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doctor vishal Kumar
Himanshu Prajapati
White 👉🏻खुल के मुस्कान 👉🏻ऊंची उड़ान 👉🏻एक अलग पहचान 👉🏻कारनामे ऐसे 👉🏻सबका खिंचा चला आता ध्यान..! ©Himanshu Prajapati #mountain 👉🏻खुल के मुस्कान 👉🏻ऊंची उड़ान 👉🏻एक अलग पहचान 👉🏻कारनामे ऐसे 👉🏻सबका खिंचा चला आता ध्यान..!
nisha Kharatshinde
आज मी अन् तो (पाऊस) तो बरसतच होता मनसोक्त माझ्याशी गप्पा मारत.. मी ही बाल्कीनीतून हसत त्याला होते न्याहळत दिवसभर बोललो आम्ही सांज व्हायला लागली होती रात्रीही येणार का रे हो...गर्जना ऐकू येत होती कसे गेले वर्ष अखेर त्याने मला विचारले फक्त तुझीच प्रतिक्षा सोड...तूला खूप आठवले गंधाळल्या दाही दिशा आज मी ही मंत्रमुग्ध जाहले त्या चातकासारखीच मी ही आज खरी तृप्त झाले तो ही ऐकून हसू लागला वाट त्यानेही पाहिली होती अंधार सगळीकडे पसरला तितक्यात आईने हाक मारली होती ✍️(निशा खरात/शिंदे)काव्यनिश ©nisha Kharatshinde आज मी अन् तो(पाऊस)
Sarfaraj idrishi
Black लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ,, सर झुकाना नहीं आता तो झुकाएं कैसे...!! दुआ की दरखास्त 🤲 ©Sarfaraj idrishi #Thinking लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ,, सर झुकाना नहीं आता तो झुकाएं कैसे...!! दुआ की दरखास्तDhanraj Gamare indu singh Kishan Shar
Madhu Singh
Gopal Pandit
White दिल करता है हम लौट चलें फिर से तेरे शहर को । फिर ख्याल आता है क्या बसा पाएंगे हम अपने पुराने घर को ।। तूने बेईज्जत करके तो निकाला था मुझे सारे शहर के आगे । क्या फिर से जी पाऊंगा तेरे शहर में मैं उठाकर अपने सर को।। #गोपाल_पंडित ©Gopal Pandit #Road दिल करता है हम लौट चलें फिर से तेरे शहर को । फिर ख्याल आता है क्या बसा पाएंगे हम अपने पुराने घर को ।। तूने बेईज्जत करके तो निकाला था म
Mehfuza
White हमें लगा आपको हमारी बातें चे-मी-गोइयाँ मालूम होती है, इसलिए हमने आपसे गुफ्तगू करना छोड़ दिया। ©Mehfuza #Moon हमें लगा आपको हमारी बातें चे-मी-गोइयाँ मालूम होती है, इसलिए हमने आपसे गुफ्तगू करना छोड़ दिया।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White गीत :- मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक , करो न हमसे बैर । सबको हृदय बसाकर रखता , कहीं न कोई गैर ।। पाँच-साल में जब भी मौका, मिलता आता द्वार । खोल हृदय के पट दिखलाता , तुमको अपना प्यार ।। मानव सेवा करने को अब ... देखो ढ़ोंगी और लालची , उतरे हैं मैदान । उनकी मीठी बातों में अब , आना मत इंसान ।। मुझको कहकर भला बुरा वह , लेंगें तुमको जीत । पर उनकी बातें मत सुनना, होगी तेरी हार । मानव सेवा करने को अब..... सब ही ऐसा कहकर जाते , किसकी माने बात । सच कहते हो कैसे मानूँ , नहीं करोगे घात ।। अब जागरूक है ये जनता ,ये तेरा व्यापार । अपनों को तो भूल गये हो , हमे दिखाओ प्यार ।। मानव सेवा करने को अब .... सच्ची-सच्ची बात बताओ , इस दौलत का राज । मुश्किल हमको रोटी होती , सफल तुम्हारे काज ।। सम्पत्तिन तुम्हारे पिता की, और नहीं व्यापार । हमकों मीठी बात बताकर , लूटो देश हमार । मानव सेवा करने को अब..... मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। २०/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक ,