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Priya Gour
घूंघट में चाँद बादलों☁की घूंघट में चाँद🌒था उस दिन, तीज 😍का त्योहार था उस दिन, नहीं दिख रहा था चाँद 🌒उस दिन, तरसा 🙇♀रहा था अपने दीदार को चाँद🌒 उस दिन, मेरा चाँद 🙍♂भी नहीं आया मेरी गली 🏞उस दिन, उसे भी सजी सवरी 👸देखना था मुझे उस दिन, सादगी 🙍♀तो मेरी रोज ही देखता था ये रूप 👸भी देखना था उसे उस दिन, अपने मन🙇♂ की बात नहीं बताई मुझे उस दिन, और नहीं समझ पाया मेरे दिल का हाल 🤦♀वो उस दिन, मैं कितने बेकरार थी अपने🙍♂चाँद🌒 के दीदार के लिए उस दिन, {मैंने पूछा रोज की तरह जल्दी क्यों नहीं उगता 😌चांद इस दिन, मुझे कहा उसने चाँद 😚तो कब का उग गया है, मैंने पूछा कहां? उसने कहा आईना 🤳देखलो और कर लो दीदार चाँद का🙈} सब कुछ खास😍था हमारे लिए उस दिन, हम दोनों जो साथ👫 थे उस दिन, बादलों☁की घुंघट में चाँद🌒था उस दिन, फिर कुछ ही पलों में हो गया दीदार घूंघट 🌝में चाँद का उस दिन, बादलों की घूंघट से बेपर्दा🌕हुआ फिर चाँद उस दिन... #Ghoonghat#POD#Nojoto#Nojotohindi #Nojotoapp बादलों ☁की घूंघट में चाँद🌒था उस दिन, तीज 😍का त्योहार था उस दिन, नहीं दिख रहा था चाँद 🌒उस दिन,
Sneh Lata Pandey 'sneh'
नव वधू यामिनी श्रृंगारित जगमग तारक संग। श्याम वर्ण परिधान शुभ्र शोभित उसके अंग। आकुल चंदा के हिय उठता स्नेहिल मृदुल तरंग। प्रिया चाँदनी हर्षाई सी स्पंदित सरस उमंग। ©Sneh Lata Pandey 'sneh' #सजी यामिनी तारक संग
Er.Rajat Pratap Singh
माथे पर सजी बिंदिया का सुकूं , मुस्कुराते घर परिवार की रौनक , उलझन की सुलझन बन उलझती ज़िंदगी में , ढूंढती होगी खुद को कभी तुम , कभी खुद से , छुप जाती होगी .. भागती सी ज़िंदगी में हँसती बहुत तुम , कम ही लेकिन मुस्कुराती होगी , सिसकते होंगे कोने में कहीं.. ख़्वाब तुम्हारे भी ,अनसुना कर हर रोज़ उन्हें तुम आगे बढ़ जाती होगी उफ्फ़ भी न करती आंसुओं में भीग सबके जीवन का सुकूं बन धुंधला जाती होगी यूँ ही नहीं है मन को इश्क़ तुमसे ❤❤ ©Rajat Pratap Singh माथे पर सजी बिंदिया💝
Krutagna K
आज मैं सजी तो पूरा थी, फिर भी कमी थी तारीफ़ के शब्द थे, पर तेरे शब्द की कमी थी, श्रृंगार था, पर तेरे स्पर्श की कमी थी, फिर आईने में खुद को तेरी नज़र से देखा तो पता चला, में पूरी सजी थी । ©Krutagna K आज मैं सजी हूं #betrayal
kanchan Yadav
।।पत्तों से सजी डाली ।। "" पतझड़ ना समझ की डाल से बिछड़ जाऊंगा आशा रख नई कोपले बन फिर डाल पर आऊंगा बहार तो आती जाती रहेंगी में सदा तेरे साथ मुस्कराऊंगा मेरे होने से वन उपवन महकेगा हवा संग मिल नए तराने गाऊंगा ऊंची शाखाओं को फिर से सजाऊंगा लचक इधर-उधर मस्त पवन चलाऊंगा रंगीन फिजाओं को फिर से चमकाऊंगा फूलों संग मिलकर जहां को सजाऊंगा पतझड़ ना समझ डाल से बिछड़ जाऊंगा आशा रख नई कोपले बन फिर डाल पर आऊंगा ।।"" ।।kanchan Yadav।। #leaf #पत्तों से सजी डाली