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नवनीत ठाकुर
चल पड़े हैं तो मुसाफ़िर नहीं रुकने वाले, मंज़िलें कहती हैं, रस्ते भी झुकने वाले। ज़िंदगी शेर थी, अब शेर मैं बन बैठा, जो मुझे खा नहीं पाया, वो सबक बन बैठा। तूफ़ानों से लड़ने का हुनर सिखा दिया, नाव डूब भी गई तो समंदर बना दिया। राह मुश्किल थी, मगर इरादा बुलंद था, ख़ुद को हारा नहीं समझा, यही फ़र्ज़ था। जंग जीतेंगे वही, जो लड़ने का हौसला रखें, हार भी सर पे सजे, वो विजेता बनें। मौत भी कहती रही, मुझसे किनारा कर ले, मैंने हंसकर कहा, जीने का सहारा कर ले। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर चल पड़े हैं तो मुसाफ़िर नहीं रुकने वाले, मंज़िलें कहती हैं, रस्ते भी झुकने वाले। ज़िंदगी शेर थी, अब शेर मैं बन बैठा, जो मुझे ख
#नवनीतठाकुर चल पड़े हैं तो मुसाफ़िर नहीं रुकने वाले, मंज़िलें कहती हैं, रस्ते भी झुकने वाले। ज़िंदगी शेर थी, अब शेर मैं बन बैठा, जो मुझे ख
read morekatha Darshan
Sarfaraj idrishi
दोस्ती बदनाम लोगों से भी रखें अच्छे लोग अक्सर बुरे वक्त में साथ नहीं देते ©Sarfaraj idrishi #friends दोस्ती बदनाम लोगों से भी रखें अच्छे लोग अक्सर बुरे वक्त में साथ नहीं देते Islam Yadav Ravi Achman Chitranshi h m alam s ram sin
#friends दोस्ती बदनाम लोगों से भी रखें अच्छे लोग अक्सर बुरे वक्त में साथ नहीं देते Islam Yadav Ravi Achman Chitranshi h m alam s ram sin
read moreनवनीत ठाकुर
जिन्दगी के उतार-चढ़ाव में नीयत कहीं डोल न जाए, बावजूद इसके कीमत अपनी भारी रखो। जमाने भर की नफ़रतों के बावजूद, मोहब्बत यूं ही जारी रखो। तुमसे बढ़कर कोई नहीं है इस जहाँ में, इसलिए खुद को सबसे खास जारी रखो। अच्छाई के रास्ते पर चलते रहो हर दम, हर उलझन के बावजूद नेकियां जारी रखो। रुख हवा का हो या दुनिया बदल जाए, अपने दिल की आवाज़ भारी रखो। सफेद कपड़ों पर दाग लग न जाए, तबियत अपनी साफ रखो। दब जाना नहीं ऊंची आवाज़ के तले, अलग अपनी एक पहचान रखो। आ जाएं किसी के भी काम, राहत हमेशा सरकारी रखो। बुरा वक्त आए न किसी का, हाथ बढ़ाने में सरदारी रखो। दूसरों के दुःख-सुख में भागीदार बनो, अपने दिल में इंसानियत की सवारी रखो। ©नवनीत ठाकुर #मुहब्बत अपनी जारी रखो
#मुहब्बत अपनी जारी रखो
read moreनवनीत ठाकुर
छक्के पंजे के चक्कर में, कौड़ियों के भाव बिक न जाना कहीं, बेहतर है कीमत अपनी भारी रखो। हल्के में समझौता नहीं करना, संघर्ष अपना जारी रखो। सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास न करें, लोगों से ऐसे अपनी दूरी बनाए रखें। सदियों से चली आ रही है झूठी रवायतें, ऐसी रस्मों को अपने जूते की नोक पर रखें। लोगों को मुंह पर मीठी बात करने की है आदत, सच बोलने से पीछे न हटे, जुबान पर कड़वी दवाई रखें। ©नवनीत ठाकुर #लड़ाई अपनी जारी रखें
#लड़ाई अपनी जारी रखें
read moreनवनीत ठाकुर
क्यों ज़िंदगी में ऐसे फ़ैसले कर रखे हैं, क्यों इतने बंधन पाल रखे हैं। इतनी लानतें बर्दाश्त करते हैं हम, जो हमारी इज़्ज़त पर रोज़ हमला करती है। रोज़ जूता मारती है ज़िंदगी मुँह पर, फिर भी हम उसे ख़ामोशी से सहते जाते हैं। ©नवनीत ठाकुर #क्यों बंधन पाल रखें हैं
#क्यों बंधन पाल रखें हैं
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