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Manju upadhyay
वीरता के साथ आगे बढ़ो,। एक दिन या एक साल में सिद्धि की आशा ना रखो.,।उच्च तम आदर्श पर दृढ़ रहो,। स्थिर रहो। , स्वार्थ परत व ईष्र्या से बचो, आज्ञापालक बनो। Manju upadhyay व्यक्तित्व का विकास
आपका अरविंद
*जूते फ़टे हो तो भी चल जाते है।* *व्यक्तित्व का रफ़ू जरा मुश्किल है।।* ©आपका अरविंद #व्यक्तित्व का रफू
SALTYSOUL
मोजे का छेद दिल पर दिन बढ़ता जा रहा था, साइकिल बिक चुकी थी, पत्नी के गले में एक मात्र मेरे होने की निशानी थी कब वो सब सुनार की शोभा बन गई अंदाज़ा नही हुआ बुशर्ट के छेद से मेरी मेहनत कहीं ज्यादा ही थी और तरक्की उतनी जितनी देखने वालों की आंखों में मेरे लिए भरोसा रत्ती मात्रा भी नहीं इस बार बारिश का इंतजार थोड़ा लम्बा भी तो था , गर्मी ऐसी की आत्मा सुखा दे और उसपर से ज्ञान देंगे सरकारी कर्मचारी की ये करो वो करो हम स्वतंत्र है ,मुझे कभी ऐसा लगा ही नहीं कोई हम पर अपना अधिकार नही समझता जिसे जब समय मिला रोंदता गया कुचलता गया फिर भी मुझे संतोष रहा मैं कभी उदास न हुआ जनता था की एक न एक दिन इसका अंत होगा होगा ज़रूर फिर एक दिन मेरा बेटा बाहर गांव से पढ़कर आया उस दिन बिना बारिश के खेत लहलहा रहे थे साइकिल के ना होने का कोई गम नहीं था फटी बुशर्ट भी थोड़ा अलग ही जांच रही थीं और आज राम की अम्मा बिना किसी साज श्रृंगार के ही हिरणी सी मचल रही थी कभी इस खेमे में तो कभी उस खेमे में पांव में तो चक्करघिन्नी लग गई हो और आशाओं को पर एक पिता अपने पुत्र को आशा मानकर ही तो बड़ा करता है पर हमेशा बेटा उस आशा पर खरा उतरे ये ज़रूरी तो नहीं मुझे लगा था की अब कर्ज़ उतर जायेगा हमारे किए हुए सभी पापों से हमे मुक्ति मिलेगी पर अब ऐसा नहीं है हम फिर से उसी जिंदगी को जी रहे जिससे बचने के लिए हमने बहुत बड़ी तपस्या की थी ,अब हम बस दो लोग ही है शायद पहले भी हम सिर्फ दो ही थे जिसने अपनी भूख को मारकर उसका पेट भरा जिसने आज पेट पर लात मार दी क्या करे हम उस समाज का अस्तित्व नहीं बन सके तो हमारे पास हमारा समाज और समझ दोनो जीवित है जीएंगे और आशाओं के शाखा को काट देंगे बस अब खुश रहेंगे। ©SALTYSOUL जीवन का पवित्र व्यक्तित्व #YouNme
Risabh shukla
इस दुनिया में कुछ भी अनमोल नही है समय एक दिन सबको मिट्टी में मिला देगा ।।ऋआ फाउंडेशन।। ©Prakash Pandit वेद गर्ग