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N S Yadav GoldMine
Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey} अगर किसी ने आपको दुःख व पीड़ा दी है, तो बुरा कियो मानना, अक्सर लोग उसी पर पत्थर मारते हैं, जहां मीठा फल होता है, आप क्या हो गए, और वो क्या है, और वो क्या कर रहे हैं, आप हर हाल मे निकल जाओगे, और वो गिरते जाएंगे, और यही उनका पतन है।जय श्री राधेकृष्ण जी। ©N S Yadav GoldMine #leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} अगर किसी ने आपको दुःख व पीड़ा दी है, तो बुरा कियो मानना, अक्सर लोग उसी पर पत्थर मारते हैं, जहां मीठा फल
#leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} अगर किसी ने आपको दुःख व पीड़ा दी है, तो बुरा कियो मानना, अक्सर लोग उसी पर पत्थर मारते हैं, जहां मीठा फल
read moreParasram Arora
Unsplash वो दिन याद करो ज़ब ये आदमी पहले "आदम " था और स्त्री "ईव " थीं तब न आखर था न शब्द न लिपि न कोई आपस मे संवाद था तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं इसके बाद वो ध्वनि कब संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और वो ईव स्त्री मे रूपांतरित हो गए थे ©Parasram Arora आदम और ईव
आदम और ईव
read moreVk srivastav
White मैं कई बार उसी रास्ते से गुज़रा हूं जहां से लोग आते जाते हैं मगर अफसोस इसी बात का है कहां है जाना यही जान नही पाते हैं ©Vk srivastav मैं कई बार उसी रास्ते से गुज़रा हूं #शायरी #Life #Trending #viral #SAD #दिल #vksrivastav
Parasram Arora
White हमारे आदर्शी को पस्तझनी देने मे समर्थ है हमानी विचलित चेतनाये तभी तों रेत मे मुंह छुपा कर रहती है हमारी अनसुलझी समस्याएं जबकि अंतकाल तक हम फेरते रहते है मुर्ख सपनो की मालाये शायद इसीलीये डूब चुके है हमारे भाव और ख़ो चुकी है संवेदनाये ©Parasram Arora आदर्श और संवेदनाये
आदर्श और संवेदनाये
read moreSAHIL KUMAR
White वक्त फिर से ले आया उन्ही कल की गलियों में जहाँ छुटे थे, कभी कल तक के सफर, कब तक युंही लाती रहेगी ज़िंदगी फिर उन्ही लम्हों के सामने कभी अकेले तो कभी कुछ पल युंही किसी के साथ के, कब तक बेरूखा-सा रहेगा यह वक्त भी की हर बार जिंदगी ले कर आती रहेगी फिर उसी मोड़ पे ©SAHIL KUMAR फिर उसी मोड़ पर
फिर उसी मोड़ पर
read moreAshok Verma "Hamdard"
White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard" #गांव और शहर
#गांव और शहर
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