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motivational writter Surendra kumar bharti
सच्ची घटना की कहानी हमारे जीवन के रास्ते का वो इक मंजर जो आज भी याद आता रहता है एक बार की बात है । कि मैं अपनी गाड़ी लोडर से लखनऊ से आगे महमूदा बाद जा रहा था । रात लगभग 2 बजे का टाइम था । मैं गाड़ी में सिर्फ अकेले म्यूजिक लगा कर गाने सुनते गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था । महमूदा बाद लगभग 25 किलो मीटर बचा होगा रास्ता बिल्कुल वीरान था चारो तरफ बस काली रात का भयानक सन्नाटा और जानवरों की वो ख़ौफ़नाक आवाजें दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था । मैं अपनी धुन में गाने गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था । तभी अचानक दूर सड़क धुंधली लाइट में दो काली परछाईं सी नजर आती है । कोई दूर हांथ हिलाकर कर हमें रोकने की कोशिश कर रहा था । मैं काफी डर गया की इतनी रात को कौन होगा । धीरे धीरे वो वो काली परछाईं इंसान के रूप में नजर आने लगी तभी देखता हूँ की इक औरत अपनी गोद में इक बच्चा लिए हांथ हिलाकर मुझे रोक रही मैं डरा सहमा सा धीरे से अपनी गाड़ी रोकता हूं । तभी वो औरत मेरे पास आकर रोती हुवी बोलती है । भईया मेरे बच्चे का एक्सीडेंट हो गया है मैंने देखा उस औरत की गोद में इक बच्चा था जिसके सर में चोट लगी थी । फिर हमने उस औरत से कहा हम इस रास्ते पर नए है । हमें नही मालूम की यहां खान डॉ. मिलेंगे तभी वो औरत बोली यहाँ से थोड़ी दूर पर ही एक डॉ. हैं उन्हीं के पास जल्दी चलिए हमनें भी देर ना करते हुवे गाड़ी को जल्दी से वहां से बढ़ा लिया । लगभग 5 किलो मीटर चलने के बाद एक अंधेरा मोड़ आता है औरत बोलती है हमसे की भईया बस मोड़ से मोड़ लीजिये बस 100 मीटर पर डॉ. का घर है । हमने भी गाड़ी मोड़ी और थोड़ी देर चलने के बाद देखा की दूर इक घर दिखाई दे रहा था । लेकिन वहां दूर दूर तक बस पेड़ ही पेड़ थे किसी दूसरे घर का नामोनिशान नही था मैं काफी डरा और उस औरत से पूछने के लिए जैसे ही सर घुमा कर देखता हूँ तो वो औरत और बच्चा दोनों गाड़ी में नही थे । मैं बहोत डर गया और फिर आगे की तरफ देखाता हूँ तो वहां वो जो घर दिख रहा था वो घर भी नही था । मैं और भी डर गया । मैंने डरते डरते गाड़ी घुमाई और वहां से वहां से गाड़ी भगाते हुवे महमूदा बाद ना जाकर सीधे घर चला आया । लेकिन वो मंजर आज भी अगर याद आ जाता है दिल दहल सा जाता है । दोबारा अगर उस तरफ जाना होता है तो मैं दिन दिन ही अपना काम खत्म करके चला आता हूँ । लेकिन वो मंजर आज भी आंखों के सामने घूमता रहता है । ©Surendra kumar bharti सच्ची घटना
motivational writter Surendra kumar bharti
सच्ची घटना की कहानी हमारे जीवन के रास्ते का वो इक मंजर जो आज भी याद आता रहता है एक बार की बात है । कि मैं अपनी गाड़ी लोडर से लखनऊ से आगे महमूदा बाद जा रहा था । रात लगभग 2 बजे का टाइम था । मैं गाड़ी में सिर्फ अकेले म्यूजिक लगा कर गाने सुनते गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था । महमूदा बाद लगभग 25 किलो मीटर बचा होगा रास्ता बिल्कुल वीरान था चारो तरफ बस काली रात का भयानक सन्नाटा और जानवरों की वो ख़ौफ़नाक आवाजें दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था । मैं अपनी धुन में गाने गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था । तभी अचानक दूर सड़क धुंधली लाइट में दो काली परछाईं सी नजर आती है । कोई दूर हांथ हिलाकर कर हमें रोकने की कोशिश कर रहा था । मैं काफी डर गया की इतनी रात को कौन होगा । धीरे धीरे वो वो काली परछाईं इंसान के रूप में नजर आने लगी तभी देखता हूँ की इक औरत अपनी गोद में इक बच्चा लिए हांथ हिलाकर