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Vk srivastav
Unsplash सिर्फ़ बातों से कुछ नही होगा करोगे जितना उतना ही होगा सिर्फ़ रोना अगर नसीब पे है ज़िंदगी ख़त्म होगी,बाक़ी कुछ नही होगा ©Vk srivastav सिर्फ़ बातों से कुछ नही होगा #Life #Quotes #Shayari #viral #Trending #vksrivastav
सिर्फ़ बातों से कुछ नही होगा Life Quotes Shayari viral Trending vksrivastav
read moreParasram Arora
Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora कब?
कब?
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी कब छटेगे दुविधाओं के बादल साफ कभी अरमानो का आसमान होगा खता हमने कुछ की नही फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है कण कण में भगवान रहते फिर सर्वे कर गुमराह कियो है सियासी दाँव मजहब बन गया इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
#sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
read moreRakesh frnds4ever
White कहना सुनना आखिर कब तक !!??!! सहना सहना आखिर कब तक!!??!! क्रूरताओं और अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी खामोशियां,, आखिर कब तक!!??!! प्रताड़नाओं की मार के आगे दबती सुबकती मेरी सिसकियां,,,, आखिर कब तक!!??!! कहना सुनना आखिर कब तक !?! रोना धोना आखिर कब तक!?! सहना सहना आखिर कब तक!?! जीवन संघर्ष का युद्ध कब तक?!? प्राणों का ये ताना बाना कब तक?!? कब तक आखिर कब तक मैं ही क्यों आखिर कब तक!!???!!!!?? ©Rakesh frnds4ever #कहना_सुनना आखिर कब तक #सहना सहना आखिर कब तक,,,,,, #क्रूरताओं और #अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी #खामोशियाँ आखिर कब तक, प्रताड़नाओं
#कहना_सुनना आखिर कब तक #सहना सहना आखिर कब तक,,,,,, #क्रूरताओं और #अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी #खामोशियाँ आखिर कब तक, प्रताड़नाओं
read moreneelu
White बनने से पहले समझाना पड़ता होगा ना.. भ1गने से पहले चलना पड़ता होगा ना.. मरने से पहले जीना पड़ता होगा ना.. hai na .. ©neelu #sunset_time #मरने से #पहले #जीना पड़ता होगा ना
#sunset_time #मरने से #पहले #जीना पड़ता होगा ना
read moreShashi Bhushan Mishra
ख़्वाहिश कब लेती मंज़ूरी, रहती मन की बात अधूरी, भाग्य साथ देता तो होती, मनोकामनाएं सब पूरी, दीदावर मिल जाए सच्चा, नर्गिस कभी न हो बेनूरी, लोग मुकर जाते वादे से, रहती होगी कुछ मज़बूरी, मनचाहा मिल जाए कैसे, क़िस्मत के हाथों में छूरी, हरपा हुआ नहीं फल देता, छल प्रपंच से रखना दूरी, जीवन सफ़ल बना देता है, 'गुंजन' श्रद्धा और सबूरी, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #ख़्वाहिश कब लेती मंजूरी#
#ख़्वाहिश कब लेती मंजूरी#
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