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देव पाण्डेय
Raj sarswat
लेकर बहुत से ख्वाब मैं मन में। इस कदर मैं उसमें खो गया। पर मन का मन में रह गया। मैं सब कुछ मन में सह गया। किया था एक सफर, तय उसी के साथ में। संभाला था खुद को भी, मैंने उस हालात में। वो सफ़र भी देखो अब याद बनकर रह गया। पर मन का मन में रह गया। मैं सब कुछ मन में सह गया। मिलोगी फिर कभी तुम मुझे किसी भी राह में। देखना क्या हाल दिखेगा मेरा तेरी चाह में। ये देखना भी मेरा तुमको स्वप्न बनकर रह गया। पर मन का मन में रह गया। मैं सब कुछ मन में सह गया। मिल गई वो यूं ही अचानक मुझे एक दिन ख्वाब में। मैं देखता ही रह गया उसे उसी अंदाज में। आंख खुली पर वो नहीं थी ये ख्वाब अधूरा रह गया। पर मन का मन में रह गया। मैं सब कुछ मन में सह गया। आ गई थी, वो एक दिन, फिर से मेरे पास में। मैं पगला सा बैठा था केवल उसकी आस में। सुन के उसकी प्यारी बातें उसे सुनता ही रह गया। पर मन का मन में रह गया। मैं सब कुछ मन में सह गया। हिम्मत करके बोली थी वो कुछ कहना है तो बोल दे। मत डर तूं , मैं तेरी हूं, अब तूं भी मुझको बोल दे। क्या हिम्मत थी उसकी, मैं उसे देखता रह गया। पर मन का मन में रह गया। मैं सब कुछ मन में सह गया। क्या बोलूं मैं उसको अब ये समझ मुझे ना आई थी। पर सच बोलूं तो केवल वही, मेरे मन को भाई थी। करके हिम्मत राज भी आज अपनी बातें कह गया। मैं सब कुछ अपना कह गया मैं मन का मन से कह गया। ©Raj sarswat मन का मन में रह गया। #walkingalone
Ek villain
जीवन में किसी भी महत्वपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मन को संयमित करना अत्यंत आवश्यक है किंतु यह मूल आवश्यक बिंदु जानते समझते हुए भी हम अपने चंचल मन को नियंत्रित नहीं रख पाते वास्तव में मन को काबू करना आसान नहीं है योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने इसका एक मार्ग सुझाया गीता के छठे अध्याय में मधुसुधन कहते हैं कि अष्टांग योग का पालन कर कर मन को नियमित किया जा सकता है परंतु आज के समय में अस्तांग योग को साधन भी आसान नहीं है ऐसी स्थिति में निराशा होने की आवश्यकता नहीं हम नियमित इंद्रिय संयम के द्वारा कुछ हद तक मन को संयमित कर सकते हैं हम सोचना चाहिए कि हमारे विचार कहानी राधा को रहे हैं हमारा समय कहां व्यस्त हो रहा है या फिर इंद्रिय सुख की चाह में हम कहां भटक तो नहीं रहे यदि हम इस तरह मंथन करें तो मन की चंचलता को नियंत्रित कर सकते हैं भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मन ही हमारा सबसे श्रेष्ठ मित्र है और मन भी हमारा सबसे बड़ा शत्रु है मन ही वे दरवाजा है जिससे गुजर हम आनंदमय जीवन व्यतीत कर सकते हैं और यदि हम अपने विवेक होकर उसके पीछे भागे तो यही हो दरवाजा है जो हम अपने लक्ष्य से भटक आ सकता है समझ रहे कि जो भी स्थिर होकर भूमि में आंचल हो जाते हैं मैं कुछ दिनों के बाद बनते हैं और इसके विपरीत जो भी हवा के साथ उड़ जाते हैं वह नहीं बन पाते ©Ek villain #मन का संयम जीवन में #ValentineDay
Shravan Goud
बुझे हुए मन से कोई दिया नही लगाया जाता। प्रसन्न मन से दिल में ज्योति जगती है। मन में उत्साह का दीपक लगाएं।
pankaj kumar (chunchun)
AJAY NAYAK
तेरी याद में..................... कुछ कहने का मन करता है कुछ लिखने का मन करता है तेरी याद में...................... थोड़ा हंसने का मन करता है थोड़ा रो लेने का मन करता है तेरी याद में....................... बस, बस जाने का मन करता है बस, उसी में खो जाने का मन करता है तेरी याद में...................... ©AJAY NAYAK #Parchhai #याद तेरी याद में..................... कुछ कहने का मन करता है कुछ लिखने का मन करता है तेरी याद में...................... थोड़ा हं
Sunita Shanoo
सब कुछ होते हुये भी लगता है पास कुछ भी नहीं जो बहुत पास है वही अब लगता है बहुत दूर है कहीं क्यों डराती है अपनी ही परछाईं खोल देती है परत दर परत मुझे क्यों एक साँस विश्वास की भी आती है घुटी घुटी-सी आँखें खामोश तो है मगर तेज़ चलती जुबां का साथ नहीं देती, हर लम्हा महफ़िल सा है फिर भी तनहा क्यों है ... ©सुनीता शानू दर्द में भीग जाने का मन था