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FBAEC
कुंडली में आईपीएस आईएएस का योग आइएएस और आइपीएस के योग प्रतियोगी और उच्च पदों की परीक्षा में सफलता हेतु सर्वप्रथम पूरी तरह से उस परीक्षा में सफल होने के लिए दृढ़ण निश्चयी होना, पराक्रमी और अत्यंत बुद्धिमान होने के साथ-साथ जातक की कुंडली में लग्न, षष्ठ और दशम भाव का बली होना और इनके भावेशों का शक्तिशाली होना अत्यंत आवश्यक है। यह तृतीय भाव, भावेश व कुंडली में उत्तम स्थान पर प्रतिष्ठित होना भी महत्वपूर्ण है। प्रतियोगी परीक्षा में सफल होने के लिए जातक की जन्म कुंडली में सबसे पहले लग्न का बली व शक्तिशाली होने के साथ-साथ लग्नेश का उत्तम स्थान पर होना अति आवश्यक है। उसके बाद जातक के कर्म के भाव को देखा जाता है जो कि दशम भाव है। इस भाव के आवेश की प्रबलता से जाना जाता है कि जातक का व्यवसाय क्या होगा और वह उसमे कितना सफल होगा। जिन भावों के स्वामी दशम में होते हैं, उन्हें भी पर्याप्त बल मिल जाता है। यदि जातक की जन्म कुंडली में लग्न का स्वामी बलवान होकर दशम भाव में बैठे या दशम भाव में सभी शुभ ग्रह हों और दशम भाव का स्वामी बली होकर अपनी या अपनी मित्र राशि में होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो व्यक्ति दीर्घायु होता है और उसका भाग्य राजा के समान होता है। उसकी रूचि धर्म-कर्म में होती है तथा वह यशी होता है। नभसि शुभखगे वा तत्पतौ केन्द्रकोणे, बलिनि निजगृहोच्चे कर्मगे लग्नपे वा। महित पृथुयशा: स्याद्धर्म कर्म प्रवृत्ति: नृपति सदृशभाग्यं दीर्घामायुश्च तस्य।| सबले कर्मभावेशे स्वोच्चे स्वांशे स्वराशिशे जातस्तातसुखोनादयो यशस्वी शुभकर्मकृत।| दशमेश सबल हो, अपनी राशि, उच्च राशि अथवा अपने ही नवांश में होने पर जातक पिता का सुख पाने वाला तथा यशस्वी एवं शुभ कर्म करने वाला होता है। स्वस्वाभिमाना वीक्षित: संयुतो वा बुधेन वाचस्पतिना प्रदिष्ट:। स एव राशि बलवान् किल स्वाच्छेषैर्यदा दृष्ट युता न चात्र।| जो राशि अपने स्वामी से दृष्ट हो या युक्त हो अथवा बुध व गुरु से दृष्ट हो, वह लग्न राशि निश्चित रूप से बलवान होती है। इसके आलावा स्वस्वामी बुध गुरु के अतिरिक्त अन्य ग्रहों से दृष्ट अथवा युक्त हो तो निर्बल होता है। यदि जन्मकुंडली के लग्न व दशम भाव में सूर्य का प्रभुत्व हो तो जातक राजनेता या राजपत्रित अधिकारी और मंगल का प्रभुत्व हो तो जातक के पुलिस या सेना उच्च पद पर आसीन होने के संकेत मिलते हैं। इन भावों में अन्य अच्छे योग जातक के जीवन में यश कीर्ति व शक्ति और लक्ष्मी की प्राप्ति होने का संकेत देते हैं। बलि लग्नेश तथा शक्तिशाली दशमेश यदि लग्न व दशम भाव में हो तो जातक उच्च पद पर आसीन होता है। गुरु का प्रभाव भी यश एवं कीर्ति तथा शुभ कर्म करने वाले लोगों पर देखा जाता है। अधिकतर उच्च पदों पर कार्यरत जातकों की कुंडली में बुध आदित्य योग जरूर होता है। जातक के उच्च पद पर आसीन होना उसकी जन्म कुंडली के छठे भाव पर भी बहुत हद तक निर्भर करती है। छठे भाव पर भी बृहस्पति की दृष्टि अथवा उपस्थिति होना भी जातक के सफल होने का संकेत देती है। यदि दशम भाव पर छठे भाव और भावेश का प्रभाव अच्छा है तो जातक के शत्रु परास्त होंगे तथा सेवक स्वामीभक्त होंगे। दशम भाव की 6,7,9,12 वें भाव पर अर्गला होती हैं जिनके द्वारा दुश्मन, नौकर वैभव तथा निद्रा