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Stories related to धावताना दम लागणे

Radhe Radhe

खुद के दम पर

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बेतुकी की बाते नहीं 
खुद के दम पर कुछ 
करने का हुनर है 
इसलिए खामोश हूँ। 
जय श्री राधे

©Radhe Radhe खुद के दम पर

@Amarjeet Kumar shaksena

#Bhai_Dooj अपनी आंखों के सितारों छुपा लेंगे हम दम

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White मां कहती है...

मुसीबत में आई हर लडकी को अपनी बहन 
मानकर मदद करना ताकी उसे भाई की कमी महसूस ना हो...

©@Amarjeet Kumar shaksena #Bhai_Dooj अपनी आंखों के सितारों छुपा लेंगे हम दम

BANDHETIYA OFFICIAL

#sad_quotes #दिल से दम को निकले। शायरी लव रोमांटिक poet ziya ansari Gurdeep Kanheri Internet Jockey Dr Imran Hassan Barbhuiya Noor Hindu

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White  कमाल है, कमाल हो, कमाल करते हो,
जवाब लाजवाब हो, सवाल करते हो।
मुझको उम्मीद है,न पूछोगे,
पूछ मेरी इतनी तो है,
आंखों -आंखों सवाल पैदा,
वो कहानी अपनी तो है,
मिसाल है, मिसाल हो, मिसाल करते हो।
जवाब लाजवाब हो, सवाल करते हो।
मेरी हर रात है कि अंधेरी,
सांवले उसपे संग -सपने,
पूनम होती कभी कि दम को -
आ न दिल से निकले अपने,
खयाल है,खयाल हो,खयाल करते हो ।
जवाब लाजवाब हो, सवाल करते हो।

©BANDHETIYA OFFICIAL #sad_quotes #दिल से दम को निकले। शायरी लव रोमांटिक poet ziya ansari  Gurdeep Kanheri  Internet Jockey  Dr Imran Hassan Barbhuiya  Noor Hindu

theABHAYSINGH_BIPIN

दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़

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दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे,
जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे।
खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा,
पड़ी ज़ंजीरों से ख़ुद को कब तक बाँधोगे।

वक़्त के साथ बेहिसाब ग़लतियाँ की हैं तुमने,
सलाखों के पीछे ख़ुद को कब तक छुपाओगे?
जो कभी साथ छांव सा था, वह अब छूट गया,
आख़िर खुद से ये जंग कब तक लड़ोगे।

लोग माफ़ी देते हैं एक-दूसरे को अक्सर,
आख़िर तुम खुद को कब तक सताओगे।
रिहाई जुर्म से नहीं मिलती, यह तो मालूम है,
आख़िर ग़लतियों पर कब तक पछताओगे।

प्रकृति में सूखी डालें भी बहार में पनपती हैं,
खुद को सहलाने का वक़्त कब तक टालोगे।
वक्त हर नासूर बने ज़ख्मों को भी भरता है,
आख़िर ज़ख्मों को भरने से कब तक डरोगे।

©theABHAYSINGH_BIPIN दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे,
जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे।
खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा,
पड़ी ज़ंजीरों से ख़

theABHAYSINGH_BIPIN

#good_night बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा, गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा। भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी, तकिए के ओट मे

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White बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा,
गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा।

भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी,
तकिए के ओट में चादर भिगो रही होगी।

कितने अरमानों को सजाया था दिल ने,
दोनों दिलों में अधूरी मोहब्बत दम तोड़ रही है।

उठ रहे हैं दिल में ना जाने कितने सवाल,
दो जवां दिलों में ख्वाहिशें दफ़्न हो रही हैं।

रोशन हो रही थी मुहब्बत चंद की रोशनी में,
यह कैसी घड़ी है जहां उम्मीदें बिखर रही हैं।

परवान चढ़ने पर था ख्वाबों सा मुंतजिर,
जैसे चांद से चकोर अलग हो रही है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #good_night 

बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा,
गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा।

भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी,
तकिए के ओट मे

theABHAYSINGH_BIPIN

#Book चलो कोई मंज़िल तलाशते हैं, किसी के सपनों को सजाते हैं। खो गई हैं जो चेहरे की मुस्कान, चलो उसे वापस लाते हैं। गिर रहे हैं आंधियों से

