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Devesh Dixit
किताबें करतीं हैं बातें मुझे किसी के सिसकने की, कहीं से आवाज़ आ रही थी। जो कि लगातार मेरे कानों से, आकर अब भी टकरा रही थी। ढूँढा उसको मैंने, पर कहीं न पाया, आवाज़ ने उसकी, कहर बरसाया। ध्यान को केंद्रित भी नहीं कर पाया, इस कदर उसने मुझको भटकाया। ध्यान लगाया आवाज़ पर, तो पाया, हल्की सी दबी साँसों को सुन पाया। कहीं पर लगा था ढेर, किताबों का, जिस पर लगी धूल को मैं देख पाया। निकलने लगा मैं जब वहाँ से, बोली तभी किताब तपाक से। यूँ ही देख कर मुझे जा रहे हो, मुझे बिना सुने ही भाग रहे हो। सुन कर दुविधा में आ गया, रुका मैं इंसानियत के नाते। तब जाकर समझ में आया, कि किताबें करती हैं बातें। ......................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #किताबें_करतीं_हैं_बातें #nojotohindi #nojotohindipoetry किताबें करतीं हैं बातें मुझे किसी के सिसकने की, कहीं से आवाज़ आ रही थी। जो कि लग
Anubha "Aashna"
कुछ रिश्ते नामों के मोहताज नहीं होते, परे होते हैं बंधनों के, जो परे होते हैं समय की हर कसौटी के, रिश्ते जिन्हें निभाया नहीं जाता, निभाया जा ही नहीं सकता.. ऐसे रिश्ते जिन्हें जिया जाता है, रिश्ते जो आज़ाद होते हैं मन की तरह.. और साथ रहते हैं धड़कन बनकर आखरी साँस तक.. रिश्ते जो जिए जाते हैं साथ रहकर, दूर होकर, यादें संजो कर.. रिश्ते जो चले आते है लबों पर मुस्कान की तरह खुशी की निशानी बनकर.. रिश्ते जो बसते हैं रूह में.. ऐसा ही रूहानी रिश्ता देने के लिए शुक्रिया.. ©Anubha "Aashna" आपके दिल से निकलने वाली हर दुआ कुबूल हो, उसकी नेमतें इतनी हो की अल्फाज़ शुक्रिया अता न कर सकें। जन्मदिन मुबारक साहिब..❤️
ARTI DEVI(Modern Mira Bai)
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White फकत जिनके लिए मनचला है इश्क,इस मानिंद इक *जलजला है इश्क//१ जो कहते है,सुकून ए मजा है इश्क, हमसे पूछिए*हिज्र में *कजा है इश्क//२ दिल्लगी वालों से बहुत जला है इश्क, सबने कहा बुरा नही भला है इश्क//३ किसी ने इजहारे इश्क़ में बढ़ाके दस्त,थमा दी बेक़रारी दम निकलने तक"शमा"के लिए*वलवला है इश्क//४ #shamawritesBebaak #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #nightthoughts फकत जिनके लिए मनचला है इश्क,इस मानिंद इक *जलजला है इश्क//१ *विनाश जो कहते है,सुकून ए मजा है इश्क,हमसे पूछिए*हिज्र में *कजा ह
Rohit Lala
एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे कहीं भी कुछ खाने को नहीं मिला. काफी देर भटकने के बाद उसे एक अंगूर का बगीचा दिखाई दिया. वह बगीचे में घुसी ताकि कुछ अंगूर खा सके. लेकिन बगीचा ऊंची दीवार से घिरा हुआ था. लोमड़ी बहुत कोशिश की पर दीवार कूद ना सकी. निराश होकर बैठने ही वाली थी कि उसे एक विचार आया. उसने सोचा कि वह बाग के रखवाले को बरगलाकर अंगूर प्राप्त कर लेगी. इसी सोच के साथ लोमड़ी बाग के बाहर जोर जोर से रोने लगी. रखवाले ने आवाज सुनी और बाहर निकल कर देखा. उसने लोमड़ी को रोते हुए देखा तो पूछा कि उसे क्या हुआ है. लोमड़ी ने कहा कि उसे बहुत प्यास लगी है और वह इसी बगीचे में लगे हुए मीठे अंगूरों का रस पीना चाहती है. रखवाला लोमड़ी की बातों में धोखा खा गया. वह यह नहीं समझ पाया कि लोमड़ी चालाकी से उसे बगीचे के अंदर जाने का मौका दिलाने के लिए यह सब कह रही है. वह दीवार का दरवाजा खोलकर लोमड़ी को अंदर ले गया. लोमड़ी अंगूर के बगीचे के अंदर गई और उसने खूब सारे अंगूर खाए. फिर वहां से निकलने का समय आया. जाने से पहले उसने रखवाले को धन्यवाद दिया और कहा कि ये अंगूर बहुत खट्टे हैं. यह सुनकर रखवाला चौंक गया. उसने सोचा कि शायद लोमड़ी की गलती से मीठे अंगूरों की जगह खट्टे अंगूर खा लिए. वह लोमड़ी की बातों में फिर से आ गया और यह देखने के लिए बगीचे के अंदर गया कि असल में अंगूर मीठे हैं या खट्टे. लोमड़ी इसी मौके की ताक में थी. जैसे ही रखवाला अंदर गया लोमड़ी ने दौड़ लगा दी और जंगल की तरफ भाग गई. रखवाला समझ गया कि लोमड़ी ने उसे धोखा दिया है. वह गुस्से से भरा हुआ था लेकिन कर भी कुछ नहीं सकता था. ©Rohit Lala एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे
