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motivationsujitakmishra
वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि। मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ॥1॥ भावार्थ:-अक्षरों, अर्थ समूहों, रसों, छन्दों और मंगलों को करने वाली सरस्वतीजी और गणेशजी की मैं वंदना करता हूँ॥1॥ *भवानीशंकरौ वन्दे श्रद्धाविश्वासरूपिणौ। याभ्यां विना न पश्यन्ति सिद्धाः स्वान्तःस्थमीश्वरम्॥2॥ भावार्थ:-श्रद्धा और विश्वास के स्वरूप श्री पार्वतीजी और श्री शंकरजी की मैं वंदना करता हूँ, जिनके बिना सिद्धजन अपने अन्तःकरण में स्थित ईश्वर को नहीं देख सकते॥2॥ *वन्दे बोधमयं नित्यं गुरुं शंकररूपिणम्। यमाश्रितो हि वक्रोऽपि चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते॥3॥ भावार्थ:-ज्ञानमय, नित्य, शंकर रूपी गुरु की मैं वन्दना करता हूँ, जिनके आश्रित होने से ही टेढ़ा चन्द्रमा भी सर्वत्र वन्दित होता है॥3॥ *सीतारामगुणग्रामपुण्यारण्यविहारिणौ। वन्दे विशुद्धविज्ञानौ कवीश्वरकपीश्वरौ॥4॥ भावार्थ:-श्री सीतारामजी के गुणसमूह रूपी पवित्र वन में विहार करने वाले, विशुद्ध विज्ञान सम्पन्न कवीश्वर श्री वाल्मीकिजी और कपीश्वर श्री हनुमानजी की मैं वन्दना करता हूँ॥4॥ *उद्भवस्थितिसंहारकारिणीं क्लेशहारिणीम्। सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामवल्लभाम्॥5॥ भावार्थ:-उत्पत्ति, स्थिति (पालन) और संहार करने वाली, क्लेशों को हरने वाली तथा सम्पूर्ण कल्याणों को करने वाली श्री रामचन्द्रजी की प्रियतमा श्री सीताजी को मैं नमस्कार करता हूँ॥5॥ ©poetsujeet #रामचरितमानस #रामायण #spiritual #भक्ति #worship
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read moreashutosh
रामायण के पुनः प्रसारण के लिए सबका आभार । अत्यंत सुखद माहौल के निर्माण के लिए कोटि कोटि प्रणाम । श्री रामायण
श्री रामायण
read moreRaghuraj Tiwary (B2)
प्रभु की सब लीला सिया राम की ही रामलीला बेवजह ही घमंड में था रावण खाक कर दिया एक वानर ही लंका का क़िला। रामायण #रामायण #जय श्री राम
ARVIND KUMAR KASHYAP
कैकयी के वर मांगने और राजा दशरथ के मूर्छित हो जाने का समाचार जब राम के पास पहुंचा तो राम तत्काल कैकयी के महल में आए और कैकयी से बोले," माताश्री! पिताश्री के वचन कभी भंग नहीं होंगे। मैं आपकी इच्छा को आदेश मानकर पालन करुंगा।" राम अपने पिताश्री को समझा- बुझाकर जब वन को जाने लगे तो सीता तथा लक्ष्मण भी उनके साथ आ खड़े हो गए और वन में उनके साथ जाने का हठ करने लगे। किसी के समझाने पर भी जब वे नहीं माने तो राम ने अपनी सहमति दे दी। राम, लक्ष्मण और सीता जब तपस्वी का वेष धारण कर वन जाने के लिए तैयार हुए तो सारा राजपरिवार और संपूर्ण नगर शोक में डूब गया। सभी रोने लगे।उनका मार्गं रोकने लगे। परन्तु राम नहीं रूके। वे मंत्री सुमंत्र के साथ वन को चल दिए। ©ARVIND KUMAR KASHYAP श्री राम वन गमन(रामायण) रामावतार
श्री राम वन गमन(रामायण) रामावतार #पौराणिककथा
read moreAkash Tiwari
गोस्वामी तुलसीदास जी कृत श्री रामचरितमानस...🌺🙏🌺
गोस्वामी तुलसीदास जी कृत श्री रामचरितमानस...🌺🙏🌺
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