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Unsplash चलो कोई मंज़िल तलाशते हैं,
किसी के सपनों को सजाते हैं।
खो गई हैं जो चेहरे की मुस्कान,
चलो उसे वापस लाते हैं।

गिर रहे हैं आंधियों से आशियाँ,
चलो नया इक घर बनाते हैं।
भटक गए हैं जो अपने रास्तों से,
चलो उन्हें राह दिखाते हैं।

चलो इंसान को इंसान बनाते हैं,
जो फासले बने हैं, उन्हें मिटाते हैं।
जो मासूमियत दब रही है धूल में,
चलो उसे आईना दिखाते हैं।

दम तोड़ रहे हैं जो बेबस लम्हों में,
चलो उन्हें जीने का जज़्बा सिखाते हैं।
जो टूट गए हैं डर के साए में,
चलो उन्हें उम्मीद से मिलाते हैं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Book 
चलो कोई मंज़िल तलाशते हैं,
किसी के सपनों को सजाते हैं।
खो गई हैं जो चेहरे की मुस्कान,
चलो उसे वापस लाते हैं।

गिर रहे हैं आंधियों से

बेजुबान शायर shivkumar

छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है तप कर आग

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Unsplash 
// खुद को निखार लेना //


छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं
मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं
हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है
तप कर आग में हम सोना बन ही कर आते हैं

मजबूरी जब ,अपने सर पे जिम्मेदारी आई तो समझ आ आती है
इस जिंदगी की दौड़ भी यु बढ़ती ही जाती है
वो अनाड़ी भी एक खिलाड़ी बन जाते हैं
जब गिर-गिर कर और ठोकर पर ठोकर यु खाते हैं

बारिश में भीग कर कड़ी धूप में यु जल कर भी वो बढ़ जाते हैं
न भाग कर ,अपने मुश्किलों से लड़ कर वो जीत कर दिखाते हैं
वो भी अपने वक्त के साथ साथ चलना भी सीख आता है
उसे अपने मेहनत का फल लेना भी आता है

अपने इन हाथों की लकीरों को भी बदल देते हैं
मेहनत करने वाले तूफान का रुख भी यु मोड़ देते हैं
ये दुनिया रोकती ही रहेगी मगर तुम चलते ही रहना 
न सुनना किसी की बात को तुम अपनी मंजिल को ही देखना

कर हौसला बुलंद तू , तुमने तो इतिहास रचा कदम बड़ा
हंसने वालो को एक दिन चुप करा देना , तुम इतिहास बना देना

©बेजुबान शायर shivkumar छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं
मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं
हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है
तप कर आग

Dhaneshdwivediwriter

#traveling दस साल बाद मौत नजर आई दम घुटने लगा और पैर लड़खड़ाए जब उसने कहा अब तुम मुझे भूल जाओ, घरवाले नहीं मानेंगे। #

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Unsplash दस साल बाद मौत नजर आई
दम घुटने लगा और पैर लड़खड़ाए
जब उसने कहा 
अब तुम मुझे भूल जाओ,
घरवाले नहीं मानेंगे।















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©Dhaneshdwivediwriter #traveling दस साल बाद मौत नजर आई
दम घुटने लगा और पैर लड़खड़ाए
जब उसने कहा 
अब तुम मुझे भूल जाओ,
घरवाले नहीं मानेंगे।

#

अनिल कसेर "उजाला"

दम नहीं

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Poet Kuldeep Singh Ruhela

#Book बड़ी मुश्किल से ये मुकाम मैने पाया है मेहनत की और ये परिणाम आया है में कोशिश करूंगा मरते दम मेरे दोस्त यही हुनर मेने अपनी किताब में

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Unsplash बड़ी मुश्किल से ये मुकाम मैने पाया है 
मेहनत की और ये परिणाम आया है 
में कोशिश करूंगा मरते दम मेरे दोस्त
यही हुनर मेने अपनी किताब में लिखवाया है

©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Book बड़ी मुश्किल से ये मुकाम मैने पाया है 
मेहनत की और ये परिणाम आया है 
में कोशिश करूंगा मरते दम मेरे दोस्त
यही हुनर मेने अपनी किताब में
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