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ज़हर
वो छोटी-छोटी उड़ानों पे गुरूर नहीं करता जो परिंदा अपने लिए आसमान ढूंढता है ©ज़हर वो छोटी-छोटी उड़ानों पे गुरूर नहीं करता जो परिंदा अपने लिए आसमान ढूंढता है #nojohindi #nojoto #2023Recap #ज़हर #hindi_shayari Sethi Ji
Sarfaraj idrishi
तुम सोच रहे हो बस बादल की उड़ानों तक मेरी तो निगाहें हैं सूरज के ठिकानों तक ©Sarfaraj idrishi #MoonAndMe तुम सोच रहे हो बस बादल की उड़ानों तक मेरी तो निगाहें हैं सूरज के ठिकानों तक
md Shoaib Khan
वो छोटी-छोटी उड़ानों पे गुरूर नहीं करता जो परिंदा अपने लिए आसमान ढूंढता है ©md Shoaib Khan वो छोटी-छोटी उड़ानों पे गुरूर नहीं करता #s_prashant_writes🇮🇳 #N😍T #n9jotohindi @ MM Mumtaz aziz,khan
manoj kumar
वो छोटी-छोटी उड़ानों पे गुरूर नहीं करता जो परिंदा अपने लिए आसमान ढूंढता है ©manoj kumar #Exploration वो छोटी-छोटी उड़ानों पे गुरूर नहीं करता जो परिंदा अपने लिए आसमान ढूंढता है 💥💥💥💥🚀
Manni Kumar *
Jai Prakash
vs
वो छोटी-छोटी उड़ानों पे गुरूर नहीं करता जो परिंदा अपने लिए आसमान ढूंढता है ©vs #lonelyवो छोटी-छोटी उड़ानों पे गुरूर नहीं करता
Shree
कुछ इस तरह बेरुखी उसकी खाती रही, मन अंदर ही अंदर जलता रहा, जान उसकी.. कहे जमाना जाती रही। जहन में दम तोड़ती गुनाहों के उसकी बेड़ियां, खनक सिक्कों की उछालता रहा, बात-बात पर बात सारी काटी जाती रही। कैद में उड़ानों को अपनी जकड़ करें इब्तिदा.. मोल बस दाल बराबर आंकता रहा, बरस भीतर की आग तन गलाती रही। उम्र कटती रही, दिन बीते रात गुजरती रही, मजबूर ताकता उम्मीद धरता गया, पलके मूंद कफ़न कमाने की नौकरी रही। कुछ इस तरह बेरुखी उसकी खाती रही, मन अंदर ही अंदर जलता रहा, जान उसकी.. कहे जमाना जाती रही। जहन में दम तोड़ती गुनाहों के उसकी बेड़ियां, खनक स
Shree
मत आंकिए मेरी सोच की सीमा, मत तोलिए मेरी जरूरतों के गट्ठर, सब्र बहुत है हसरतों में इस दिल के, कहर उम्मीदों के ना हम पर लादिए! पशोपेश में दिखाई देंगे कभी-कभार, तबियत नासाज, कमजोर ना समझिए। मासूम इरादों की पंखों वाली उड़ानों को अपने भौतिक सुखों के पर्याय ना मानो। अनन्त हूं मैं, अनन्त मेरी आवाज़ सुनो, संकीर्ण मनोभावों को दरकिनार रखो। मत आंकिए मेरी सोच की सीमा, मत तोलिए मेरी जरूरतों के गट्ठर, सब्र बहुत है हसरतों में इस दिल के, कहर उम्मीदों के ना हम पर लादिए! पशोपेश में दिख
Shree
अब अगली दफा तड़के सुबह किसी चाय की टपड़ी पर मिलना, ना एसी, ना टेबुल बुकिंग की झंझट, सर्दियों में कोई ऐसी सुबह चुनेंगे, मन शांत, वातावरण में ठहराव, हो सके तो मोबाइल बंद रखेंगे, मेरी-तुम्हारी तस्वीरें नज़र भरेंगे, गर्म चाय के प्याले के पीछे छुपके। बिन पलक झपकाए देखते रहेंगे, उस दिन तुम सिगरेट मत पीना, मैं भी लिपस्टिक घर भूल जाऊंगी, रंग होंगे तो हमारे साथ का.... धुआं होगा तो बस हमारे साथ का, मिठास बस हमारी और चाय की, कुछ होंगी... तो बातें यूॅं ही बस... मेरी-तुम्हारी और बस चाय की!! कहो, मिलोगे ना ? 🤭 चाय वाली कविता ☕ ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ अब अगली दफा तड़के सुबह किसी चाय की टपड़ी पर मिलना, ना एसी, ना टेबुल बुकिंग की झंझ