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Satish Kumar Meena
कश्ती पतवार के बिना आगे नहीं बढ़ सकती उसी तरह कलम के बिना ज्ञान का भंडार भर नहीं सकता। ©Satish Kumar Meena कश्ती
कश्ती
read moreParasram Arora
Unsplash आंधी और तूफ़ान ने काफ़ी शोरगुल मचा रखा है लेकिन ये आंधीया जानती नहीं कि मै वो मुसाफिर हू जो हर रूकावट का मुसतैदी से सामना कर सकताहै और बिना अपनी मंजिल पाए सफर अपना स्थगित कर सकता नहीं ©Parasram Arora मुसाफिर
मुसाफिर
read moreAshvani Kumar
White तुमने देखा ही नहीं कभी.. मेरी आँखों में कुछ औऱ भी था..! इस गहरी सी खामोशी के पीछे.. चीखता हुआ शोर भी था..! इक मजबूत सा इंसान.. जो अंदर से शायद कमजोर भी था..! तू मेरा था ये माना मैंने...... मगर तेरा इक नकाब औऱ भी था..... ©Ashvani Kumar #Sad_Status तुमने देखा ही नहीं कभी..
#Sad_Status तुमने देखा ही नहीं कभी..
read moreSupriya Jha
White एक समंदर मेरे अंदर, जज़्बातों का है बवंडर, फिर भी मेरे होठो के अंदर, डर लगता है देखकर वर्तमान का मंजर, कहीं भविष्य पर न लग जाए कोई खंजर, चलना होगा हर कदम बहुत संंवर कर, तभी शायद मेरे प्रयास का परिणाम होगा सुंदर। ©Supriya Jha # एक समंदर मेरे अंदर
# एक समंदर मेरे अंदर
read moreडॉ.अजय कुमार मिश्र
White मन्नते मांगते मांगते मुकाम भी मिला तो दरिया के किनारे। जहां ज्वार भाटा तो आम बात,पीने को मिलता है खारा पानी और सोते हैं रेत के सहारे। ना हरियाली ना खुशहाली फिर भी शीतलता मिलती है,जल कण के सहारे। कोई हमें पुकारे या ना पुकारे लेकिन, हर पल हमें पुकारती हैं समंदर से उठती ज्वारें। हमें हर रात लोरी गा गा कर सुलाती हैं,आकाश की टिमटिमाती तारें। कितने खुश नसीब हैं हम कि, हर सुबह हम जगते हैं सूरज के किरणों के सहारे। हम भूल भी जाएं अपनी चारों दिशाएं,तो हमें दिशाओं की याद दिलाती हैं,समंदर से उठती हवाएं। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र समंदर
समंदर
read moreGhumnam Gautam
नहीं मैं डूबता तो और क्या करता मेरे यारो! न तो कश्ती समझ आई,न दरिया ही समझ आया ©Ghumnam Gautam #कश्ती #दरिया #ghumnamgautam