मुझे रोक रही मैं डरा सहमा सा धीरे से अपनी गाड़ी रोता हूं । तभी वो औरत मेरे पास आकर रोती हुवी बोलती है । भईया मेरे बच्चे का एक्सीडेंट हो गया है मैंने देखा उस औरत की गोद में इक बच्चा था जिसके सर में चोट लगी थी । फिर हमने उस औरत से कहा हम इस रास्ते पर नए है । हमें नही मालूम की यहां कहाँ डॉ. मिलेंगे तभी वो औरत बोली यहाँ से थोड़ी दूर पर ही एक डॉ. हैं उन्हीं के पास जल्दी चलिए हमनें भी देर ना करते हुवे गाड़ी को जल्दी से वहां से बढ़ा लिया । लगभग 5 किलो मीटर चलने के बाद एक अंधेरा मोड़ आता है औरत बोलती है हमसे की भईया बस मोड़ से मोड़ लीजिये बस 100 मीटर पर डॉ. का घर है । हमने भी गाड़ी मोड़ी और थोड़ी देर चलने के बाद देखा की दूर इक घर दिखाई दे रहा था । लेकिन वहां दूर दूर तक बस पेड़ ही पेड़ थे किसी दूसरे घर का नामोनिशान नही था मैं काफी डरा और उस औरत से पूछने के लिए जैसे ही सर घुमा कर देखता हूँ तो वो औरत और बच्चा दोनों गाड़ी में नही थे । मैं बहोत डर गया और फिर आगे की तरफ देखाता हूँ तो वहां वो जो घर दिख रहा था वो घर भी नही था । मैं और भी डर गया । मैंने डरते डरते गाड़ी घुमाई और वहां से वहां से गाड़ी भगाते हुवे महमूदा बाद ना जाकर सीधे घर चला आया । लेकिन वो मंजर आज भी अगर याद आ जाता है दिल दहल सा जाता है । दोबारा अगर उस तरफ जाना होता है तो मैं दिन दिन ही अपना काम खत्म करके चला आता हूँ । लेकिन वो मंजर आज भी आंखों के सामने घूमता रहता है । ©Surendra kumar bharti सच्ची घटना
Ramsingh Nag
सच्ची घटना...... दिल्ली के पास गाजियाबाद में एक बच्चा पैदा हुआ जिसका वजन 20किलो ग्राम था। 5 मिनट के बाद वह खड़ा हो गया और 2 दिन के बाद वह दौड़ने लगा और 25 दिन के बाद उसका वजन 40 किलो ग्राम हो गया ये एक सच्चा वाक्य है........ क्योंकि,,,,, ये बच्चा भैंस का था,। ध्यान से पढ़ने के लिए धन्यवाद... ©Ramsingh Nag Health Tips सच्ची घटना #lost
AYUSH
ऐसे माहौल में दवा क्या है , दुआ क्या है , जहां कातिल ही खुद पूछे कि हुआ क्या है । । सच्ची घटना पे आधारित ।
Manish Ram
प्रेरणादायक कहानी सच्ची घटना सच्ची और प्रेरणादायक कहानी सुनाना चाहता हूं। यह कहानी एक ऐसी महिला के बारे में है जो एक बार सुंदर सिंह नाम के घोड़े का व्यवसाय करने वाली थी। महिला बचपन से ही घोड़ों का बहुत शौकीन थी, इसलिए उसने अपने बचपन से ही घोड़ों के साथ रहकर उनसे कुछ सीखा और नए घोड़ों के साथ खेलना शुरू किया। एक दिन उसका सपना सच हुआ और उसे सुंदर सिंह नाम का एक बहुत ही अच्छा और मजबूत घोड़ा मिल गया। उसने उसे ट्रेनिंग देना शुरू किया ताकि वह एक अच्छा स्पोर्ट्स घोड़ा बन सके। उसने लगातार अधिकतम मेहनत और सहनशीलता से काम किया। इसके अलावा, उसने घोड़े के पैरों को अच्छी तरह से देखभाल की और उसे अच्छी आहार दिया। गीतांजलि, नाम से मशहूर इस महिला ने अपनी लगन और मेहनत से सुंदर सिंह को एक बेहतरीन स्पोर्ट्स घोड़ा बनाया। वह अपने घोड़े को अगले स्तर तक ले जाने में सफल रही और उसकी कमाई से वह अपने परिवार को भी आर्थिक रूप से सहायता करने में सक्षम हुई। इस कहानी से हम यह सीखते हैं कि जीवन में सफलता के लिए लगन, मेहनत, धैर्य और अग्रसर होना बहुत आवश्यक होता है। जब हम अपने लक्ष्य के लिए दृष्टि निर्माण करते हैं तो उसे हम कभी नहीं छोड़ते और सफलता तक पहुंचने में जुट जाते हैं। ©Manish Ram सच्ची घटना पर कहानी #Subah #Kaha #kahaani #motavitonal प्रेरणादायक कहानी सच्ची घटना
Vivek kumar
कहते है कि भगवान शिव को दूध मत चढ़ाओ उन्हें भूख नहीं लगती अगर भगवान शिव को दूध नहीं चढ़ाना है तो मुर्दों पर कफन क्यों चढ़ाते हो उन्हें क्या निमोनिया हुआ है ©Vivek kumar सच्ची घटना पर आधारित #WorldEmojiDay2021