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Stories related to भरणी नक्षत्र अक्षर

Satish Kumar Meena

अक्षर की दहाड़

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शिक्षा के साथ,
कलम की बात हो।
स्याही प्रगाढ़ और,,
अक्षर की दहाड़ हो।।
फिरने दे कागज पर,
कलम की पहचान हो।
शब्दों के संसार में,,
बच्चों की उड़ान हो।
खेल खेल में ज्ञान का,
संगम हो ना राड़ हो।
स्याही प्रगाढ़ और,,
अक्षर की दहाड़ हो।।

©Satish Kumar Meena अक्षर की दहाड़

Gk knowledge

किस भाषा का कितने अक्षर shayari on life motivational shayari

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किस भाषा में कितने अक्षर

©Gk knowledge किस भाषा का कितने अक्षर  shayari on life motivational shayari

imran pathan

अक्षर टूटे तारो से..

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White अक्सर टूटते तारों से दुआ करते है लोग,
पर तारो से बिछड़ने से अंबर तो रो ही पड़ता होगा ना ..!

 किनारे से तो बहता पानी खूबसूरत दिखता है, 
पर नदी से  किनारा अक्सर छूट जाता होगा ना..!

हमसफ़र साथ चलते है तो जिंदगी खूबसूरत लगती है,
पर अक्सर साथ छूट जाने से रास्ता बदल जाता होगा ना..!

 तेरी तलाश मे निकलते है अल्फाज़ मेरे दिल से,
पर तू गुनगुनाये तो ही गीत बनता होगा ना..!

रुलाने मे सब को मजा कहा आता होगा,
पर रोने से अश्क़ का आँखों से बिछड़ना होता होगा ना...!

माना कि दिल का रिश्ता जिस्म से नही रूह से होता है,
पर जिस्म से रूह का बिछड़ जाना लाश होता होगा ना..!

सब को जल्दी है कि दफ़्नावो इसे 
*ए- अमन* ,
जल्द हटावो इसे , ऐसा मतलब सबका होता होगा ना ..!!

#इमरान पठाण *अमन*

©imran pathan अक्षर टूटे तारो से..

theABHAYSINGH_BIPIN

#Hope वक्त के साथ किरदार बदलता है, वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं। कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर, वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं। वक्त के

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वक्त के साथ किरदार बदलता है,
वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं।
कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर,
वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं।

वक्त के साथ मिटती हैं दूरियाँ,
वक्त के साथ अपने भी बदलते हैं।
क्यों पकड़े हो कसकर पतंग की डोर,
इशारे में थामो, उड़ान बदलती है।

क्यों बढ़ने हैं तुम्हें सब एक दिशा से,
वक्त के साथ रिश्ते भी बिखरते हैं।
क्यों आवेश में पड़े चिंतित हो,
वक्त पर ही सारी पहेलियाँ सुलझती हैं।

हर रिश्ते में वो जज़्बात रहते हैं,
हर रिश्ते में वो तड़प रहती है।
क्यों हो इतना भी बेकरार तुम,
वक्त पर ही नींद सुकून की आती है।

जिंदगी का फ़लसफ़ा किसे पता,
वक्त पर ही जिंदगी सब सिखाती है।
क्यों कार्यों के बोझ तले डूबे हो,
वक्त ही वक्त ख्वाहिशें जगाता है।

नासूर ज़ख्मों की परवाह क्यों,
वक्त पर ही दवा मिलती है।
दिल अगर टूटा है तो क्या हुआ,
वक्त पर ही अपने मिलते हैं।

क्या हुआ जो मौसम सावन चला गया,
वक्त पर ही तो सारे मौसम बदलते हैं।
क्या हुआ जो रिश्ते पतझड़ बन गए,
वक्त पर ही बसंत की बहार खिलती है।

छोड़ दो बेफिक्री में बेफिकर उसे,
वक्त पर ही दबे राज भी खुलते हैं।
वक्त पर सब कुछ अच्छा मिलता है,
वक्त पर ही सही, नक्षत्र मिलते हैं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Hope  
वक्त के साथ किरदार बदलता है,
वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं।
कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर,
वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं।

वक्त के
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