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Prakash Dhaka
आ कुण है। थे जानो हो के या हु बताऊ। आ बा के जकी झालर है। ©Prakash Dhaka ##झालर ##
Mohan Sardarshahari
मेरी शायरी लाख की टूटी चुड़ियों के टुकड़े हैं छुपा कर रख लेना मेरे यार कहीं इन्हें कोने में कहते हैं मिट्टी के बर्तनों में पड़ी दरार को ये बड़ी सिद्दत से भर देतेहैं।। ©Mohan Sardarshahari लाख की चूड़ियों के टुकड़े
Shyamal Kumar Rai
रात की सिलवटों मे रौशनी के दाने हैं सितारे छानकर अब जुगनू बनाने हैं खिड़कियों पर गाढ़ा अंधेरा घना है टिमटिमाते ख्वाबों के झालर लगाने हैं। #ख्वाबों के झालर
Monika Gambhir
यूं तो चूड़ियां हर रंग की होती हैं.... लेकिन हरे रंग की चूड़ियों की... बात ही कुछ और होती है........ #gif #हरे रंग की चूड़ियों की बात ही कुछ और होती है.... #nojoto #nojotohindi #pyar #hurt #shyari #dil
Vivek Kumar Singh
मुझे आज भी याद है वो दिन। मेरे लिए पहली बार तुम एक तोहफ़ा लाए थे। तुमने शर्माते हुए मेरे हाथ में डिब्बा देकर उसे खोलने को कहा था। मैंने भी शर्माते हुए उसे खोला तो देखा कि उसमें काँच की हरी-हरी चूड़ियाँ थीं। पर ये क्या! कुछ चूड़ियाँ तो टूटी हुईं थीं। शायद सबसे छुपाकर लाने में टूट गई होंगी। फ़िर तुमने दूसरा डिब्बा लाने की बात कहकर वह डिब्बा ले लिया था। फ़िर कुछ सोंचकर तुमने एक चूड़ी के आधे टुकड़े को ख़ुद रखा और आधा मुझे दे दिया ये बोलकर कि जब हम दोनों एक हो जाएंगे तब तुम इन दोनों टुकड़ों को जोड़कर मेरे हाथ में पहना दोगे। पर शायद भाग्य को यह मंज़ूर नहीं था। तुम्हें चूड़ियाँ पहनाने के लिए कोई और दो हाथ मिल गए। फ़िर भी मैंने वह टुकड़ा संभालकर रखा था। यहाँ तक कि मेरे हाथ में किसी और की चूड़ियाँ डाल दी गईं फ़िर भी मैंने वह टुकड़ा अपनी आँखों से ओझल न होने दिया। वह टुकड़ा मेरे दिल में हमेशा चुभता रहा पर उसे जान से भी ज्यादा संभालकर रखा मैंने। पर आज नहीं सह पाई मैं वह दर्द और फेंक दिया वह टुकड़ा। अब मुझे सिर्फ़ अपने लिए जीना है, अपनों के लिए जीना है और अपने सपनों के लिए जीना है। चूड़ियों के टुकड़े #yqbaba #yqddidi #yqhindi #yqtales #yqgudiya #vks #yqmuzaffarpur
Rajni Bala Singh (muskuharat)
सावन में बारिश की फुहार चूड़ियों की खनखनाहट पाजेब की झनझनाहट कमर लचकाती युवती की चाल मन को लुभाती है मुझे अपनी प्रेमिका की याद दिलाती है @_muskurahat_ सावन में बारिश की फुहार चूड़ियों की खनखनाहट पाजेब की झनझनाहट कमर लचकाती युवती की चाल मन को लुभाती है मुझे अपनी प्रेमिका की याद दिलाती ह
Sarnam Singh7
*क्या यकीन करना गैरों पर,* *जब चलना ही है खुद के पैरों पर...!!!* *तुम लाख झालर लगा लो अपने घरों की दीवारों पर,* *रोशनी तो हमारे आने से होगी...!!!* Aadarsha singh Monika Charu Gangwar Ritika Shaw Pratib