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Ajay Kumar Mishra
दिल के कोने कोने से बिन साज बाज के ध्वनियों से। जिसका मन तृप्त रहा करता पुष्प वृक्ष के कलियों से। जो भर भावों की धारा से नित प्रेम राष्ट्र की नारा से। समलंकृत करता वसुधा को वो पूजा जाता आशा से। है वीर वही,है धीर वही,जो अब विरक्त है तृष्णा से। निज राष्ट्र प्रेम की इक्षा से मानवता की अभिरक्षा से। ©Ajay Kumar Mishra राष्ट्र प्रेम
Ajay Kumar Mishra
दिल के कोने कोने से बिन साज बाज के ध्वनियों से। जिसका मन तृप्त रहा करता पुष्प वृक्ष के कलियों से। जो भर भावों की धारा से नित प्रेम राष्ट्र की नारा से। समलंकृत करता वसुधा को वो पूजा जाता आशा से। है वीर वही,है धीर वही,जो अब विरक्त है तृष्णा से। निज राष्ट्र प्रेम की इक्षा से मानवता की अभिरक्षा से। ©Ajay Kumar Mishra राष्ट्र प्रेम
Parasram Arora
देख चुका हूं मै गांधी भगतसिंह और सुभाष को कबाड़ी क़े कचरे मे से झांकते हुए कितनी सस्ती हुईं हैँ हमारी भावनाये और राष्ट्र भक्ति अच्छा होता अगर वे टँगी रहतीं कुछ दिन और प्रेरणा की दीवारों पर ताकि ढका रहता हमारा राष्ट्रप्रेम कुछ दिन और कबाड़ी क़े कबाड़खाने मे आने से पहले राष्ट्र प्रेम.........
Nk Gupta Ji
आबे जमजम है उधर ,,और इधर गंगाजल एक तरफ गीत की खुशबू,एक तरफ महके गजल,,बड़ी मुश्किल में फसा है किसे देखू पहले,एक तरफ प्यार मेरा एक तरफ ताजमहल,,, ©Nk Gupta Ji कविता,,प्रेम पर,,
Nk Gupta Ji
प्रेम पर कविता,,प्यास बुझ जाए तो सबनम खरीद सकता हूं।जख्म मिला जाए तो मरहम खरीद सकता हूं।ये मानता हू की दौलत नहीं मगर पाया,मगर तुम्हारा हक एक गम खरीद सकता हूं।।, ©Nk Gupta Ji प्रेम पर कविता
कृतान्त अनन्त नीरज...
#FourlinePoetry मैं "धर्म" के पक्ष में लिखूंगा तुम्हारें विपक्ष में नही मैं "प्रेम"के पक्ष में लिखूंगा तुम्हारे विपक्ष में नही मैं "राष्ट्र" के पक्ष में लिखूंगा तुम्हारे विपक्ष में नही मैं "अद्वितीय" होने के पक्ष में लिखूंगा तुम्हारे विपक्ष में नही मैं "मानवता" के पक्ष में लिखूंगा तुम्हारें "विपक्ष" में नही... ©कृतान्त अनन्त नीरज... #fourlinepoetry #शायरी#कविता#poetry#love#प्रेम#राष्ट्र#धर्म#लेखक
writar ShivendraSinghsonu
पक्षपात ये शूरवीर की भाषा है समय कठिन , पर कुछ आशा है कोई आँख दिखाए, ये मंज़ूर नहीं अब राहे मंजिल से दूर नहीं शेर गर्जना दिखलाओ दूध छठी का याद दिलाओ पक्षपात करता है कौन देखते , कौन यहाँ रहता है मौन सच्चाई छिपती न अब 56 इन्च के सीने में श्रृंगार कहूँ करूण कहूँ या वीर छिपा हो सीने में धमकी कोई ऐटम की दे ,तो खून फड़कने लगता है ज्वालामुखी के लावा सा क्षत्रिय भड़कने लगता है समय गुजारे मांद मे जो, मैं कोई बूढ़ा शेर नहीं राजनीति हो लाशो पर ,ये देश मेरा कमज़ोर नहीं धर्म ज्ञान की भाषा से न कोई पड़ोसी समझेगा यद्यपि हम सम्मान करेंगे उल्टा हमसे उलझेगा खत्म अब करो वार्तालाप ,खत्म करो वाणी का शोर दिखलादो, मोदी योगी जी, कि भारत मे ज़िन्दा हैं शेर ©writar ShivendraSinghsonu राष्ट्र प्रेम #WForWriters
bhishma pratap singh
माना कि "जिंदगी रेत सी" है, पर स्वप्न हजारों पाले हैं। अगले पल का कुछ पता नहीं, लेकिन हर स्वांस "शिवाले" हैं।। निज से कर डाला वचन यही, हमको हर हार हरानी है। "जिन्दगी रेत सी " मिली भले, शत्रुऔं की तो लाशैं बिछानी हैं।। ©bhishma pratap singh #जिन्दगी रेत सी #काव्य संकलन #भीष्म प्रताप सिंह #हिन्दी कविता#राष्ट्र प्रेम