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dev
कभी साथ अकेले बैठो तो बताएं क्या दर्द है मेरा ! अब आप दूर से पूछो गे तो खैरियत ही कहूं गा ! दूर दूर
Rajnish Shrivastava
दूर दूर तक धुंध ही धुंध नजर आती है सूूरज की परछाई भी कहीं छिप जाती है जाने कहां चले गए गगन के सब तारे पहाड़ो को चीरती ये नदी कहां जाती है ©Rajnish Shrivastava #दूर दूर तक
Sakshi Tomar
Morning and Wind नज़ारे बहुत देखें है ज़िन्दगी की आँखों से उज्जवल सितारों को गौर से देखा है उगते सूरज की किरणों को महसूस करते देखा है दूर दूर तक अपनों को खोजता रहा मगर सभी को बिछड़ते देखा है फलसफा ये ज़िन्दगी का बदलते देखा है जज़बातों का शोर मैंने शांत पड़ते देखा है। #दूर दूर तक
DR. LAVKESH GANDHI
इंतजार नहीं किया जा रहा अब तेरा इंतजार बहुत हो गया अब तेरा इंतजार जा रही हूंँ अब विरान वादियों को छोड़कर छोड़कर तेरी यादों को बहुत दूर ©DR. LAVKESH GANDHI #Isolation # #दूर बहुत दूर #
Chandan Ki kalam
श्रृंगार जो तुम करते हो बड़े हसीं लगते हो, सच कहूं तो तुम ख़ुद से बहुत दूर लगते हो!! ©Chandan Ki kalam बहुत दूर #श्रृंगार #दूर
Usha Dravid Bhatt
कहीं दूर तक दूर बहुत दूर, दृष्टि से परे मन भ्रमण करता है, सोचने की गति नजरों से तेज है, देखता हूं धरती से जा रहा चन्द्रयान , नियन्त्रित गति से , निर्धारित गंतव्य की ओर। सब खुश हैं, मन में कौतूहल जगा है। मन सोचने लगा काश मैं भी अन्तरिक्ष के उस पार जा सकता, जो ओझल हो गया उसे देख आता, उदास मन दूर गगन में विचरण करता है, सपना सपना ही रहेगा कल्पना,सोच , तर्क की सफलता मजबूत पांखों पर निर्भर करती है , गति की सीमा नापते सोचता रह जाता हूं।। ©Usha Dravid Bhatt दूर कहीं बहुत दूर
Ks Vishal
आज भी तुम आकर मिला करते हो! पिछली बार से और ज़्यादा मायूस पाता हूँ तुम्हें! पिछली बार से और बड़ा झगड़ा किया है तुमने अपने पति से, मुझसे मिलने के लिए। मैं तुम्हें तुम्हारे इश्क़ में हारते हुए देख रहा हुँ! मैं अंदर से ख़ुश क्यूँ हो रहा हूँ? क्या इसीलिए की तुमने मेरे साथ जो किया वो अब तुम ख़ुद भुगत रहे हो! छी! मुझे ख़ुद पर ग़ुस्सा आ रहा है, और उससे ज़्यादा तरस। मैं ऐसा कभी नहीं था या शायद तुम्हारे छोड़ जाने का हरजाना भुगत रहा हूँ! तुम मेरे बिल्कुल पास आ बैठे हो और अब मुझे घुटन होने लगी है। इंसान प्रेम में बिल्कुल मासूम बच्चा बन जाता है, रूठ जाता है कि किसी और ने मेरे खिलौने को छू भी कैसे लिया। सच ही तो है, हम मोहब्बत को शायद अपना हक़ - अपना खिलौना मान बैठते हैं और फिर जिंदग़ी से रूठकर बैठ जाते हैं। मैं अपनी गलती समझ रहा हूँ - मगर फिर भी किए जा रहा हूँ। मुझे समझ आ रहा है कि मुझे उठकर चले जाना चाहिए - मगर मेरे पैर जैसे बिल्कुल अकड़ गए हैं! मैं उठ क्यूँ नहीं पा रहा हूँ? शायद मैं चाहता हूँ कि तुम उठकर जाओ! मगर तुम तो बहुत पहले जा चुके थे, फिर आज क्यूँ आए हो? क्या तुम हमेशा के लिए ठहर जाओगे? या फिर यूँ ही अचानक छोड़ कर चले जाओगे। मुझे रोना आ रहा है। जिसके सामने जग जीतने के ख़्वाब देखो, उसके सामने जब ख़ुद को हारता पाते हो तो आप टूट जाते हो। मुझे वहाँ रोने की अनुमति नहीं है। मैं अंदर से रो रहा हूँ। मेरी आँखें बोझल हो रही हैं। आँसू तैर चुके हैं, मैं टूट चुका हूँ- पैर उठ चुके हैं, मैं चल पड़ा हूँ! तुमसे दूर, बहुत दूर!😞 ©Ks Vishal दूर बहुत दूर #sagarkinare