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Vishal sunil Aher.
दो बातों से आज देश का नुक़सान हो रहा है १) पढ़ाई में राजकारण ज्यादा और २) राजकारण में पढ़ाई कम #सोचिए
sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
इतने सवाल है कि,जवाब कैसे दे... अंधे के हाथ मॆं क़िताब कैसे दे..। मै नशे के खिलाफ़ नहीं हूँ जरा भी... लोग बंदर है फिर शराब कैसे दे..। मिरा वजूद दायरे मॆं नहीं आता... कुछ सोचिए तुम को हिसाब कैसे दे..। उसने हिफ़ाज़त की,बात बराबर है... काँटे कहने लगे गुलाब कैसॆ दे..। बड़ी शिद्दत से रुख़ पर दरिया उतरा... ये प्यास आँखों के चिनाब कैसे दे..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 सोचिए
rekha jain
सोचिए मौन और मुस्कान दोनों का इस्तेमाल कीजिए।मौन "रक्षा" कवच है, तो मुस्कान स्वागत-द्वार..। डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद ©rekha jain #सोचिए
अमिक कुमार
जब मुल्क के के लोगों को वापस लाओ , तो पता नहीं कैसे संविधान जल जाता है ? और जब मुसलमानों के नाम से दो देश बन जाए, तो यह कुत्ता की नजर में संविधान से जन्नत बन जाता है.. जरा सोचिए
POETICPOOJA
कितना अजीब है ना मन तुम्हारा हैं और तुम्हे मन में रहने वाला चाहिए शरीर तुम्हारा है इसको इसको इस्तेमाल करने वाला तुमको कोई और चाहिए ज़िन्दगी तुम्हारी है पर इसको चलाने वाला तुमको कोई और चाहिए प्यार से भरे हुए हैं फिर भी तुमको प्यार करने वाला कोई और चाहिए आख़िर क्यू होती हैं किसी की इतनी जरूरत क्या खुद पर खुद का जोर नहीं चलता क्या आप खुद को प्यार नहीं करते खुद को खुश नहीं रखते हमे जैसा चाहते है वैसा पा जाते है पर कभी सोचा है सब कुछ तो तुममें था तुम्हारा सब कुछ छीन के कोई और ले जाता हैं आख़िर इतना हक तुमने ही तो दिया उसको इस संसार में जरूरत से ज्यादा किसी को कुछ भी ना दिया जाता उसे आदत हो जाती हैं और वो आपके जैसे किसी और की तालाश में निकाल जाता हैं क्यू की आप ऐसे ही है आपको वैसा ही चाहिए और वैसा ही आपको मिलता भी हैं सोचिए जरूर
नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
जरा सोचिए हम लोग अक्सर क्यों ऐसा कहते हैं कि हम अकेले हैं ? इसे नादानी समझा जाय या सत्य से अंजान या फिर सांसारिक मोह माया का असर। क्या ऐसा सोचना ईश्वर का अपमान नहीं है। जहां तक मेरा मानना है जैसे ही सांसारिक रिश्ते हमसे दूरी बनाते हैं हम ऐसा कहना शुरू कर देते हैं। चाहे वो रिश्ता माता पिता, भाई बहन, प्रेमी प्रेमिका, दोस्त का ही क्यों न हो। दरअसल इन सांसारिक रिश्तों का एक दिन अंत तो होता ही है। इनमें से कोई रहता नहीं।एक दिन सभी एक दूसरे से जुदा हो जाते हैं। कोई पहले कोई बाद में। लेकिन सिर्फ परमात्मा ही हैं जो न कभी जुदा होते हैं न अकेला छोड़ते हैं। जन्म से लेकर मरण तक और उसके बाद भी सदा साथ निभाने वाला सच्चा हमसफर,हमदर्द सिर्फ वही है कोई दूसरा नहीं। सोते, जागते,चलते फिरते,सुख दुःख, हर पल वही साथ होता है। लेकिन हमें इसका एहसास ही नहीं होता।क्योंकि हम तो काम,क्रोध, मद,लोभ,ईर्ष्या के शिकार हैं। आंखों पर पट्टी बंधी है। जो सदा हमारे साथ है,हमारी रक्षा करता है, उसे ही भूल बैठे हैं। जब दुनियां ठुकराती है तब उनकी याद आती है। जरा सोचिए आप अकेले हैं या कोई साथ है।....नागेंद्र ©नागेंद्र किशोर सिंह # जरा सोचिए।