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नवनीत ठाकुर
White रिश्तों को बातों का लिबास नहीं उढ़ाया करते, उड़ जायेगे, सच् की आंधी सह नहीं सकते । अरे पागल, ये रिश्ते एहसासों से हैं पनपते , बिना शब्दों के भी करीब हैं आते । जो वक़्त की धूप में झुलस जाएँ, वो सायों में भी सुकून नहीं देते। जो दिल की चौखट में ठहर न पाए, ' नवनीत ' वो लफ्ज़ों में भी टिके नहीं बनते। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
नवनीत ठाकुर
हर राह में चट्टानों का सामना होगा, तेरे हौसले का हर पल इम्तिहान होगा। मत सोच कि रुक जाएगी तेरी उड़ान, आंधियों के परे भी एक आसमान होगा। जो जलता है, वही सूरज कहलाता है, अंधेरों से लड़कर ही सवेरा आता है। मंज़िल उन्हीं को बाहों में भरती है, जो गिरकर भी हर बार मुस्कुराता है। मत झुकना कभी तू हालातों के आगे, लहू से इरादों की लौ और जला ले। क़िस्मत भी उसके कदमों में आ झुके, जो खुद पे भरोसे को हथियार बना ले। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
नवनीत ठाकुर
चंद दिन आँसुओं का उधार सा रहा, फिर हर कोई हँसने को तैयार सा रहा। जो रोए थे सबसे आगे खड़े हुए, आज महफिलों में फिर शुमार सा रहा। जो कल थे संग, आज परछाईं भी नहीं, दुआ के लफ्ज़ तक अब सुनाई नहीं। श्मशान की राख अभी ठंडी भी न हुई, और उनके लहज़े में वो गहराई नहीं। जिसे कंधों पे उठाया था रोते हुए, उसी का ज़िक्र भी अब कोई करता नहीं। क़ब्र पर दिया जलाकर गए थे जो, आज उस राह से भी कोई गुज़रता नहीं। यूँ ही मिट्टी में दफ़न होती हैं यादें, यूँ ही रिश्ते भी गर्द बन के उड़ जाते हैं। क़ब्र की मिट्टी अभी सूखी भी नहीं, और लोग नए फ़साने बना जाते हैं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
नवनीत ठाकुर
हम जिसे फूल समझकर संजोने बैठे, वो बिखरता गया, ख़ुशबू बनके उड़ता गया। तेरी एक छूअन जिसे छू ले बस, वो कांटा भी गुल बनके महकता गया। हमने चाहा जिसे, वो नसीबों में ढल गया, हर राह में खोया, हर मोड़ पर बदल गया। तू जो नज़र भर के देख ले उसे, वो भटकी हुई राहों का मंज़र बन गया। हम जिसे चाँद समझकर निहारा किए, वो घटता गया, धुंध में कहीं खोता गया। तेरी किरण जिसे बस छू भर ले, वो अमावस भी पूनम सा होता गया। हमने चाहा जिसे, वो कहानी बन गया, हर सफ़र में भटकता सा निशानी बन गया। तू जो इक बार सहारा दे उसे, वो बिखरा हुआ लम्हा भी ज़िंदगानी बन गया। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
नवनीत ठाकुर
जिसे चाहा था, उसको ही खोना पड़ा, अब किस्मत से शिकवा बचा भी नहीं। अब सवालों के घेरे में रहता हूँ मैं, पर जवाबों से कोई सिलसिला भी नहीं। जो अपना था, वो भी पराया लगा, रिश्तों में अब कोई भरम भी नहीं। जिसे दिल ने आवाज़ दी उम्र भर, वो पलट कर सुना तो कभी भी नहीं। जिसे चाहा था, उसे जब पुकारा, सुनने वाला कोई रहा भी नहीं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
नवनीत ठाकुर
लफ़्ज़ बिखरे पड़े हैं किताबों में यूँ, जैसे क़िस्सा कोई अधूरा रहा। मैंने चाहा बहुत ख़ुद को समझूँ, पर मैं ही मुझसे जुदा सा रहा। मुद्दतों से मैं ख़ुद में ही गुम हूँ, बाहरी दुनिया का भरम भी गया। एक ख़्वाब था जो हक़ीक़त न बन सका, साथ रहकर भी वो मेरा न था। मैं ख़ुद से ही मिलने की राहों में था, मगर लौटने का हौसला भी न था। उम्र भर वक़्त के साथ चलता रहा, पर वो लम्हा कहीं भी रुका न था। ख़ुद से मिलने की चाहत थी दिल में, मगर रास्ता कोई खुला न था। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
नवनीत ठाकुर
"गुमाँ है तुझको कि सूरज है तू, चमकते-चमकते पिघल जाएगा।" "जो खुद को साए से बड़ा समझे, वो सूरज ढलते ही खो जाएगा।" "जो धूप बना फिरता है हर सू, अंधेरों से खुद ही घिर जाएगा।" "जो अपने ही क़दमों को भूल गया, वो मंज़िल पे भी भटक जाएगा।" "हवा के भरोसे जो उड़ा बहुत, वो तूफ़ान में ही बिखर जाएगा।" "आसमान से ऊँचा उड़ने की चाह में, अपनी ही साँसों से जल जाएगा।" "शोहरत की आग में इतना न जल, कि अपना ही घर राख हो जाएगा।" "जो खुद को समंदर समझ बैठा, वो अपनी ही लहरों में डूब जाएगा।" "बुलंदी का नशा चढ़ा जिसको, वो गिरते वक़्त चीख जाएगा।" "जो वक़्त के आगे खड़ा हो गया, वो लम्हों में ही बिखर जाएगा।" "नवनीत" अपनी उड़ान पे नाज़ न कर, हवा बदलेगी तो गिर जाएगा।" ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
नवनीत ठाकुर
White दूरियों का शिकवा न कर, ये भी तो है इम्तिहान, जो रूह में बसा हो, वही है सच्चा अरमान। मुलाक़ातों की मोहताज नहीं होती मोहब्बत, जो सच्ची हो, वो हर लम्हा है मेहमान। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
नवनीत ठाकुर
White चलने दे आँधियों को, तू खड़ा रह बुलंद, ये वक़्त के थपेड़े ही परखते हैं जज़्बा और दम। जो गिर गया, खो गया गर्द-ए-हयात में, जो डटा रहा, वही बनता है परचम। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
नवनीत ठाकुर
वक़्त की गर्द में यादें धुंधला न जाएं, अपनों की हँसी कहीं खोला न जाएं। रिश्तों की शाख़ों को सींचते रहो सदा, सूखे पत्तों सा कोई बिखर न जाए। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर