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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में , इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष #कविता
read moreVikas Sahni
White #मौका_छूट_गया इस साल और अधिक अहित हुआ, सही होते हुए भी ग़लत साबित हुआ और बुरी तरह टूट गया। कल मातम मनाते-मनाते मौका छूट गया।। **** **** **** **** **** यह देख दोबारा कविता करीब आई, अनुभूत करता रहा जिसकी गहराई, जिसका दिल मेरा मन लूट गया। कल मातम मनाते-मनाते मौका छूट गया।। **** **** **** **** **** अतः आज और अधिक हो गया है कठिन काम, यह देख दिल बहला रहा था अक्षरधाम कि मदहोशी का मटका फूट गया। कल मातम मनाते-मनाते मौका छूट गया।। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #मौका_छूट_गया इस साल और अधिक अहित हुआ, सही होते हुए भी ग़लत साबित हुआ और बुरी तरह टूट गया। कल मातम मनाते-मनाते मौका छूट गया।। **** ****
#मौका_छूट_गया इस साल और अधिक अहित हुआ, सही होते हुए भी ग़लत साबित हुआ और बुरी तरह टूट गया। कल मातम मनाते-मनाते मौका छूट गया।। **** **** #कविता
read moreaditi the writer
White मिट्टी की सौंधी खुशबू में, ग्राम्य जीवन की अनोखी छवि, मटका बना प्रकृति की गोद में, थोड़ी सी साधारण, थोड़ी सी रहस्यमयी।रखता वो शीतल जल, धूप की तपिश से हमें बचाता, संकट के समय, प्यासी धरती को जीवन का अमृत पिलाता।हाथ से गढ़ा, दिल से सहेजा, हर घर का वो खास अंग, अपनी शांति में, कहता है मटका, जिंदगी जीने का सरल संग।धूल मिट्टी से आया, फिर भी कितनी धीर, सिखाता धैर्य का पाठ, मटका, तुम हो सबके लिए प्रिय।जोड़े रखता है रिश्ता, गांव और नगर का, संपन्नता से नहीं, सादगी से भर देता है यह जीवन। ©aditi the writer #मटका Kundan Dubey vineetapanchal shraddha.meera Niaz (Harf) Kumar Shaurya
संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक यदि अस्माभिः विधा सुविचार भाषा शैली संस्कृत हिन्दी अनुवाद सहित भाव वास्तविक #Trending #माँ #indianwriter #पापा #femalerealvoice #कवितावाचक #tarukikalam25 #संस्कृतविचार
read moreDevesh Dixit
अक्षर अक्षर हमें सिखा कर अक्षर अक्षर हमें सिखा कर, देते अद्भुत ज्ञान हैं। उस ज्ञान से परिपक्व हो कर, मिला हमें सम्मान है। पहली गुरु ही माँ है होती, कहें सभी विद्वान हैं। दूजे में फिर गुरु हैं आते, जो दिलाते मान हैं। भक्ति भाव से इनको पूजें, इनमें ही भगवान हैं। जीवन का ये सच बताते, जो उसका आधार है। बच्चों से ये प्यार जताते, उनका ये अधिकार है। खेल खेल में पाठ पढ़ाते, गुरु जी का आभार है। शिक्षा का ये महत्व बताते, इनका ये उपकार है। माँ बाप भी यही समझाते, इनका भी ये प्यार है। बच्चे कभी राह न भटकें, उनका ये अरमान है। नाम कमाएंँ वो भी अपना, जिससे हो सम्मान है। उनका मान बढे फिर इतना, जिसका उन्हें गुमान है। मात पिता और गुरु हैं अपने, ये भी तो वरदान हैं। जो भी शिक्षा दे दे हमको, वो ही गुरु समान है। ......................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #guru_purnima #अक्षर_अक्षर_हमें_सिखा_कर #nojotohindi #nojotohindipoetry अक्षर अक्षर हमें सिखा कर अक्षर अक्षर हमें सिखा कर, देते अद्भुत ज्
#guru_purnima #अक्षर_अक्षर_हमें_सिखा_कर #nojotohindi #nojotohindipoetry अक्षर अक्षर हमें सिखा कर अक्षर अक्षर हमें सिखा कर, देते अद्भुत ज् #Poetry
read moreDr.Shweta Singh
इनका नाम दिव्या है इनके घर वालों ने 11,12 साल से कैद किया हुआ है, घर से बाहर नहीं निकलने दिया एक कमरे में ही रहती है। उनकी माता जी ने दिव्या #Motivational
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