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Kamlesh Kumar
भुला दिया बिता हुआ कल दिल मे बाशॉओ आने वाले कल हशो और हशाओ चाहे जो भी हो पल खुश्या लेकर आएगा आने वाला कल जय श्री राम 🚩🚩 ©Kamlesh Kumar #boat रओमिंट
@the soul of love and laughter
अज्ञात
पेज-26 दिव्या-जीजी क्या हुआ कुछ गड़बड़ है क्या.. ! पुष्पा जी-हट पगली कहीं की.. तुम... जल्दी आओ कुछ दिखाना है तुम्हें... . जल्दी... जल्दी... इतना कहकर पुष्पा जी ने सुधा का हाथ पकड़ा..और दौड़ लगा दी...उतनी ही जल्दी सुधा ने दिव्या का हाथ पकड़ा और दिव्या ने तुरत राखी जी का हाथ पकड़ लिया और फौरन दौड़ पड़ी ट्रैन... मंदिर की तरफ... चारों एक के पीछे एक तेजी से दौड़ रहे हैं... देखने वालों कों कुछ समझ नहीं आ रहा.. जो भी इन्हें भागते देखता, अपना काम धाम छोड़ छाड़ कर उनके पीछे दौड़ने लगा...! इधर उनको दौड़ते भागते देखा तो इन्हें दौड़ते देख श्रृंगार कर रही बिजली को लगा कोई दौड़ प्रतियोगिता चल रही है.. किसी ने उसे बताया तक नहीं... गांव की चैम्पियन रही है वो... गुस्से से लाल हुई जा रही.. सुधा को आवाज़ दी.. जिज्जी.. रूक... ओये जिज्जी... काय जिज्जी... ओ जिज्जी.... रुको तो.....!!!!! सा ररररर री हमें बताय भी नइ... शहर की छोरियां हमसे होड़ कर रइ...अभई देखो सारी सबखे पछाड़ खे रखे दे रये..... दौड़ री बिजुरिया...सर्र पट दौड़. 🏃♀️🏃♀️🏃♀️🏃♀️🏃♀️अभई पाय ले रय हम.. ससुरी समझ लइ....देशी दूध से कोल्ड्रिंक टकरा रओ... हमसे जीत जाहें कभऊ नइ.... यहाँ दौड़ने की पदचाप और तीव्र आहट और बिजली को दौड़ते देख प्रिया गौर घबराकर उनके पीछे दौड़ी.. 🏃♀️🏃♀️🏃♀️🏃♀️ प्रिया की आवाज़ सुनते ही शालिनी जी को लगा कुछ अनहोनी हो गई.. तुरंत मुख से जय शिवशंकर जय भोले नाथ और वो भी उसी तरफ दौड़ पड़ी... शालिनी जी को भागते देख और हल्ला सुनकर साधना बहन हाथ में बेलन लिये ही दौड़ पड़ीं.... इधर चंद्रवती बहन हाथ में घंटी लिये ही दौड़ पड़ी... अजीब भागमभाग... दौड़... दौड़... दौड़.... मानो... भाग मिल्खा भाग... हर हर महादेव.... ! वहाँ से हिसाम साहब की नज़र पड़ी... आनन फानन में हाथ में फावड़ा लिये ही दौड़ पड़े... फिर दौड़ के पीछे दौड़... 🏃♀️🏃♀️🏃♀️दौड़ के पीछे दौड़ 🚶♀️🚶♀️किसी ने पूछा-क्या हुआ क्यूँ भाग रहे हो.. आगे पेज-27 ©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी पेज-27 दिव्या-जीजी क्या हुआ कुछ गड़बड़ है क्या.. ! पुष्पा जी-हट पगली कहीं की.. तुम... जल्दी आओ कुछ दिखाना है तुम्हें... . जल
अज्ञात
पेज-49 पुरोहित जी ने फिर मंगलाचार वांचते हुये कहा बेटी अब आप रिंग पहनाइये...! मनीषा संकोचवश मानक का हाथ नहीं पकड़ पा रही ..बार बार पापा को देखती है...पापा ने इशारों में रिंग पहनाने को कहा... फिर भी मनीषा हिम्मत नहीं कर पा रही... मंच पर कितनों ने कहा-"मनीषा रिंग पहनाओ.." लेकिन मनीषा की मुट्ठी बंद खुल नहीं पा रहीं.. इतने में पापा ने एक हाथ अपनी बेटी के कांधे पर रखा और दूसरे हाथ से मनीषा का हाथ मानक के हाथों में.. तब मनीषा ने मानक रिंग पहनाई.. शेष कैप्शन में.. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-49 तालियों की गूंज के बीच कथाकार ने देखा फिर कोई हॉल के दरवाज़े पर खड़ा हुआ है.. कोई बुलाये तो वो मेहमान अन्दर भी आयें..
