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HP
जो हमारे लिये अनुकूल हो सकती है, वह दूसरों के लिये प्रतिकूल भी हो सकती है। अनुकूल/प्रतिकूल
Pradyumn awsthi
वह पथ क्या पथिक कुशलता क्या जिस पथ में बिखरे शूल ना हों... नाविक की धैर्य परीक्षा क्या जब धाराएं प्रतिकूल ना हों... ©"pradyuman awasthi" #प्रतिकूल,अनुकूल
कवि होरी लाल "विनीता"
सोच समझ कर बकना यारो किसी के पीछे मत रहो यारों किसी को बुरा न कहना यारों बुरे का साथ ना करना यारों मौसम मेरे अनुकूल है एकदम।। हां में हां ना करना यारों गलत कभी ना देखो यारो दिल की बात मानना यारों सब से मिलकर रहना यारों गद्दारों को पहचानना यारों मौसम मेरे अनुकूल है एकदम।। गीदड़ शेर पर रख लो यारों गलती माफ न करना यारों मौका नहीं गंवाना यारों कभी किसी को पकड़ो यारों पैर तुम नहीं पकड़ना यारों गर्दन मुट्ठी में पकड़ो यारों मौसम मेरे अनुकूल है एकदम।। बुराई से तुम ना डरना यारों जंग से कभी न भागो यारों जान हथेली पर रख लो यारों तब होरी लाल तुम बनना यारों गांधी बन कर रहना ना यारों एक के बदले दस को यारों मौसम मेरे अनुकूल है एकदम।। ©Hori lal Vinita मौसम मेरे अनुकूल है एकदम
Ek villain
संजय गुप्ता ने बिल्कुल सही सलाह दी है कि यदि देश को आर्थिक उन्नति के उचित सोपन पर पहुंचाना है तो उधमिता का भाव विकसित करना होगा सरकारी नौकरी के प्रति मोह को दूर करना होगा क्योंकि यह वास्तविक है कि किसी विकसित देश की सरकार भी अपने सभी नागरिकों को सरकारी नौकरी देखने में सक्षम नहीं है अच्छी बात यह है कि देश में कुदरती को प्रोत्साहन देने की दिशा में मोदी सरकार ने काफी प्रयास किए हैं और उनके सफल भी देखने को मिलने लगे हैं लेकिन इस रहा में गति की और तेज देना आवश्यक है सरकारी प्रयासों से इस ऑफ़ डूइंग बिज़नेस जैसे मोर्चे पर देश की स्थिति सुधरी है लेकिन अभी भी काफी कुछ किए जाने की जरूरत है इस दिशा में नौकरशाह एवं अवरोध ही बनती दिखाई देती है सरकार को इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे ©Ek villain #SAD #उधम अनुकूल परिवेश आवश्यक
GAUTAM ROY.
ग़लत शहर में पहुंच गए लगते हो तुम, मेरे शहर में तो महोब्बत बांटते हैं लोग। गौतम रॉय गौतम रॉय
Nitish Kumar Ray
हकदार बदल जाते हैं, किरदार बदल जाते हैं ये दुनिया है साहेब...... यहाँ मन्नत पूरी ना हो तो भगवान बदल दिये जाते है #रामलाल रॉय
Dr Wasim Raja
White परिस्थिति के अनुकूल ढलना पड़ता है। सुकून छोड़ शोलों पर चलना पड़ता है।। यहां ईर्ष्या में अपनों से लड़ना पड़ता है। हर ताजे चीज को यहां सड़ना पड़ता है।। एक दिन मौसम को भी बदलना पड़ता है। पेड़ से पत्तों को पतझड़ में झड़ना पड़ता है।। कली फूल को खिलकर बिखरना पड़ता है। लाख जतन करें ,एक दिन मरना पड़ता है।। ©Dr Wasim Raja परिस्थिति के अनुकूल ढलना पड़ता है
कपिल
माँगा था प्रमाण जन्म का तुमने मेरे आराध्य श्रीराम से पहचान खुद की दिखाने में अब क्यूँ घबराते हो अरे गर नही पसन्द है तो बेशक छोड़ दो यूँ बन के गद्दार क्यों मेरा मुल्क जलाते हो बात यहाँ ना हिन्दू की ना मुसलमान की है ये बात मेरे रोते सिसकते हिंदुस्तान की है है यहाँ की फिज़ाओ में नर्म जायका उर्दू का कोई पता करो फिर आवाम में ये गर्मी किस जुबान की है बेशक जलेंगे घर ,लूटेगी आबरू माँ बहनो की इन दंगो में रोज़ाना पर सीने से सरकती हर बार वो चुनरी मेरी भारत माँ की है!! ##दिल्ली दंगा##महिला दिवस##अनुचित ##अनुकूल##