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Madhu Kurmi
White डल गया उम्मीद का सूरज रहा ना कुछ भी उम्मीद अब बाकी छा गया घनघोर अंधेरा जीवन में रहा ना अब भरोसा मुझे किसी पे यहां पर दगा देते हैं हर कोई हर किसी को इसलिए अपने जीवन के बागदौड़ को नहीं देना मुझे अब किसी को ढलते सूरज की तरह ढल गए हम र किसी के लिए ©Madhu Kurmi #GoodMorning #ढलता सूरज
#GoodMorning #ढलता सूरज
read moreParasram Arora
White जो चिराग जलाया था अँधेरों मे रौशनी के लिए उसी चिराग को आगे चल कर एक दिन सूरज भी बनना था ©Parasram Arora सूरज vs चिराग
सूरज vs चिराग
read moreF M POETRY
White उनको नादान जानकर हमने.. हर ज़राईम मुआफ़ करते रहे.. हमको मालूम नहीं था यूसुफ़.. वो हमें खुद से दूर करते रहे.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #वो हमें खुद से दूर....
वो हमें खुद से दूर....
read morePooja Udeshi
White ढलता सूरज ये समझाए गलती सबकी नज़र आए अपनी दिखाई ना दे, दूसरो को खूब समझाए, अपनी बारी आए तो लुप्त हो जाए ज्ञानी भी कई बार सब कोई चुना लगाए, पापी पेट का सवाल है इसलिए 2 और 2 कभी कभी 5 हो जाए, सूरज भी हॅस कर डूब जाए बोला बच्चू सुधर जा कल फिर आउगा दुबारा तुझ से गलती ना हो जाए ज्ञानी संसार है बाबा सूरज से भी बहुत कमाए.... कैसा भी business हो कमाए करता जाए 👆🏻😅👍🏻 ©Pooja Udeshi #GoodMorning #सूरज #ज्ञानी
रिपुदमन झा 'पिनाकी'
White ज़िन्दगी पूछती है ज़िन्दगी जियोगे कब। स्वाद इस ज़िन्दगी की मौज का चखोगे कब। ऊम्र अपनी बिता रहे हो फंँस के उलझन में - आसमाँ पर उड़ानें सपनों की भरोगे कब। आप खुद से बताओ यार अब मिलोगे कब। क़ैद कर रखा है खुद को जो तुम खुलोगे कब। पालते हो क्यूँ दिल में ग़म उदास रहते हो- रंग जीवन में अपने खुशियों की भरोगे कब। जी रहे हो घुटन में खुल के साँस लोगे कब। दुःख के दुश्मन को हौसलों से मात दोगे कब। कुछ नहीं मिलता है औरों के लिए जीने से- हो चुके सब के बहुत अपने बता होगे कब। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #कब
हिमांशु Kulshreshtha
White मैंने सोचा भी कहां था मेरी साँसे भी कम होगी, तुम्हारे दूर जाने से, धड़कनें मेरी रुक सी जायेंगी तुम्हारे दूर जाने से, तुम्हें एहसास मेरी मोहब्बत का, हो न हो ये मुमकिन है आँखे मेरी ज़रूर नम होंगी तुम्हारे दूर जाने से, तुम सपना थीं या हकीकत, मुझे ख़बर नहीं रातें मेरी गुज़र गुज़र जायेंगी जागते हुए तुम्हारे दूर जाने से ! ©हिमांशु Kulshreshtha तुम्हारे दूर जाने से...
तुम्हारे दूर जाने से...
read moreसूरज
डूबते सूरज से आज कुछ इस तरह मुलाकात हुई की, ढलते ढलते फिर कल मिलने का वादा कर गया। ©सूरज #डूबता सूरज
#डूबता सूरज
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर दर्द के पीछे कोई बात होती है, हर खामोशी में एक आवाज़ होती है। पलकों के साए से कब तक छिपोगे, दिल की पुकार से कब तक बचोगे। प्यार बुरा है, ये बहाना कब तक, खुद से दूरी का फसाना कब तक। वक्त की इस रेत पर नाम लिखो, एक बार प्यार से अपनी राह चुनो। ©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर
#love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर
read moreParasram Arora
Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora कब?
कब?
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