अज्ञात
पेज93 भैया, चढ़ावे का समय हो रहा है.. आपको मंडप पर पहुंचना चाहिए.. वरना भंवर में टाइम लग जाएगा.. विशाल जी- बस बहना मैं अभी पहुंचता हूं..! विशाल जी ने दो नवयुवकों को ताऊ जी की सेवा में लगाकर मंडप पर आ गये... मंडप पर पुरोहित जी बैठे हुये थे.. दोनों पक्षों के बीच बधु पक्ष का खाम था..उस तरफ वर पक्ष.. इस तरफ वधु पक्ष बैठ गया.... पुरोहित जी ने कन्या के पिता जी से कहा कन्या को बुलवा लीजिये, वर पक्ष अपना चढ़ावा लाया है उसे पहनाकर फिर कन्या के साथ भांवर कराई जायेगी... आगे कैप्शन में.. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-93 नन्ही परी ने इतना सुना और दौड़कर पहुंची पुष्पा जी के पास.. मांची भांवल पलने लदी.. तलिये(चलिए) ना उधल बैथेंगे... पुष्
अज्ञात
पेज-92 यहाँ आज हर बहन भोजन के साथ बारात में आये आनंद की चर्चाओं में व्यस्त हैं... विशाल जी नौसाद साहब बड़े चाव से प्लेट पर डोसा लिये बतिया रहे हैं... सुमित भैया कॉफी का लुफ़्त लेते दिख रहे हैं जिनकी बगल में इरफान भाई मोबाईल पर विडिओ बना रहे हैं... यहाँ से यशपाल जी पूरी लेने को आते दिखते हैं... देवेश जी का भोजन लगभग हो चुका.. शायद अब वो मिष्ठान की ओर बढ़ रहे हैं.. जेपी साहब अभी धीरे धीरे हर व्यंजन का स्वाद लेने उत्तर से दक्षिण पूरब से पश्चिम चारों ओर भ्रमण पर हैं... कहीं संदीप शब्बीर जी हिसाम साहब के साथ दही बल्ले तोड़ रहे हैं.. तो कहीं शर्मा जी अपने भावी विवाह की योजना इस आभासी विवाह को आधार मान, गुणांक पर गुणांक करते जा रहे हैं और मीठे पर मीठा लिये जा रहे हैं..सुभ्रो जी अब्र जी के साथ हो लिये और आपस में कथाकार की त्रुटियों पर सूक्ष्म विश्लेषण कर किसी निष्कर्ष की पहुंचना चाह रहे हैं मगर हाथों में रखी प्लेट और प्लेट में रखी जलेबियाँ उन्हें पहुंचने नहीं दे रहीं.. शुक्र है स्टॉल के बगल में ही खड़े हुये हैं वरना कितनी बार आना जाना पड़ता उन्हें... कथाकार को किसी के आने की आहट हुई.. आगे कैप्शन में.. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-92 कथाकार ने देखा, बिजली रानी के साथ ताऊ जी सीधे विशाल जी की तरफ बढ़े आ रहे हैं... ये आये... ये आ गये .. ये.. ये... और