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Shivam Singh Rajput
Earring जिस प्रकार सूर्य और चन्द्रमा अपनी रोशनी के बिना शोभा नहीं देते उसी प्रकार से गहनों के बिना स्त्री की सुन्दरता भी फ़ीकी पड़ जाती है । गहने स्त्री का श्रृंगार है ..........
Nitesh Mishra
तेरे पायल की रुनझुन बहुत सताती हैं मुझें तेरें कंगन की खनक याद आती हैं... गीले केश में होती हो जब हर सुबह तुम तेरें गर्म साँसों की खुशबू हमें बहकती हैं... माथे की इस छोटे से बिंदियाँ के क्या कहने लगता हैं हमें इशारों से ये पास बुलाती हैं... तुम्हारें ग़ुलाब की पंखुड़ियों से ये गीले होठ इसकी ये लाली मेरा अब सब्र आजमाती हैं... क्या कहूँ अल्फ़ाज़ भी नहीं बचें मुझमें कुछ तुम्हारें मीठी मुस्कान से जान पर बन आती हैं। रूप... श्रृंगार... प्रेम ❤️ Follow me...
Shravan Goud
आपका हुनर आत्मा का अव्दितीय श्रृंगार है। आपका हुनर आत्मा का अव्दितीय श्रृंगार है।
Rohit Saini
श्रृंगार प्रकृति का जित देखूँ तीत पाऊँगा, शब्दों की माला में कैसे इसको लाऊँगा । कही घने है मेघ बड़े कही सूरज की लाली है, कही भोले का सावन कही कान्हा की होली है । एक छोर है हिम का आलय दूजा रेगिस्तान दिखे , तीन खण्डों पर नीर भरा एक पर सारा जहान दिखे । कही मिटाता अँधकार को शुक्लपक्षि चाँद दिखे, करती हरण प्रकाश का अमावस्य काली रात दिखे । ऊपर चमकता सूरज चाँद सितारों से नील गगन विशाल दिखे, नीचे सिंधु के आँगन में क्रीडा करती धरा उपवन समान लगे । श्रृंगार प्रकृति तेरा मै कैसे गाऊँगा, शब्दों की माला में कैसे इसको लाऊँगा । $रोहित सैनी...@$ श्रृंगार प्रकृति का
पंकज कुम्हार
श्रृंगार कर दिल का, रखना परदे में लेने आएंगे हम तेरे सजदे में श्रृंगार दिल का
Ajay Keshari
सावन में #श्रृंगार सजन कर, तुझको खूब रिझाऊं, धानी चुनर पहनकर, मेहंदी पुरी हाथ लगाऊं, हरे रंग की चुड़ी पहनूं, खन-खन मै खनकाऊं, बालों में गजरा लगाऊं, अंखियों में कजरा, नयन चलाऊं तिरछी तुझपे, घायल करदूं आज, पांवों में पाज़ेब मै पहनूं छम-छम नाचूँ आज, अंग से अंग लगाऊं तुझको, बरसों भरी-भरी आज.!! #अजय57 सावन का श्रृंगार