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Shayar Abhinesh Sagar
ज़िंदगी सबको कहाँ मुअत्तर करती है। कुछ तो मर जाते हैं लबों पे प्यास लिये।। SHAYAR ABHINESH Sagar Shayar Abhinesh Sagar
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**चंद अशआर** **अधूरी ख़्वाहिशात** हमने पाक आँसूओं से अपने ये बनाई है ग़ज़ल। मेरे कैफ़ियते-दर्दे-ज़िग़र की सच्चाई है ग़ज़ल। हर शेर तेरे ही नाम लिक्खा है मैंने इसलिए। हर किसी से आज तक मैंने छुपाई है ग़ज़ल। सबने उसे ही बेवफ़ा कहा,मेरी चश्मे-तर देखकर। मैंने जब भी कभी लोगों को सुनाई है ग़ज़ल। दिल-ए-मग़मूम से दोस्तों, बहने लगता है, मेरे लहू। लिखते लिखते यार जब भी कभी गहराई है ग़ज़ल। मेरे साथ साथ चलती है, ये शब-ए-तीरां में भी। मेरे हमसफ़र की सफ़र में मेरे परछाई है ग़ज़ल। चहरे को मेरे बारहा गौर से देखता रहा वो देर तक। उसके सामने जब भी कभी मैंने गुनगुनाई है ग़ज़ल। मौज़-ए-नफ़स में जब भी आरज़ू-ए-पास ने दस्तक दी। *अभिनेश*हर शब आँसूओं में अपने बहाई है ग़ज़ल। **Shayar Abhinesh Sagar** Shayar Abhinesh Sagar
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**चंद अशआर** **अधूरी ख़्वाहिशात** तेरे जाने से कैसी, ये विरानी है। गुमसुम है दिल, आँखों में भी पानी है।। करनीं हैं ढेरों बातें, हमको तुमसे। देखो दिल की सब बातें आज बतानी है।। खामोशी तोड़ो अपनी, तुम्हें है कसम। खुशरंग मौसम है, ये शब भी सुहानी है।। छोड़ गये हमको तन्हा, तुम तो परदेश। अब हमको इन तारों संग रात बितानी है।। रूहों कीं बातें करते फिरते हैं, जो। झूठी कसमें खाते, नियत इनकी जिस्मानी है।। छुप छुप कर मिलना तुमसे बरगद के पीछे। भूल नहीं पाये कुछ भी याद हर निशानी है।। SHAYAR ABHINESH Sagar Shayar Abhinesh Sagar
Shayar Abhinesh Sagar
और सुनाओ क्या हो रहा है। ज़िंदगी का तज़ुर्बा हो रहा है। हमसे क्यूँ ये पर्दा हो रहा है। एहसास मुझे नया हो रहा है Shayar Abhinesh Sagar Shayar Abhinesh Sagar
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जानता हूँ मैं वो अब मेरा नहीं है लेकिन। याद फिर भी आती है सादा लिबासी उसकी। Shayar Abhinesh Sagar Shayar Abhinesh Sagar
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मेरी नेकियां, किताबों की, मोहताज नहीं, अभिनेश। आने वाली, नस्लों की, याद होना है, मुझे।Shayar Abhinesh Sagar Shayar Abhinesh Sagar
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**चंद अशआर** **अधूरी ख़्वाहिशात** प्यार की और अम्न की ज़हनियत खतरे में है। माँ, बेटी, बहन, की अज़्मत खतरे में है। कोई जाकर मोदी जी से, कह दे, ऐ मोदी जी। आपके के राज़ में अब इंसानियत खतरे में है। **Shayar Abhinesh Sagar** Shayar Abhinesh Sagar
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**एक नज़्म** कुछ पल होते हैं, होते हैं बहुत खास। चाहे प्रियतम पहला मिलन हो। चाहे मन की दहकती अगन हो।। चाहे इस देह की व्याकुलता हो। चाहे फिर मन से मन की लगन हो।। मानो एक पल में एक सदी रक़म हो। फिर भी लगता है जैसे ज़िंदगी कम हो।। लगता है गुज़रा हुआ सारा वक़्त लौट आयेगा। हो सकता है कि ये मेरा टूटा हुआ भरम हो।। चाहे चुपके से दिल में उतरना हो। चाहे तेरी आँखों में संवरना हो।। चाहे तेरे बोसों का मेरे सीने पर। इंद्रधनुष के रंगों सा उभरना हो।। नहीं है तुझसे कोई अब वास्ता हो। खींचता पैरों को तेरी सिम्त रास्ता हो।। ये सब लम्हें खुद में एक इतिहास हैं। कुछ तुम्हारे तो कुछ मेरे पास हैं।। तुम कहती थी ना ये पल, किसी के भी लिये खास होते हैं।। लो मैंने भी रख लिये सब पल समेट कर शब्दों में, सुनो,, मेरे लिये भी तुम्हारे साथ का हर पल बहुत खास है, हाँ हाँ बहुत खास है।। अरे इतना खास कि...... निःशब्द हूँ.... शायर अभिनेश सागर' Shayar Abhinesh Sagar