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Usha Dravid Bhatt
White आसमान का चांद आसमान पर चांद खिला है, साथ लिए लाखों तारे, तेरे दीदार को तरस रहा चकोर,धरती पर बैठ तुझे नहारे। दिन बीत रहा कड़क तपन संग , तरु छाया कहीं दिखे नहीं , हों हाड़ कांपती ठंडी रातें , टेर एक घड़ी को हटे नहीं । सदियों की लंबी दास्तां, किस्मत का खेल इसे कहते , कर्मों के फल से भाग्य मिला , अब क्यों तेरे आंसू बहते । तीव्र रोशनी तेरे अरमानों की , नित्य जलाती है होली , अंधियारे की शीतलता में , भ्रम से भरती सपनों की झोली । सौरभ आशाओं का दीप जलाकर, उम्मीद मत हारो समझाता, कुवास है अभिशाप सृष्टि में, जीवन में निर्जन वन सा गहराता । है एक बगीचा एक ही माली, रंग बिरंगे फूलों से महके फुलवारी , कांटो ने भी संग में डेरा डाला , आंसुओं से भर गई मधु प्याली । प्रातः की बहकी बेला में, जैसे स्वप्न दूर खड़े हर्षाते हैं , किससे पूछूं कि भोर होते ही , नक्षत्रमणी कहां छुप जाते हैं । बढ़ चला मुसाफिर यही सोचते, मधुर वचन बड़ा छलावा है , सत्य हमेशा कड़वा होता , उसे हर कोई मुखौटा पहन छुपाता है । ©Usha Dravid Bhatt आसमान का चांद एक सच्ची और निस्वार्थ लगन , जो बिना लाभ हानि के निरन्तर बनी रहती है।
आसमान का चांद एक सच्ची और निस्वार्थ लगन , जो बिना लाभ हानि के निरन्तर बनी रहती है। #कविता
read moreHarpinder Kaur
White अक्सर कह दिया जाता है और समझ भी लिया जाता है कि किसी एक का, दूसरे से अलग हो जाने से कभी कोई नहीं मरता क्या सच में कोई नहीं मरता? फिर अचानक से मन में एक प्रश्न कौंधता है क्या जिस्म का मरना ही, मरना है? फिर एक और ख्याल आता है कि किसी के जुदा होने से, उसके लिए बुने ख्वाब मिटने से, मन- मस्तिष्क में बनी वो चेहरे की आकृतियाँ, वो लंबी लंबी बातें, मुस्कुराहट, सुकून, वो प्यार, वो रिश्ता...... और बहुत कुछ क्या वो सब जिंदा रहता है! किसी के जाने के बाद (part -1) ©Harpinder Kaur # किसी के जाने के बाद.......
# किसी के जाने के बाद....... #Poetry
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत:- आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न । चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।। आई है घर में गौरैया.... पहले चुग ले तू जी भरके , बाते करना बाद । जान रही हूँ आज तुझे मैं , करें न कोई याद ।। अपने महल दुमहले होवें , करता सब फरियाद । उनकी बातें भूल यहाँ तू , हो जा पहले टन्न । आई है घर में गौरैया...। कुल्लड़ में पानी है रख्खा , आज बुझाओ प्यास । दाना चुगकर नीम पेड़ पर, पुनः बना आवास ।। जब भी भूख लगे तुझको , आना मेरे पास । रख दूँगी सुनो मुंडेर पे , तेरी खातिर अन्न । आई है घर में गौरैया..... देख रही तू पहले जैसा , घर अब मेरा नाहि । बिल्ली कुत्ता दूर बहुत है , डरने को अब नाहि ।। जब भी तेरा जी चाहे अब , करना घर में सैर । किसी बात की फिकर नही अब , तुझे मिलेगा अन्न । आई है घर में गौरैया .... आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न । चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।। ०५/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न । चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।। आई है घर में गौरैया.... पहले चुग ले तू जी भरके , बा
आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न । चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।। आई है घर में गौरैया.... पहले चुग ले तू जी भरके , बा #कविता
read moreAnand Ji Mayura Ji
मन में लपेटे हो शांति दुशाल । उठा लो अब हाथ में क्रांति मशाल। दुश्मन भी सारे कांप उठे, अटल अविचल रहै ये गौरव भाल। दामन को अपने दाग से बचाईये । ये देश संवर जाएगा खुद को संवारिये। ©Anand Ji Mayura Ji कविता के रंग आनंद के संग
कविता के रंग आनंद के संग
read moreAnand Ji Mayura Ji
Village Life केसर की क्यारी में फूलो की मुस्कान हो । रण-भूमि में दिखता जौहर की आन हो। तुम ही हो दुर्गा -श्री - शारदा, ज्ञान शील ममता की पहचान हो । दामन को अपने दाग से बचाईये । ये देश संवर जाएगा खुद को संवारिये । ©Anand Ji Mayura Ji कविता के रंग आनंद के संग
कविता के रंग आनंद के संग
read moreAnand Ji Mayura Ji
हाथों में तुम्हारे ही वतन की लाज है । कर्णधार हो तुम ये तुम्हारा ही राज है । जो चढा दे अपने सरो की भेट , ऐसे वीरों की जरुरत आज हैं । अपने प्राणो से इसकी आरती उताराये ©Anand Ji Mayura Ji कविता के रंग आनंद के रंग
कविता के रंग आनंद के रंग
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