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Sunil Kumar Maurya Bekhud
किसान सभी चाहते हैं धरती का हो खुशहाल किसान गर्व से सीना चौंड़ा होवे मिले उसे सम्मान मगर कृषि उत्पादों में ही दिखती है मँहगाई रोते प्याज के आँसू हैं सब भाव बढ़ा है भाई कहते हैं सब्जी महँगी है कैसे खर्च चलायें पत्रकार टीवी पर आकर जमकर उधम मचायें मँहगे तो होते रहतें हैं औद्योगिक सामान मगर उधर न कभी दिलाते हैं लोगोँ ध्यान टीवी फ्रिज भी मंहगा होते मँहगी हुई दवाई आसमान को छूती कीमत मँहगी हुई पढ़ाई मगर किसानों के दुश्मन सब रोज मचायें हल्ला सभी चाहते कभी न मँहगा होने पाए गल्ला बेखुद कैसे सुखी रहेगा निर्धन बहुत किसान उसे लोग कबतक समझेंगे वो भी है इंसान ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #किसान
Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
Unsplash आजाद ग़ज़ल --------------- जाने कब तिजोरी से माल निकाल लेता है ये आदमी बाल की खाल निकाल लेता है यहाँ तो कटता नहीं लम्हा उसके बिना वो मजे से साल दर साल निकाल लेता है हैरान हूँ उससे बहस कर करके मैं वो मिरे हर जबाब से सवाल निकाल लेता है ख़ामोश रहे आना तुम्हारा ये और बात है वो माहिर सब हाल चाल निकाल लेता है मिरे ताकत-ए-तसव्वुर को नज़र अंदाज न कर ये तिरे भीतर के भी ख़याल निकाल लेता है मैं मजबूर हूँ उसे सुनकर हँस देने को वो बात बात पे जुमले कमाल निकाल लेता है वो सौदागिरी में बड़ा कमजोर नज़र आया मैं दाल मांगता हूँ वो गुलाल निकाल लेता है ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #आजाद ग़ज़ल
#आजाद ग़ज़ल
read moreMadanjoshi
Unsplash किसान का दर्द दिसम्बर की सर्द राते और किसान का हौंसला इस पर एक शानदार रचना किसानों को समर्पित है 👉 सर्द ठंडी राते, हाड़ कपाती सर्दी पहनी काली बंडी हो, छोटी पहन धोती ले कुदाल फावड़ा, करने लगा खेती तु देख होंसला, जज्बा, देख कितनी मजबूरी है कितनी करता है मेहनत मजदूरी रात कितनी भी ठंडी हो फर्क नहीं पढ़ता उसे वो उसका काम हैं कहते है सभी उसे कहती हैं सरकारे उसे देश का अन्नदाता है मगर परेशानियों से छुटकारा कहाँ मिलता है उसे फिर भी पेट पालने को खुद का ,परिवार का ,देश का तैयार रहता है हर दम न डरता है,न घबराता है परेशानियों से लड़ता है दुख होता है कभी कभी लड़ते लड़ते मर जाता है फिर भी किसान हिम्मत नहीं हारता है क्योंकि वो किसान हैं स्वाभिमान से जीता है भारत भूमि पर रहता है बहुत प्यार करता है अपनी धरती माँ से इसलिए इस पर हमेशा अपनी जान न्योछावर करता हैं 👉स्वरचित मदन जोशी ,माँ का लाल उदयपुर ,राजस्थान ©Madanjoshi #leafbook किसान दिवस किसान का दर्द
#leafbook किसान दिवस किसान का दर्द
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
कहीं नज़र में आये तो अच्छा घर खानदान बताना बेटी की ज़िंदगी का सवाल है नेक इंसान बताना वज़ह सबूत ही सही कुछ ज़ख्म छुपा रख्खे हैं वो क़ातिल लौट आये तो मेरे निशान बताना कब तक घुमड़ते उमड़ते ही रहोगे तुम बादलों बरस के अपनी पहचान बताना.. मैं कह दूंगा तुम्हें तुम्हारी ख़ुशी के लिए जमीं तुम भी मुझे शौहरतों का आसमान बताना यूँ तो शहर के नामी रईसों में शुमार है वो पर कहता है मेरा तारुफ़ केवल किसान बताना तू किस प्रान्त से है मुझे फर्क नहीं पड़ता मगर कोई गैर पूछे तो पता हिन्दोस्तान बताना ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #आजाद ग़ज़ल
#आजाद ग़ज़ल
read moreआधुनिक कवयित्री
कà¤à¥€-कà¤à¥€ जीने दो इन्हें, इनकी उड़ान अभी बाकी है। मेरे बच्चे भी आसमां छुए, ये उम्मीद हर मां की है। ©आधुनिक कवयित्री आजाद परिंदे.........।
आजाद परिंदे.........।
read moreSatish Kumar Meena
White खेत खलिहान आस लगाए रहते हैं बस! बादलों के झुरमुट की इसलिए तो किसान सूखी पलकों को लेकर बारिश के लिए पलक पांवड़े बिछाए रहते हैं ताकि मेहनत रंग लाए। ©Satish Kumar Meena किसान
किसान
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