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HARSH369
कभी हमारे द्वारा किसी ठोस पत्थर पर किये दस प्यासो मे अन्तिम प्रयास सफल होता है, बाकि 9 प्रयास विफल है ना.. नही एसा नही होता,कहि ना कही उस पत्थर को कुछ ना कुछ अनुभव होता है कि कोई मुझे हिलाने वाला प्रहार तैयार हो चुका है.. अत: प्रयास जारी रखे,कभी ना कभी तो टुटेगा वो जो अकड़ा पड़ा है सदियों से..!! ©HARSH369 #ठोस पत्थर #motivational
डॉ.अजय कुमार मिश्र
White क्यों व्यर्थ गवाता मानव तन, झूठे अभिमान के महलों पर।। बनना है तो पारस पत्थर बन, लोहे को स्वर्ण बना डालों।। या कट - कट कर कोहिनूर बन, दुनियां को चमक दिखा डालो।। या बनना है तो गांधी बन, बिन सुख सुविधा के आधी बन। या छोड़ महल के वैभव को, गौतम बुद्ध जैसा ज्ञानी बन।। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र पत्थर
Shashi Bhushan Mishra
White बे-रहमी से तोड़ा उसने, कलियों को ना छोड़ा उसने, बागवान ठहरा बेचारा, हाथ-पांव तक जोड़ा उसने, दो दिन की रोटी भिजवाकर, पीटा खूब ढिंढोरा उसने, पत्थर का हो गया आदमी, दिल को नहीं झिंझोड़ा उसने, काट दिए कच्चे नींबु सा, काफी देर निचोड़ा उसने, अरमानों के ज़ख़्म कुरेदे, मन को रक्खा कोरा उसने, क़ामयाब मक़सद होने तक, दिल पर डाला डोरा उसने, ख़ुद से गलती किया ठीकरा, औरों के सर फोड़ा उसने, प्रेमी बन हटवाया 'गुंजन', दूर राह का रोड़ा उसने, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ• प्र• ©Shashi Bhushan Mishra #बे-रहमी से तोड़ा उसने#
Pushpendra Jassi
घाट का एक खामोश पत्थर हूँ !! मैँने नदी के हजार नखरे देखे हैं!! ©Pushpendra Jassi #पत्थर #विफ़लता
लेखक ओझा
सत्य को इस हद तक मरोड़ा जा सकता है की वह झूठ सा दिखने लगे लेकिन मरोड़ने वाले कतिपय इस बात से अनभिज्ञ है की सत्य को तोड़ा नही जा सकता।। ©लेखक ओझा #sunrisesunset सत्य को तोड़ा नही जा सकता
Ashuoffice
किसी ने मेरे भरोसे को इस तरह तोड़ा है , कि अब किसी पर भरोसा नहीं होता || ©Ashuoffice किसी ने मेरे भरोसे को इस तरह तोड़ा है, #shayaari #sad
Ghumnam Gautam
इरादा कर चुके हो,तो चलो अब मार लो पत्थर निशां थोड़ी बनेगा पीठ पर! हमलोग पानी हैं ©Ghumnam Gautam #Sea #इरादा #पत्थर #ghumnamgautam
Shashi Bhushan Mishra
मील का पत्थर, काँपता थर-थर, वेदना असीम, हो रहा असर, लगी चिन्गारी, जले कितने घर, गँवाया सबकुछ, हो गए बेघर, सियासत ख़ामोश, कैसे हो ख़बर, चली थी आँधी, गिर गया शज़र, घोर तन्हाई, कोई न रहगुज़र, सूखती सरिता, जमीं है बंजर, हर तरफ तांडव, बोल अब हर-हर, बचे सब 'गुंजन', उठा अब खंज़र, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई ©Shashi Bhushan Mishra #मील का पत्थर#