान प्रेरित भूमिकाओं को अपनाता है जो वस्तुत उसकी चारित्रिक दुर्बलता एवं बौद्धिक क्षमता का घोतक होती है ज्ञान को केवल सत्य आचरण गर्व है एवं आदर्श के मार्ग का अनुसरण करना होता है यह सब स्वता ही नियंत्रित अधिशाषी एवं इसी निर्दिष्ट होता है ©Ek villain ज्ञान का स्वरूप