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RV Chittrangad Mishra
green-leaves Word can change our world. ©RV Chittrangad Mishra दिमाग पर जोर डालकर गिनते हो गलतियां मेरी कभी दिल पर हाथ रखकर पूछना कसूर किसका था
दिमाग पर जोर डालकर गिनते हो गलतियां मेरी कभी दिल पर हाथ रखकर पूछना कसूर किसका था
read morePoet Kuldeep Singh Ruhela
Unsplash कभी कभी देखे हुए सपने भी टूट जाते है और हम सिर्फ दोराहे पर खड़े रह जाते है माना मुमकिन नहीं है अब लौट कर आना बस यही आश में अपनो से दूर हुए बैठे है ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #leafbook कभी कभी देखे हुए सपने भी टूट जाते है और हम सिर्फ दोराहे पर खड़े रह जाते है
#leafbook कभी कभी देखे हुए सपने भी टूट जाते है और हम सिर्फ दोराहे पर खड़े रह जाते है
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White सोचता हूँ कभी कभी क्या तुम मेरा इश्क़ थीं या, यूँ ही बस एक इंसानी फ़ितरत पसन्द करना किसी को मोहब्बत के ख्याली पुलाव पकाना ग़र ये, महज़ एक आकर्षण था तेरे मुँह मोड़ने पर भी बाकी क्यूँ है तो क्या है जो अब भी बाकी है मुझ में एक शोर सा, मेरी सांसों की डोर सा क्यों होता है ऐसा… हर बार बेवफ़ा समझ कर सोचता हूँ तुम से दूर जाने को तेरा अक्स मेरी आँखों में उतर आता है मुस्कुरा कर जैसे पूछ रहा हो कैसे हो तुम, जो कहा करते थे आख़िरी साँस तक चाहोगे मुझे तब शर्त कहाँ थी उतना ही चाहोगी तुम मुस्कुराहट तुम्हारी शोर बन कर गूंजने लगती है मेरे भीतर धड़कनें इस क़दर बढ़ जाती है मानो दिल फटने को हो हँसी में घुले सवाल गूंजने लगते हैं मेरे कानों में एक शोर, जो डराने लगता है मुझे हर बार, हर रात मुझे जाग जाता हूँ मैं, भूल कर सारे शिकवे एक और सुबह होती है मुझे याद दिलाने को इश्क़ है मुझे तुम से, रहेगा भी आख़िरी साँस तक इस जन्म, उस जन्म, हर जन्म ©हिमांशु Kulshreshtha सोचता हूँ कभी कभी....
सोचता हूँ कभी कभी....
read moreMahesh Patel
Unsplash सहेली .... कभी-कभी हम यूं ही मुस्कुराया करते... कभी-कभी तुम्हारी बातों को यूं ही सुन लिया करते हैं.. कभी-कभी समझ में भी नहीं आता कि हम तुमसे यूं ही मिला करते हैं.. लाला... ©Mahesh Patel सहेली... कभी-कभी..लाला..
सहेली... कभी-कभी..लाला..
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White कभी कभी तलब में इज़ाफ़ा भी कर देती हैं महरूमियाँ एहसास प्यास का बढ़ जाता है सहरा देख कर ©हिमांशु Kulshreshtha कभी कभी...
कभी कभी...
read moreAshvani Kumar
White तुम ना दो जवाब अब मैं सवाल नहीं करता तुम डरना नहीं मुझसे, मैं बवाल नहीं करता वक़्त बर्बाद नहीं करता उन बीते पलों को याद कर के भूल गया हर वो बात, अब उन पर मलाल नहीं करता कभी धोखे से आ जाता जुबान पर तुम्हारा नाम तुम्हे याद करने की गलती मैं हर बार नहीं करता अब मिलने लगा हूँ हर शख्स से जो तुम्हे नापसंद थे तुम्हारी वजह से अब अपने रिश्ते खराब नहीं करता बेफिजूल है 'बेफ़िज़ूलियत' को अपनी बातें समझाना तुम पर ऐतबार करने की गलती मैं बार बार नहीं करता।। ©Ashvani Kumar कभी धोखे से आ जाता जुबान पर तुम्हारा नाम
कभी धोखे से आ जाता जुबान पर तुम्हारा नाम
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