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Simran Wadhwa
दिसंबर, चाय और ठंड दिसम्बर का महीना, ऊपर से तेरे बिन जीना!! अब तो बस, चाय ही तेरा विकल्प है!! एक मात्र अब, इस ठंड का सहारा है!! विकल्प means substitute!!! Sarcasm... Just for fun.. Deep meaning... #december
mamta jaiswal
जिंदगी में सारे रिश्तों की अलग अलग अहमियत होती है। किसी भी रिश्ते का कोई विकल्प नहीं हो सकता। ये हमारी सोच पर निर्भर करता है कि हम खुद को किसी की जिंदगी में विकल्प समझते है या अहम हिस्सा। ©sneha jaiswal #विकल्प
jagriti
जब इंसान के पास ऑप्शन हो, तब वह संघर्ष करना नहीं सीख सकता हैं! ©jagriti #विकल्प
Sanjeev gupta
#DelhiPollution धुंए की चादर ने ढक लिए छोटे बड़े शहर और गांव अंधियारे में डूब गई जिंदगी की नाव सांसे भी चल रही अटक अटक के विकल्प ना कोई मिल रहा जरा हटके विकल्प
Neophyte
ये कालिया,फूल,चमन क्या बहार देंगे ज़िन्दगी गुज़ार रहे है,गुज़ार देंगे जो तुम्हे चाहिए बस उसे छोड़कर ये दुनियावाले,और विकल्प हज़ार देंगे कुछ मासूमियत में हुई गलतियों को माफ करो ज़िम्मेदारिया है,गलतियां सुधार देंगे ज़िन्दगी का ज़हर और इसे पीने की ज़िद हम इसी ज़िद पर खुद को निसार देंगे तुम्हारा ज़ख्म, तुम्हारा मरहम लोग सारे मशवरें बेकार देंगे तुम्हारी क़ाबिलियत से इनको कोई लेना-देना नही ये तुम्हें अपना सोचा हुआ आकार देंगे बतायेंगे लोग तुममे हज़ार खामियां मग़र संवरने को ना कोई श्रींगार देंगे यही छीनेंगे तुमसे तुम्हारा सब कुछ यही तुम्हे तुम्हारे हिस्से का वक़ार देंगे इन्ही का नियम,कानून,व्यवस्था,अधिकार यही दुलार देंगे,यही दुत्कार देंगे ©क्षत्रियंकेश विकल्प!
नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
विकल्प जीवन में चारों ओर अंधेरा दिखने लगे, अकेलापन महसूस होने लगे, कोई अपना न दिखे , सांसारिक रिश्ते पराए होने लगे तो ईश्वर की शरण में जाना चाहिए। मनुष्य का स्वभाव है कि सांसारिक सुख पाकर ईश्वर को भूलने की गलती करता है। इस संसार में आकर हम स्वार्थ वश एक दूसरे के करीब होते हैं, संबंध जोड़ते हैं,अरमानों की दुनियां बसाना शुरू करते हैं। लेकिन जब वही स्वार्थ पूरा नहीं होता जीवन का रूप ही बदल जाता है। हम एक दूसरे से दूरी बनाना शुरू करते हैं। क्या कभी इन्सान ये सोंचता है कि जिस परमात्मा ने हमें सब कुछ दिया वो हम से कौन सा स्वार्थ चाहता है? उत्तर होगा कुछ नहीं। हमारी कोई न माने तो दुःख होता है या आसमान सिर पर उठा लेते हैं लेकिन वो कृपा सिंधु हर पल क्षमा करता रहता है। इस दुनियां में रहो तो जरूर लेकिन नेह उन्हीं से जोड़ो जो भव से पार करते हैं। * जो प्रभु दीनदयालु कहवा, आरती हरण वेद यश गावा। जपहु नाम जन आरती भारी, मिट ही कुसंकट होहि सुखरी। दीनदयाल विरद संभारी, हरहुं नाथ मम संकट भारी।🌹🙏जय श्री राम जय श्री कृष्ण जय श्री राधे। ©नागेंद्र किशोर सिंह # विकल्प