Sagar Parasher
ना निकलने दिया एक भी आँसू, जब वो दूर हमसे जा रहे थे। एक एक कदम बढ़ाते हुए, मेरे सपनों को दफ़ना रहे थे। हम-नवाई के मंजर थे हर कहीं, बस हम चलते जा रहे थे। इतनी भी नकारा ना की थी मोहब्बत, जो धोखे हम ये खा रहे थे। ना पलट कर देखा उसने एक बार भी, हम ना नजरें उनसे हटा पा रहे थे। आंखों में उफनता समन्दर था, और वो वादे मुझे याद आ रहे थे। कहते थे धूप हो या फिर हो छांव, हर सुख दुख में साथ निभाएंगे। वो सपना था या ये सपना है, कैसे खुद को हम समझाएंगे। वो जो फ़ूलों से सहेजे थे सपने, कैसे उनको हम दफ़नाएंगे? हंसेगा आलम जब भी देखकर, कैसे उनको हम बतलाएंगे? अब ना सीखा किसी से मैंने लिखना, जाने ज़माना क्या पढ़ लेता है। जब जब लिखता हूँ मैं अपने दर्द को, उसे वो अपनी ही कहानी कहता है। ©Sagar Parasher ना निकलने दिया एक भी आँसू, जब वो दूर हमसे जा रहे थे। _Sagar Parasher 31.03.2024
Sagar Parasher
ना निकलने दिया एक भी आँसू, जब वो दूर हमसे जा रहे थे। एक एक कदम बढ़ाते हुए, मेरे सपनों को दफ़ना रहे थे। हम-नवाई के मंजर थे हर कहीं, बस हम चलते जा रहे थे। इतनी भी नकारा ना की थी मोहब्बत, जो धोखे हम ये खा रहे थे। ना पलट कर देखा उसने एक बार भी, हम ना नजरें उनसे हटा पा रहे थे। आंखों में उफनता समन्दर था, और वो वादे मुझे याद आ रहे थे। कहते थे धूप हो या फिर हो छांव, हर सुख दुख में साथ निभाएंगे। वो सपना था या ये सपना है, कैसे खुद को हम समझाएंगे। वो जो फ़ूलों से सहेजे थे सपने, कैसे उनको हम दफ़नाएंगे? हंसेगा आलम जब भी देखकर, कैसे उनको हम बतलाएंगे? अब ना सीखा किसी से मैंने लिखना, जाने ज़माना क्या पढ़ लेता है। जब जब लिखता हूँ मैं अपने दर्द को, उसे वो अपनी ही कहानी कहता है। ©Sagar Parasher ना निकलने दिया एक भी आँसू, जब वो दूर हमसे जा रहे थे। _Sagar Parasher 31.03.2024
Anuradha T Gautam 6280
पति पर झूठे मुकदमे करने वाली औरतों का टांका 100% बाहर भिड़ा रहता है...90% तो अपने ही जीजू या रिश्तेदारों संग व्यस्त रहती है, शादी तो बस समाज को दिखाने के लिए और पति से धन ऐंठने के लिए ही करती हैं..!! ऐसी औरतें शादी करके सबसे पहले पति को इस बात के लिए राज़ी करती हैं कि मैं भी गृहस्थी में आपके साथ हाथ बटाउंगी और मैं भी कोई काम-काज करूंगी... ताकि उन्हें घर से बाहर निकलने का मौका मिले और वो अपने आशिकों से मिल-जुल सकें..!! कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि धन की भूखी लालची लड़कियां जहां काम करती हैं, वही अपने से बड़े कर्मचारी या अधिकारी पर ही डोरे डालने लगती हैं... जबकि वो अच्छी तरह जानती है कि वो भी शादीशुदा व्यक्ति हैं फिर भी...लगी रहती हैं उसको रिझाने में.. वो भी सिर्फ इसलिए ताकि तरक्की/प्रमोशन हो जाएं... मेरे पैसे बच जाएं और वो ही सारे मेरे शौक और ब्रांडेड कपड़े, मेकअप और घूमने फिरने का खर्च पूरे करें...!! अपने फायदे के लिए किसी के भी साथ हमबिस्तर हो जाने पर इन्हें कोई अफसोस नहीं होता है....!! बाकी गृहणियों की तरह इनकी सोच नही होती है क्योंकि इनको मर्यादा में रहना गंवार पन लगता है...!! संस्कारी गृहणियों को ये गुलाम समझती हैं..!! ......... ...... ......... ...... ......... ...... ..... ..... ..... लिव इन रिलेशनशिप में रखैल बनकर रह लेंगी मगर इज्जत से ससुराल में नही रह पाएंगी क्यों कि... ससुराल में मर्यादा से रहना पड़ता है और बड़े-बुजुर्गों की रोक-टोक एवं हिदायतें सुननी पड़ती हैं..!! नोट-यह पोस्ट प्रेमी की खातिर या जिद पूरी करवाने की खातिर पति को झूठे मुकदमे में फंसाने वाली औरतों को समर्पित है, कृपया यह ना कहे कि "सभी एक जैसी नहीं होती" जो हैं या ऐसा करती हैं, उन्हें ही कहा गया है👍बाकी सभी घरेलू, गृहकार्य में दक्ष महिलाएं ही परिवार चला सकती है और सदैव सम्मान पाती हैं..!! सभी संस्कारी माताओं और बहनों को सादर 🙏🌹 #Repost #हर_बेटी_मेरी ©Anuradha T Gautam 6280 पति पर झूठे मुकदमे करने वाली औरतों का टांका 100% बाहर भिड़ा रहता है...90% तो अपने ही जीजू या रिश्तेदारों संग व्यस्त रहती है, शादी तो बस समाज