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Anuj Ray
पहली नौकरी " पहली पहली नौकरी ,मिलते ही मुंबई में, लाइन लग जाती थी ,शादी के लिए छोकरी। पहले के लोग मुंबई ,जाते ही थे इसलिए, मुफ़्त में मिलती थी वहां, नौकरी और छोकरी। दो सौ की तनख्वाह में, कर लेते गुजर बसर, छोटी सी खोली में, घर बसा रहते थे डोंगरी। फिल्मों की सी ज़िन्दगी, फिल्मी लव स्टोरी, जाने का गम नहीं ,तू नहीं तेरी जगह दूसरी। ©Anuj Ray # पहली नौकरी "
Dilip Kumar
White 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मनुष्य का शरीर मिलता है कृपया इसे सरकारी जॉब की तैयारी में बर्बाद ना करें आगे आपकी मर्जी ...…............................... #kumardil143@gmqil.com ......................................................... ©Dilip Kumar #Sad_shayri सरकारी नौकरी
रिपुदमन झा 'पिनाकी'
अजी नौकरी का भी अपना मज़ा है। जहां अपनी चलती नही कुछ रज़ा है। हुकम हाकिमों का बजाते रहो बस- यहांँ ज़िन्दगी हर घड़ी इक क़ज़ा है। दवाबों तनावों की बोझिल फ़ज़ा है। बिना पाप के भोगता नित सज़ा है। सवालों जवाबों से परहेज़ कर चल- यहाँ कोई सुनता नहीं इल्तिज़ा है। रहो जब तलक भी किसी नौकरी में। न कुछ और सोचो कभी ज़िन्दगी में। भुला दो सभी रिश्ते नाते जरूरत- लगा दो अरे आग अपनी ख़ुशी में। नियम हाकिमों के नए रोज बनते। कि साहब यहां ख़ुद ही उलझन में रहते। करें गलतियांँ हम तो सुनते हैं बातें - मगर इनकी ग़लती मुनासिब ही रहते। करो हर घड़ी सबकी तीमारदारी। जताए बिना अपनी कोई लचारी। न छुट्टी, न अर्जी, न आराम कुछ दिन- लगाए रखो नौकरी की बिमारी। ज़हन में ख़याल इसका ही जा-ब-ज़ा हो। अमल हुक़म हो चाहे बेजा बजा हो। चलेगी नहीं हुक्म उदूली एक भी - कि इसमें तुम्हारी न बेशक रज़ा हो। पड़ो चाहे बीमार या मर ही जाओ। मगर नौकरी अपनी पहले बचाओ। न जो कर सको तो अभी बात सुन लो- उठाओ ये झोला तुरत घर को जाओ। कभी कुछ न सोचो सिवा नौकरी के। नहीं तुम हो कुछ भी बिना नौकरी के। चलाता है घर बार यह नौकरी ही - करो रात - दिन हक़ अदा नौकरी के। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #नौकरी
ABRAR
चाह कर कौन छोड़ता है घर अपना हम मुहाजिर हैं इक नौकरी के लिए ©ABRAR चाह कर कौन छोड़ता है घर अपना हम मुहाजिर हैं इक नौकरी के लिए - अबरार Reeda
Rahul Ratnakar
ऑंखों में कैद,एक मंजर देखा है.. मैं प्यासा रहा,मगर संमदर देखा है। मुझे ना दिखाना खेल दुनिया के... मेनें हरियाली में भी,पेड़ों को बजंर देखा है। बड़े अजीब है,यहां रिश्ते निभाने के तौर-तरीके... एक हाथ में प्यार,तो दूजे हाथ में खंजर देखा है। मुझे ना दुआ देना,इन बारिशों में... फिर से जवां हो जाने की। मेनें बारिशों के बाद भी ज़मी को बजंर देखा है.. ©Rahul Ratnakar मेरी प्रियतमा के लिए।
paritosh@run
दूर जाने के लिए समंदर पार जाना जरुरी नहीं होता, कोई खलिश ठहर जाये मन में बस यही काफ़ी है l ©paritosh@run दूर जाने के लिए..
Sarfraj Alam Shayri
सरकारी नौकरी से ज्यादा बढ़कर न कोई फेयरनेस क्रीम है ना कोई जिम है, अगर तुम बैंगन भी हो तो शाही पनीर तुम्हारा है। ©Sarfraj Alam Shayri #wholegrain सरकारी नौकरी से ज्यादा बढ़कर न कोई फेयरनेस क्रीम है ना कोई जिम है, अगर तुम बैंगन भी हो तो शाही पनीर तुम्हारा है।
sabitaverma
कड़वा सच तुम निचे गिरके देखो कोई नहीं आएगा उठाने तुम जरा उड़कर तो देखो सब आएंगे गिराने. ©Sabita Verma #RoadTrip गिरने के लिए