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Devesh Dixit
दर्पण (दोहे) दूजों को दर्पण दिखा, आती है मुस्कान। खुद की बारी में वही, मुंँह फेरे इंसान।। खुद ही दर्पण देख ले, मिल जाती पहचान। देख बुराई आप में, क्या पाता इंसान।। उसको जो भी सुख लगे, हो न कभी संतोष। खुद को ही देखे नहीं, ढूँढे सब में दोष।। कहते हैं सज्जन सभी, बाँटों सब में प्यार। दर्पण को छोड़ो वहीं, मिलती खुशी अपार।। दर्पण का उपयोग जो, लेना वो ही काम। रूप निहारो जो करो, है ये ही पैगाम।। ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #दर्पण #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry दर्पण (दोहे) दूजों को दर्पण दिखा, आती है मुस्कान। खुद की बारी में वही, मुंँह फेरे इंसान।। ख
Vishal Kushwaha
Shivkumar
" तेरे जाने के बाद से घर के आइनो पर धूल चढ़ी है, वह अख़बार, वह गुलाब, वह किताबें, सब वहीँ वैसी ही रखी हैँ ,, वह चाय का कप और हिसाब की किताब, बिस्तर के सरआने पर बिलकुल वैसी ही अधूरी रखी हैँ ,, जहाँ बिताए थे कुछ पल बैठकर साथ अब वहां धूल चढ़ी है, जहाँ चलते थे दो कदम साथ वहां अब दूब बढ़ गयी है ,, तेरे जाने के बाद से वह हमारी तस्वीर अब अधूरी रह गयी है, रंग सब सूख गए हैँ और तस्वीर में रंग की जगह खाली रह गयी है ,, तेरे गिटार के तार अब टूट गए हैँ तेरी आधी पढ़ी कहानी की किताब अभी वहीँ पड़ी है, उन गीतों का क्या होगा जिसकी धुन अभी आधी बनी है ,, घर की चाबी अभी भी उस दराज़ में तेरे छल्ले के साथ मैंने रखी है, वह पर्दे जो जो लगाए थे कमरों में रंग भरने उन पर अभी कुछ धूल चढ़ी है ,, वह कमरा जहाँ बिताए थे पल यादगार, वीरान हो गया है, वह कंघा, वह आइना, अभी भी तेरे टूटे बाल, तेरी बिंदिया के निशान खोज रहा है ,, वह कमरे की खिड़की अभी भी आधी खुली है, कुछ छनी धूप वहां से झाँक रही है ,, वह खुश्क़ चादर अपनी अब भी कोने में पड़ी है, तेरी टूटी हुईं चूड़ियाँ भी मैंने वहीँ सहेज कर रखी है ,, ~शिवकुमार बर्मन ✍🥀 ©Shivkumar #aaina #आइना #दर्पण #Nojoto #nojotohindi #कविता " तेरे जाने के बाद से घर के आइनो पर धूल चढ़ी है, वह अख़बार, वह गुलाब, वह किताबें, सब वहीँ
Yogi Sonu
इस जगत में मृत्यु के सिवा कुछ भी सत्य नही।। हम लड़ते भी है तो खुद से हर जगह आप ही का दर्पण झलक रहा है आप ही हर जगह मौजूद है अपने ही प्रतिबिंब से भय ।। खुद को अलग मानने की भूल मूर्खता है क्योंकि जो हम है वही सब है ।। एक बार की बात है एक बार एक कुत्ता महल में चला गया और खुद के ही दर्पण से ही लड़ने लगा वही हमारा हाल है ।। योग परमात्मा तक ले जाने वाली एक सीढ़ी है।। ©Yogi Sonu इस जगत में मृत्यु के सिवा कुछ भी सत्य नही।। हम लड़ते भी है तो खुद से हर जगह आप ही का दर्पण झलक रहा है आप ही हर जगह मौजूद है अपने ही प्रतिबि
||स्वयं लेखन||
अतीत के दर्पण में नहीं लौटना है तुम्हें, अतीत के अनुभव से सीखना है तुम्हें। ©||स्वयं लेखन|| अतीत के दर्पण में नहीं लौटना है तुम्हें, अतीत के अनुभव सेसीखना है तुम्हें। #Life #Life_experience #Poetry #thoughts