प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए चाणक्य ने कहा है कि जिस राजा के कर्मचारी वफादार होते हैं, उसे कभी परास्त नहीं किया जा सकता। नई नौकरी की शुरुआत देखने के लिए पंचम भाव की पड़ताल की जाती है। पंचम भाव जातक की योग्यता, शक्ति और सम्मान और राज्य की योग्यता के कारण को दर्शाता है। यह पूर्ण उच्च शिक्षा का भी भाव है। एकादश प्रथम, द्वितीय और अष्टम की दशम भाव पर अर्गला होती है। अत: यह भाव भी महत्वपूर्ण है। पंचम भाव दशम से आठवां होने के कारण कार्य का प्रारम्भ तथा उसकी अवधि को प्रभावित करता है। कुंडली के दशम भाव में कोई भी गृह उत्तम फल देने में स्वतंत्र होता है, लेकिन कुंडली के नवांश और दशमांश कुंडली का भी लग्न कुंडली की भांति सभी तरह के योगों की अच्छी तरह पड़ताल करने पर ही पूर्णतया फल-कथन किया जाना चाहिए। आर्थिक त्रिकोण 2, 6, 10 वें भाव पर निर्भर करता है। अत: इनका प्रभाव अवश्य ही महत्वपूर्ण होता है। ©FBAEC क्या आपकी कुंडली में आईपीएस और आईएएस बनने का योग है
ASHVAM
मुझे नही पता क्या होती हे खता और क्या होती हे सजा, बस ईतना है कि जब में तुझे न देखु तौ खता, ओर तु मुझे न देखे तौ सजा. @N.. ©Ashvam क्या होती है खता क्या होती हे सजा.
Amit Mishra
Sea water क्या होती है सुंदरता? मन सदा- सर्वदा रहा सोचता, क्या होती है सुंदरता? कैसा रंग -रूप है इसका, कैसा होता है आकार? कैसी छवि होती है इसकी, कैसे गुण और दोष प्रकार? कैसी चाल -ढ़ाल है इसकी, कैसी इसकी भाषा है ? कैसे छंद -बंध है इसके, क्या इसकी परिभाषा है? बोल उठी सुन मेरी कविता- सुनो ध्यान से बतलाऊं एक आइना है सुंदरता जिसके गीत सदा गाऊं न इक रूपक न इक मानक न इसका इक पैमाना हर जन- मन में पलती-फलती पृथक-पृथक पहने बाना जैसी सुंदरता जिस मन की, वैसी दर्पण हो साकार जैसा चेहरा- वैसा मोहरा, वैसी छवि लेती आकार तुमको जो अच्छा लगता है, मुझको तनिक न भाता है कोई तुम्हें लगे बदसूरत , हमको बहुत सुहाता है वैसे सुंदरता भावों की, अतिशय उत्तम होती है हर देश -काल -परिस्थिति में, यह ही सर्वोत्तम मोती है सद्भाव की फसल उगाएं, मन -मानस के खेतों में यह नौका तैरा सकता है, राजस्थान के खेतों में इसलिए सद्भाव धरो तुम, नित इसका विस्तार करो जन -गण -मन के मन -मानस में नित इसका संचार करो हे कविवर !यह ही सुंदरता सदा कलम से बहती है सुन विचार मन भया प्रमुदित कविता स्वयं चहकती है।। अमित मिश्रा 'एक भारतीय आत्मा' शिक्षक-जागरण पब्लिक स्कूल कन्नौज मो०9044265344 ©Amit Mishra क्या होती है सुंदरता
Santosh Kumar Jamwal
#DaughtersDay कभी ना समझी किसी ने एहमियत, क्या होती है बेटियाँ। कभी माँ, कभी पत्नी, तो कभी बहन होती है बेटियाँ। वो कभी नन्ही सी परी बन, काँधे पर तुम्हारे खेलती है। तो कभी बुढापे मे उंगली पकड, मार्गदर्शक बन जाती है। वो हमेशा कन्धा मिलाकर चलती है, असल मे पिता की शिक्षिका होती है बेटियाँ। हर सही गलत को भली-भांति जानती है, क्या समझते हो! मूर्ख नही है बेटियाँ। वो तुम्हारे बचपन मे माँ का नर्म स्पर्श है। तो वही तुम्हारी भार्या बन, संग जिवन बिताती है। देखता हूँ! सोचता हूँ! की क्या होती है बेटियाँ। तो समझता हूँ! की स्वयं आदिशाक्ति है बेटियाँ। अब समझे समाज भी एहमियत, कि क्या होती है बेटियाँ । क्या होती है बेटियाँ! क्या होती है बेटियाँ! "क्या होती है बेटियाँ"